धोखाधड़ी -गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी रोकने की निगरानी के लिए भावी दृष्टिकोण - आरबीआई - Reserve Bank of India
धोखाधड़ी -गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी रोकने की निगरानी के लिए भावी दृष्टिकोण
भारिबैं/2007-08/ 257
गैबैंपवि. नीप्रभा. कंपरि. सं./ 112 /03.10.42/2007-2008
5 मार्च 2008
जमा स्वीकारने वाली सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ
(अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियें सहित)
प्रिय महोदय
धोखाधड़ी -गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी रोकने की निगरानी के लिए भावी दृष्टिकोण
कृपया उल्लिखित विषय पर 4 सितंबर 2007 का कंपनी परिपत्र(सीसी) सं. 106 देखें जिसे अब निम्नवत संशोधित किया गया है:
पैरा 2.2 - ऊपर मद (घ और च ) में संदर्भित ‘लापरवाही और नकदी की कमी’ तथा ‘विदेशी मुद्रा संबंधी लेनदेनों में अनियमितताओं’ के मामलों को धोखाधड़ी के रूप में सूचित किया जाए, यदि छल करने/धोखा देने के इरादों का संदेह हो/का इरादा साबित हो गया हो। तथापि, निम्नलिखित मामलों में जहाँ पकड़े जाने के समय कपटपूर्ण इरादा संदेह वाला न हो/साबित न हो गया हो, को धोखाधड़ी माना जाएगा और रिपोर्ट किया जाएगा:
(क) 10,000/- रुपए से अधिक की नकदी की कमी के मामले; और
(ख) प्रबंध-तंत्र/लेखापरीक्षक/ निरीक्षण अधिकारी द्वारा पकड़े गए 5,000/- रुपए से अधिक की नकदी की कमी के मामले जो नकदी का काम करने वाले व्यक्ति द्वारा घटित होने पर रिपोर्ट न किये गये हों।
2. ये अनुदेश भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-“ तथा 45-" के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शत्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किये जा रहे हैं।
3. मार्गदर्शी सिद्धांतों की अद्यतन प्रति सावधानी पूर्वक अनुपालन किए जाने के लिए अनुलग्न है।
भवदीय
(पी. कृष्णमूर्ति)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक