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सूक्ष्‍म (माइक्रो), लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के पुनरुज्‍जीवन और पुनर्वास के लिए ढांचा

भा.रि.बैंक/2015-16/338
विसविवि.एमएसएमई एण्ड एनएफएस.बीसी.सं.21/06.02.31/2015-16

17 मार्च 2016

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय/ महोदया

सूक्ष्‍म (माइक्रो), लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के पुनरुज्‍जीवन और पुनर्वास के लिए ढांचा

माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के खातों में दबाव से निपटने के लिए सरल और त्‍वरित प्रणाली उपलब्‍ध कराने तथा एमएसएमई के संवर्धन और विकास को सुसाध्‍य बनाने के प्रयोजन से सूक्ष्‍म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार ने दिनांक 29 मई 2015 की अपनी राजपत्र अधिसूचना द्वारा 'सूक्ष्‍म (माइक्रो), लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के पुनरुज्‍जीवन और पुनर्वास के लिए ढांचा’ अधिसूचित किया था। तथापि भारत सरकार, एमएसएमई मंत्रालय के साथ परामर्श करते हुए उपर्युक्त ढांचे में कतिपय परिवर्तन किए गए हैं ताकि उसे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंकों को 'अग्रिमों से संबंधित आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण’ पर जारी वर्तमान विनियामक दिशानिर्देशों के अनुरूप किया जा सके। तदनुसार परिचालनात्‍मक अनुदेशों के साथ पुनरीक्षित ढांचा अनुबंध में प्रस्‍तुत है। इस ढांचे को कार्यान्वित करने के लिए बैंक 30 जून 2016 तक बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति स्‍थापित कर सकते हैं।

2. जहां अग्रिमों से संबंधित आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण पर विवेकपूर्ण मानदंड आईआरएसी मानदंडों पर दिनांक 1 जुलाई 2015 के मास्‍टर परिपत्र में समाहित और समय-समय पर यथा अद्यतन अनुदेशों के अनुसार बने रहेंगे वहीं 25 करोड़ रुपए तक की ऋण सीमा वाले एमएसएमई का पुनरुज्‍जीवन और पुनर्वास इन परिचालनात्‍मक अनुदेशों के अनुसार होगा। ऐेसे ऋण खाते जिनका एक्‍सपोजर 25 करोड़ रुपए से अधिक है की पुनर्संरचना कारपोरेट ऋण पुनर्संरचना (सीडीआर)/ संयुक्‍त उधारकर्ता मंच (जेएलएफ) प्रणाली पर वर्तमान दिशानिर्देशों द्वारा नियंत्रित होती रहेगी।

3. इस संशोधित ढांचे से रुग्‍ण माइक्रो और लघु उद्यमों की पुनर्वास पर दिनांक 1 नवंबर 2012 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.एमएसएमई एण्ड एनएफएस.बीसी.40/06.02.31/2012-13 द्वारा जारी पूर्ववर्ती दिशानिर्देश, केवल उक्‍त परिपत्र में संभाव्‍य रूप से अर्थक्षम इकाइयों की पुनर्व्‍यवस्‍था के लिए राहत और रियायतों तथा एकबारगी निपटान से संबंधित दिशानिर्देशों को छोड़कर, अधिक्रमित हुए हैं।

4. बैंकों को चाहिए कि वे वर्तमान अनुदेशों के अनुसार बड़े ऋणों पर जानकारी के केंद्रीय भंडार (सीआरआईएलसी) को 5 करोड़ रुपए और उससे अधिक के एक्‍सपोजर सीमा वाले सभी खातों की ऋण सूचना और एसएमए स्थिति देना जारी रखें।

5. कृपया प्राप्ति-सूचना दें और की गई कार्रवाई की रिपोर्ट 31 जुलाई 2016 तक प्रस्‍तुत करें।

भवदीया

(उमा शंकर)
मुख्य महाप्रबंधक

अनुलग्‍नक : यथोक्‍त

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