अधिमान शेयरों में विदेशी निवेश - संशोधित मार्गदर्शी सिद्धांत - आरबीआई - Reserve Bank of India
अधिमान शेयरों में विदेशी निवेश - संशोधित मार्गदर्शी सिद्धांत
आरबीआइ/2006-07/434
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.73
जून 8, 2007
सेवा में
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक
महोदया/महोदय,
अधिमान शेयरों में विदेशी निवेश - संशोधित मार्गदर्शी सिद्धांत
प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की ओर आकर्षित किया जाता है। अधिसूचना की अनुसूची 1 के अनुसार भारत से बाहर निवासी कोई व्यक्ति भारतीय कंपनी द्वारा जारी ईक्विटी/ अधिमान/ परिवर्तनीय अधिमान शेयर और परिवर्तनीय डिबेंचार खरीद सकता है।
भारत सरकार, वित्त मंत्रालय ने अप्रैल 30, 2007 के प्रेस नोट (संलग्नक) द्वारा अधिमान शेयरों में विदेशी निवेश के लिए संशोधित मार्गदर्शी सिद्धांत अधिसूचित किया है जो उस तारीख से लागू हो गए हैं :
(क) पूर्णत: परिवर्तनीय अधिमान शेयरों के रूप में आनेवाले विदेशी निवेश को शेयर पूंजी के एक भाग के रूप में समझा जाएगा। इसे विदेशी ईक्विटी के क्षेत्रीय सीमा के प्रयोजन हेतु, जहां ऐसी सीमाएं निर्धारित की गई हैं, विदेशी ईक्विटी की गणना में शामिल किया जाएगा।
(ख) किसी अन्य प्रकार के अधिमान शेयर (अपरिवर्तनीय, वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय, अथवा अंशत: परिवर्तनीय) के रूप में आनेवाले विदेशी निवेश को ऋण समझा जाएगा तथा ये विदेशी निवेश बाह्य वाणिज्यिक उधार के मार्गदर्शी सिद्धांतों/ बाह्य वाणिज्यिक उधार सीमाओं के अनुरूप होंगे।
(ग) अप्रैल 30, 2007 को अथवा तक की स्थिति में अपरिवर्तनीय अथवा वैकल्पिक परिवर्तनीय अथवा अंशत: परिवर्तनीय अधिमान शेयरों के रूप में कोई भी विदेशी निवेश अपनी चालू परिपक्वता अवधि तक क्षेत्रीय सीमा के बाहर रहेंगे।
(घ) किसी भी प्रकार के अधिमान शेयरों के निर्गम का भारतीय रिज़र्व बैंक/ सेबी और अन्य सांविधिक निकायों के मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुरूप होना जारी रहेगा तथा सभी सांविधिक अपेक्षाओं के अधीन होंगे।
3. तदनुसार, यह स्पष्ट किया जाता है कि मई 1, 2007 से केवल उन्हीं अधिमान शेयरों, जो पूरी तरह और अनिवार्यत: एक विशिष्ट अवधि के अंदर ईक्विटी में परिवर्तनीय हैं, की शेयर पूंजी के एक भाग के रूप में गणना की जाएगी तथा वे मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी द्वारा शेयरों का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 के विनियम 5(1) के अनुसार विदेशी प्रत्यक्ष निवेश योजना के तहत भारत से बाहर निवासी व्यक्ति को जारी किए जाने के लिए पात्र होंगे।
4. निर्गम के लिए अन्य प्रकार के अधिमान शेयरों (अर्थात् अपरिवर्तनीय, वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय अथवा आंशिक रूप से परिवर्तनीय) में विदेशी निवेश, जिसके निर्गम के लिए निधियां मई 1, 2007 को अथवा उसके बाद प्राप्त की गई हैं, को ऋण के रूप में समझा जाएगा तथा वे बाह्य वाणिज्यिक उधार मार्गदर्शी सिद्धांतों/ सीमाओं के अनुरूप होंगी। तदनुसार, बाह्य वाणिज्यिक उधार को लागू सभी मानदण्ड अर्थात् पात्र उधारकर्ता, मान्यता प्राप्त उधारदाता, राशि और परिपक्वता अवधि, अंतिम उपयोग अनुबद्ध, आदि लागू होंगे। चूंकि ये लिखत रुपये में मूल्यांकित किए जाएंगे, रुपये ब्याज दर लिबोर के समकक्ष स्वैप जोड़ तदनुरूपी परिपक्वता अवधि के बाह्य वाणिज्यिक उधार के लिए यथा अनुमत क्रय-विक्रय दरों के अंतर पर आधारित होगा।
5. आगे यह भी स्पष्ट किया जाता है कि कंपनियां जिन्होंने अप्रैल 30, 2007 को अथवा तक अंशत:/ वैकल्पित परिवर्तनीय अथवा प्रतिदेय अधिमान शेयरों के निर्गम के लिए भारत के बाहर से निधियां प्राप्त की हैं, ऐसे लिखत जारी कर सकती हैं। इसके अलावा, ऐसे अधिमान शेयरों में वर्तमान निवेश, जो पूरी तरह परिवर्तनीय नहीं हैं, वे अपनीचालू परिपक्वता अवधि तक जारी रह सकते हैं।
6. विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी द्वारा शेयरों का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।
7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत करा दें।
8. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक