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डिबेंचरों में विदेशी निवेश - संशोधित मार्गदर्शी सिद्धांत

आरबीआइ / 2006-07 / 435
ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.74

जून 8, 2007

सेवा में
सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया / महोदय

डिबेंचरों में विदेशी निवेश - संशोधित मार्गदर्शी सिद्धांत

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित मई 3, 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 20/2000 आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की ओर आकर्षित किया जाता है। अधिसूचना की अनुसूची 1 के अनुसार, भारत से बाहर निवासी कोई व्यक्ति भारतीय कंपनी द्वारा जारी इक्विटी / अधिमान / परिवर्तनीय अधिमान शेयरों और परिवर्तनीय डिबेंचरों की खरीद कर सकता है।

2. यह देखा गया है कि कुछ भारतीय कंपनियां वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय/ आंशिक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचर जैसी संमिश्र लिखतों, जो मूलभूत रूप से ऋण जैसी लिखतें हैं, के निर्गम के माध्यम से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश मार्ग के तहत निधियां उगाह रही हैं। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के माध्यम से ऋण प्रवाह का आगमन देश में ऋण प्रवाह को नियंत्रित करने के उपयुक्त ढांचे को मात देता है। यह स्पष्ट किया जाता है कि अब से आगे, केवल ऐसे लिखत, जो विर्निष्ट अवधि के अंदर पूर्णत: और अनिवार्य रूप से इक्विटी में परिवर्तनीय हैं, की गणना विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के तहत इक्विटी के एक भाग के रूप में की जाएगी और वे मई 3, 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 20/2000 - आर बी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा शेयरों के अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 के विनियम 5(1) के अनुसार विदेशी प्रत्यक्ष निदेश योजना के तहत भारत से बाहर निवासी को जारी किए जाने के लिए पात्र होंगे।

3. सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक अबतक की तरह समय-समय पर निर्धारित सीमाओं सहित रुपए ऋण लिखतों में निवेश संबंधी भारिबैं / सेबी के मानदंडों के अनुसार भारतीय कंपनियों द्वारा जारी सूचीबद्ध अपरिवर्तनीय डिबेंचरों/बांडों में निवेश करने के लिए पात्र होंगे।

4. आगे स्पष्ट किया जाता है कि कंपनियां, जिन्होंने मई 7, 2007 को अथवा उससे पहले आंशिक / वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय लिखतों के निर्गम के लिए भारत से बाहर से निधियां प्राप्त की हैं, ऐसी लिखतें जारी कर सकती हैं। इसके अलावा, लिखतों में वर्तमान निवेश, जो इक्विटी में पूर्णत: और अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय नहीं है, वे अपनी चालू परिपक्वता अवधि तक जारी रह सकते हैं।

5. विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।

6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी संबंधित घटकों को अवगत करा दें।

7. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और किसी अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

भवदीय

(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महा प्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई - 400 001.

प्रेस विज्ञप्ति

विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के तहत संमिश्र लिखतों का निर्गम

भारिबैं ने यह देखा है कि कुछ भारतीय कंपनियां, वैकल्पिक अथवा आंशिक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचरोंऔर अन्य संमिश्र लिखतों, जो मूलभूत रूप से स्वाभाव में ऋण जैसे हैं, के रूप में समुद्रपारीय बाजारों से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के मार्ग के तहत निधियां उगाह रहे हैं। ऐसे लिखतों का निर्गम सभी प्रकार से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति के विरूद्ध है, जिसका उद्देश्य तत्वत: इक्विटी पूंजी स्वरूप में निवेशों न कि प्रतिनिधि ऋण लिखतों को आकर्षित करना है। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के मार्ग से ऋण प्रवाह का आगमन देश में ऋण प्रवाह को नियंत्रित करने के उपयुक्त ढांचे को मात देता है चाहे वह समुद्रपारीय विदेशी मुद्रा उधार या रुपये मूल्यांकित ऋण में विदेशी निवेश के माध्यम से हो। इसके अलावा, यह विदेशी मुद्रा उधार नीति के तहत अनुबद्ध के भी विपरीत है कि विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों को परिवर्तित होने तक ऋण के रूप में समझा जाना है।

तदनुसार, भारिबैं ने यह स्पष्ट करते हुए एक परिपत्र जारी किया है कि केवल वे लिखतें, जो एक विनिर्दिष्ट अवधि के अंदर इक्विटी में पूर्णत: और अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय हैं, विदेशी प्रत्यक्ष नीति के तहत इक्विटी के एक भाग के रूप में गिनी जाएगी। फिर भी, कंपनियां, जिन्होंने मई 7, 2007 को अथवा उससे पहले आंशिक/वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय लिखतों के निर्गम के लिए भारत से बाहर से निधियां प्राप्त की हैं, ऐसी लिखतें जारी कर सकती है। इसके अलावा, लिखतों में वर्तमान निवेश, जो इक्विटी में पूर्णत: और अनिवार्यत: परिवर्तनीय नहीं है, वे अपनी चालू परिपक्वता अवधि तक जारी रह सकते हैं। अब तक भी तरह, विदेशी संस्थागत निवेशक समय-समय पर निर्धारित सीमाओं सहित रुपया ऋण लिखतों में निवेश संबंधी भारिबैं / सेबी के मानदंडों के अनुसार भारतीय कंपनियों द्वारा जारी सूचीबद्ध अपरिवर्तनीय डिबेंचरों / बांडों में निवेश कर सकते हैं।

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