शहरी सहकारी बैंकों में धोखाधड़ी – निगरानी और रिपोर्टिंग पद्धति में परिवर्तन - आरबीआई - Reserve Bank of India
शहरी सहकारी बैंकों में धोखाधड़ी – निगरानी और रिपोर्टिंग पद्धति में परिवर्तन
आरबीआई/2015-16/399 19 मई 2016 मुख्य कार्यकारी अधिकारी महोदय/ महोदया, शहरी सहकारी बैंकों में धोखाधड़ी – निगरानी और रिपोर्टिंग पद्धति में परिवर्तन कृपया दिनांक 01 जुलाई 2015 का धोखाधड़ी- वर्गीकरण और रिपोर्टिंग पर हमारे मास्टर परिपत्र सं. डीसीबीआर.केंका.बीपीडी.एमसी.नं.1/12.05.001/2015-16 का अवलोकन करें। 2. समीक्षा कर यह निर्णय लिया गया कि भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों तथा केंद्रीय धोखाधड़ी नियंत्रण कक्ष (सीएफ़एमसी) में धोखाधड़ी नियंत्रण और रिपोर्टिंग पद्धति में परिवर्तन किया जाए। तदनुसार, इसके बाद से
3. शहरी सहकारी बैंकों द्वारा धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग इसके परिणाम स्वरूप धोखाधड़ी मामलों की रिपोर्टिंग पद्धति निम्नवत होंगी: 3.1 ₹ 1.00 लाख से कम धनराशि वाली धोखाधड़ी मामलों की व्यक्तिगत रिपोर्टिंग भारतीय रिज़र्व बैंक को करने की आवश्यकता नहीं है। तथापि, जैसा पूर्व में किया जाता रहा है, ऐसी धोखाधड़ी वाले मामले के संबंध में सांख्यिकी डाटा निर्धारित तिमाही विवरणी में भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किया जाए। 3.2 ₹ 1.00 लाख तथा उससे अधिक का किन्तु ₹ 1.00 करोड़ से कम व्यक्तिगत धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग ऐसी धोखाधड़ी का पता चलने के तीन सप्ताह के अंदर एफ़एमआर-1 फार्मेट में भारतीय रिज़र्व बैंक, क्षेत्रीय कार्यालय के सहकारी बैंक पर्यवेक्षण विभाग (डीसीबीएस) को किया जाए जिसके अधिकार क्षेत्र में बैंक का प्रधान कार्यालय आता है। 3.3 ₹ 1.00 करोड़ तथा उससे अधिक धनराशि वाली व्यक्तिगत धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग ऐसी धोखाधड़ी का पता चलने के तीन सप्ताह के अंदर एफएमआर-1 फार्मेट में केंद्रीय धोखाधड़ी नियंत्रण कक्ष (सीएफ़एमसी), बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग (डीबीएस) भारतीय रिज़र्व बैंक, बेंगलूर को करनी चाहिए तथा इसकी एक प्रतिलिपि भारतीय रिज़र्व बैंक, क्षेत्रीय कार्यालय के सहकारी बैंक पर्यवेक्षण विभाग (डीसीबीएस) को प्रस्तुत की जाए जिसके अधिकार क्षेत्र में बैंक का प्रधान कार्यालय आता है। 3.4 तद्नुसार, ₹ 1.00 करोड़ तथा उससे अधिक की धनराशि वाली धोखाधड़ी के मामलों में, ऐसी धोखाधड़ी की सूचना बैंक के प्रधान कार्यालय को प्राप्त होने के एक सप्ताह के अंदर, प्रधान मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई को संबोधित अर्ध शासकीय पत्र के प्रारूप में एक फ्लैश रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए तथा इसकी एक प्रतिलिपि भारतीय रिज़र्व बैंक, क्षेत्रीय कार्यालय के सहकारी बैंक पर्यवेक्षण विभाग (डीसीबीएस) को प्रस्तुत की जाए जिसके अधिकार क्षेत्र में बैंक का प्रधान कार्यालय आता है। 4. इसके अतिरिक्त, आप गैर-सांविधिक विवरणियों के हार्ड प्रति को प्रस्तुत नहीं करने के संबंध में विदित होंगे। पुन: उल्लेख किया जाता है कि एफएमआर-1 की प्रस्तुति सॉफ्ट प्रति में ई मेल के माध्यम से उपर्युक्त पैरा 3.2 और 3.3 में विनिर्दिष्ट रिपोर्टिंग पद्धति के अनुसार की जाए। तथापि, शहरी सहकारी बैंकों को इस आशय का एक प्रमाण पत्र देना होगा कि ₹ 1.00 लाख तथा उससे अधिक धनराशि की सभी धोखाधड़ी के मामलों की रिपोर्टिंग माह के दौरान ई मेल के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक को की गई है। महिना समाप्त होने के सात दिनों के अंदर प्रमाण पत्र सीएफएमसी, बेंगलूरू को प्रस्तुत की जाए तथा इसकी एक प्रतिलिपि भारतीय रिज़र्व बैंक, क्षेत्रीय कार्यालय के सहकारी बैंक पर्यवेक्षण विभाग (डीसीबीएस) को प्रस्तुत की जाए जिसके अधिकार क्षेत्र में बैंक का प्रधान कार्यालय आता है। अनुबंध -1 में इसका प्रारूप दिया गया है। 5. उपर्युक्त परिवर्तन इस परिपत्र की तारीख से प्रभावी होंगे। धोखाधड़ी- वर्गीकरण और रिपोर्टिंग पर दिनांक 01 जुलाई 2015 का मास्टर परिपत्र में निहित अन्य सभी अनुदेश अपरिवर्तित रहेंगे। भवदीया (मालविका सिन्हा) एफएमआर-1 के माध्यम से धोखाधड़ी मामलों की रिपोर्टिंग के संबंध में मासिक प्रमाण पत्र बैंक का नाम : दिनांक: माह के लिए प्रमाण पत्र: यह प्रमाणित किया जाता है कि ...........................माह के दौरान भारतीय रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट की जाने वाले निम्नलिखित धोखाधड़ी मामलों की सॉफ्ट प्रति को ई मेल के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक को भेजा गया है।
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