विदेशी तकनीक सहयोग - रॉयल्टी भुगतान - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी तकनीक सहयोग - रॉयल्टी भुगतान - उदारीकरण
ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र क्र.5 जुलाई 21, 2003 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय, विदेशी तकनीक सहयोग - रॉयल्टी भुगतान - उदारीकरण प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान विदेशी तकनीक सहयोग के अंतर्गत रॉयल्टी भुगतान से संबंधित सरकार की नीति की ओर आकृष्ट किया जाता है। वर्तमान में केवल पूर्ण स्वाधिकृत सहायक कंपनियों को ही अपनी अपतटीय (ऑफशोर) मूल विदेशी कंपनी को बिना किसी अवधि के प्रतिबंध के स्वचालित मार्ग के अंतर्गत रॉयल्टी भुगतान करने की अनुमति है। 2. विदेशी तकनीक सहयोग करार नीति को और अधिक उदार बनाने तथा एकरूप नीति प्रचलित करने के विचार से भारत सरकार ने जून 24, 2003 को प्रेस नोट सं. 2 (2003 शृखला ) जारी किया है (प्रतिलिपि संलग्न), जिसके अनुसार सभी कंपनियों को, शेयर धारिता में विदेशी ईक्विटी की सीमा को ध्यान में रख बिना, जिन्होंने विदेश्ं तकनीक सहयोग करार किया है, अब से स्वचालित अनुमोदित मार्ग के अंतर्गत निर्यात पर 8 प्रतिशत की दर से और घरेलू विक्री पर 5 प्रतिशत की दर से बिना किसी अवधि के प्रतिबंध रॉयल्टी भुगतान करने की अनुमति दी जाए। 3. स्वचालित मार्ग के अंतर्गत रॉयल्टी भुगतान के अन्य सभी मामले, विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली 2000 जैसा कि मई 3, 2000 की भारत सरकार की अधिसूचना सं.जी.एस.आर.381 (E) द्वारा अधिसूचित अनुसूची 3 की मद सं.14 के साथ्ं पठित नियम 5 के अंतर्गत रिज़र्व बैंक के पास पहले से पंजीकरण कराना जारी रहेगा। 4. स्वचालित मार्ग के अंतर्गत एकमुश्त शुल्क/रॉयल्टी के भुगतान पर सीमा सभी मामलों में जारी रहेगी। 5. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें। 6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं। भवदीय, (ग्रेस कोशी) |