बैंकों में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन प्रणाली - अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारियों की भूमिका - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकों में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन प्रणाली - अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारियों की भूमिका
आरबाअई/2009-10/159 16 सितंबर 2009 अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक महोदय/महोदया बैंकों में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन प्रणाली - जैसा कि आप जानते है कि बैंकों मे कुछ वर्षों से धोखाधड़ी की घटनाएं दोनों अर्थात् धोखाधड़ी की संख्या तथा उससे जुड़ी राशि की दृष्टि से निरंतर बढ़ने की प्रवृत्ति दर्शा रही हैं । यह पाया गया है कि यह प्रवृत्ति खुदरा क्षेत्र में विशेष रूप से आवास व बंधक ऋणों, क्रेडिट कार्ड देय इंटरनेट बैंकिंग इत्यादि में चिंताजनक ज्यादा रही है। इसके अतिरिक्त यह चिंता की बात है कि बैंकिंग के पारंपरिक क्षेत्रों में धोखाधड़ी की घटनाएं जैसे कि नकदी ऋण, निर्यात वित्त, गारंटीयों, साख पत्रों इत्यादि में भी कम नहीं हुई हैं । हालांकि, बैंक के परिचालन वातावरण में कुछ संरचनात्मक घटकों सामान्य रूप से इस बढ़ती प्रवृत्ति का कारण हो सकते हैं तथापि तीव्र वृद्धि और विस्तार हेतु पर्याप्त/उचित आंतरिक नियंत्रण की स्थिति को सुनिश्चित किए बिना बैंकों द्वारा विशेषत: अपनाई गई आक्रामक व्यापारिक नीतियां व प्रकियाएं, प्रचालन स्टाफ को व्यापारिक लक्ष्यों की पूर्ति के प्रयास में नियंत्रण के मानकों को कम करने के लिए उत्साहित करती है। इसके अतिरिक्त, धोखाधड़ी के मामलों की लगातार बढ़ती हुई प्रवृत्ति इस तथ्य का संकेत है कि धोखाधड़ियों के अन्वेषण तथा फलस्वरूप आपराधिक अभियोजन हेतु धोखाधड़ी करने वालों की पहचान करने व धोखाधड़ी में शामिल स्टाफ सदस्यों के प्रति उचित आंतरिक दण्डात्मक कार्यवाही करने में बैंकों द्वारा उठाए गए कदम अपर्याप्त है । वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड ने, विशेष रूप से बड़ी राशियों के धोखाधड़ी के मामलों पर चर्चा करते हुए गंभीर चिंता व्यक्त की है कि धोखाधड़ी करने वाले लोग बैंक अधिकारियों से मिलकर, धोखाधड़ी पूर्ण लेन-देन को अंजाम देते हुए महीनों तक नियंत्रणों की व्यवस्था स्तरीय गड़गड़ी पैदा कर सकते हैं। 2. केंद्रीय सर्तकता आयोग केंद्रीय व अन्वेषण ब्यूरो द्वारा व्यक्त की गई चिंता को ध्यान में रखते हुए बैंकों को जनवरी 2004 में बड़ी राशियों की धोखाधड़ियोंजिसमें 1.00 करोड़ या अधिक राशि की बात हो की जांच करने तथा अनुवर्तन करने हेतु विशेष समिति के गठन करने का सुझाव दिया गया था। तथापि, हाल ही में हमें प्राप्त फीड बैक तथा धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाएं यह दर्शाती हैं कि बड़ी राशि वाली धोखाधड़ी के मामलों में, बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी की अध्यक्षता में समिति ने हमारे दिनांक 14 जनवरी, 2004 के परिपत्र डीबीएस.एफजीवी (एफ)सं.1004/23.04.01 ए/ 2003-04 में परिकल्पित के अनुरूप भूमिका का निर्वहन नहीं किया है। 3. उपरोक्त स्थिति को ध्यान में रखते हुए वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड ने महसूस किया है कि बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों को ‘धोखाधड़ी रोकथाम तथा प्रबंधन कार्य’ पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि अन्य बातों के अतिरिक्त धोखाधड़ी के मामलों में प्रभावी जांच हो व धोखाधड़ी के मामलों का तत्काल व सर्तर्क प्रतिवेदन उचित नियामक तथा विधि प्रवर्तन प्राधिकरणों (भारतीय रिज़र्व बैंक सहित) को किया जा सके । बोर्ड ने पाया कि अभिशासन मानकों की दृष्टि से, धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन तथा धोखाधड़ी का जांच कार्य का भी जिम्मा कम से कम बड़ी राशि की धोखाधड़ियों में बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, इसके बोर्ड की लेखा परिक्षा समिति तथा बोर्ड की विशेष समिति द्वारा लिया जाना चाहिए। तदनुसार, उन्हें नियंत्रणों की सर्वांगी में विफलता या मुख्य नियंत्रणों के अभाव या वर्तमान नियंत्रणों में भारी खामियां होने की जिम्मेवारी लेनी चाहिए। जो विशेष रूप से बड़ी राशियों की धोखाधड़ियों विशेष व्यापार क्षेत्रों में धोखाधड़ी के मामलों तेजी से वृद्धि में सहायक होती है जिससे और बैंक को भारी हानि उठानी पड़ती है। 4. वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड द्वारा उपरोक्त प्रेक्षणों के आलोक में, बैंकों को यथाशीघ्र आवश्यक कार्यवाही करने का सुझाव दिया जाता है । बैंक, संबंधित बोर्ड से अनुमोदन लेकर, धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन तथा धोखाधड़ी अन्वेषण कार्य हेतु आंतरिक नीतियां बना सकते हैं जो उनके बैंकों में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया की विफलता हेतु जवाबदेही तथा कार्य की जिम्मेवारी संबंधित उपरोक्त अभिशासन मानक पर आधारित हो । जिम्मेवारी तथा जवाबदेही के उपरोक्त मानक द्वारा संचालित व्यापक अभिशासन ढांचा परिभाषित तथा समर्पित संगठनात्मक ढांचे तथा ऐसी प्रचालन प्रक्रियाओं जिनमें से कुछ निम्नलिखित पैराग्राफों में दिए गए हैं पर आश्रित हो सकता है। 5. मुख्य कार्यपालक अधिकारी की अध्यक्षता में बैंक के बोर्ड की विशेष समिति को धोखाधड़ी अन्वेषण तथा निगरानी कार्य की जिम्मेवारी स्वीकार करनी चाहिए तथा संबंधित निरीक्षण उत्तरादायित्व का अग्रसक्रिय रूप में पालन करना चाहिए । वर्तमान में विशेष समितियों को बैंक के वरिष्ठ प्रबंधन द्वारा बड़ी राशियों वाला धोखाधड़ियों की घटनाओं की जानकारी दी जाती है । यह पाया गया है कि कथित समितियां अनुवर्तन कार्यवाहियों के संबंध में नैत्यक स्वरूप निदेश देती हैं निश्चित रूप से समितियों के निर्देशों को बैंकों की किसी भी समर्पित प्रचालन यूनिट द्वारा क्रियान्वित करने हेतु आदेशित नहीं किया गया है । इसलिए बैंक समिति के निर्देशों के क्रियान्वयन हेतु नीति दस्तावेज में प्रक्रियाएं निरूपित कर सकते हैं तथा यह दस्तावेज निर्देशों के क्रियान्वयन करने हेतु बैंक को एक समर्पित ईकाई प्रदान कर सकता है । इस संबंध में, बैंकों को सतर्कता कार्य, आंतरिक लेखा परीक्षा कार्य, जोखिम प्रबंधन कार्य के दायित्वों व भूमिकाओं की समीक्षा करनी होगी । समीक्षा के आधार पर यह निर्णय किया जा सकता है कि ‘‘निगरानी और बड़ी राशियों वाली धोखाधड़ियों के अन्वेषण’’ के एक पृथक ‘कार्य’ के रूप में पहचान सुनिश्चित करने के लिए कौन से पुनर्निर्धारण और सुधार कार्य आवश्यक हैं तथा यह भी कि एक समर्पित ईकाई जो पर्याप्त शक्तिसंपन्न है और स्वार्थों के सांव्य संघर्ष से मुक्त है को कार्य का दायित्व सौंपा जाए।
7. गंभीर गड़बड़ियों तथा धोखाधड़ियों के बीच क्षीण अंतर को देखते हुए, बैंक तत्काल पर्याप्त शक्तिसंपन्न तथा प्रभावी ‘आंतरिक निरीक्षण ढांचा’ स्थापित करे जो गड़बड़ियों को रोक सके तथा दोषियों के विरुद्ध दण्डात्मक उपाय कर सकेध। कृपया पावती भेजें। भवदीय (पी.के. पंडा) |