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भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारत में अन्य प्रतिभूतियों में विदेशी निवेश

भारिबैं/2010-11/492
ए.पी.(डीआईआरसिरीज)परि.सं./55

अप्रैल 29, 2011

सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास पंजीकृत विदेशी
संस्थागत निवेशकों द्वारा भारत में अन्य प्रतिभूतियों में विदेशी निवेश

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 20/2000-आरबी, समय-समय पर यथासंशोधित, द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण या निर्गम) विनियमावली, 2000 की अनुसूची 5 के पैरा 1 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक भारतीय कंपनी द्वारा जारी सूचीबद्ध अपरिवर्तनीय डिबेंचर/बांड, उनमें वर्णित शर्तों और भारतीय रिज़र्व बैंक / भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा, समय-समय पर, विनिर्दिष्ट सीमा तक प्रत्यावर्तनीय आधार पर खरीद सकते हैं। विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए कारपोरेट कर्ज (डेट) में ऐसे निवेश की सीमा 15 बिलियन अमरीकी डालर है, इसके अलावा 5 बिलियन अमरीकी डालर की अतिरिक्त सीमा तक विदेशी संस्थागत निवेशक 5 साल की अवशिष्ट परिपक्वता अवधि के ऐसे बांड में निवेश कर सकते हें जिन्हें ‘मूलभूत संरचना’ (इंफ्रास्ट्रक्चर) क्षेत्र की किसी भारतीय कंपनी ने जारी किया हो जिसे वाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) के मौजूदा मानदण्डों में परिभाषित किया गया है।

2. सरकार के परामर्श से अब यह निर्णय लिया गया है कि मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार मानदंडों के तहत मूलभूत संरचना के रूप में यथापरिभाषित मूलभूत संरचना क्षेत्र की भारतीय कंपनियों द्वारा जारी पांच वर्ष और उससे अधिक की अवशिष्ट परिपक्वता अवधि वाले सूचीबध्द अपरिवर्तनीय डिबेंचरों/बांड में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा निवेश की सीमा में 20 बिलियन अमरीकी डॉलर की अतिरिक्त सीमा की वृध्दि की जाए, जिससे यह सीमा 5 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 25 बिलियन अमरीकी डॉलर हो जाएगी (इससे विदेशी संस्थागत निवेशकों को सूचीबध्द अपरिवर्तनीय डिबेंचरों/बांड में निवेश के लिए 40 बिलियन अमरीकी डालर की कुल सीमा उपलब्ध होगी जिसमें से मूलभूत संरचना क्षेत्र में कार्पोरेटों द्वारा जारी सूचीबध्द अपरिवर्तनीय डिबेंचरों/बांड में निवेश के लिए उप-सीमा 25 बिलियन अमरीकी डॉलर होगी)। इसके अतिरिक्त, विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा सूचीबध्द अपरिवर्तनीय डिबेंचरों/बांड में किये गये इस प्रकार के निवेश की न्यूनतम अवरुध्दता अवधि 3 वर्ष होगी। तथापि, अवरुध्दता अवधि में विदेशी संस्थागत निवेशक आपस में उनकी ट्रेडिंग कर सकते हैं। अब यह भी निर्णय लिया गया है कि सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों को मूलभूत संरचना क्षेत्र में कार्पोरेटों द्वारा जारी गैर-सूचीबद्ध अपरिवर्तनीय डिबेंचरों/बांड में निवेश करने के लिए अनुमति दी जाए बशर्ते इस प्रकार के निवेश उल्लिखित शर्तों के अनुसार हों।

3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें ।

4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी ) में आवश्यक संशोधन अलग से अधिसूचित किये जा रहे हें ।

5. इस परिपत्र में समाहित निर्देश, विदेशी मुद्रा अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं।

भवदीया

(मीना हेमचंद्र)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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