धोखाधड़ी -गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी रोकने की निगरानी के लिए भावी दृष्टिकोण - आरबीआई - Reserve Bank of India
धोखाधड़ी -गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी रोकने की निगरानी के लिए भावी दृष्टिकोण
भारिबैं/2007-08/130
गैबैंपवि. नीप्र. सीसी/ 106 /03.10.42/2007-2008
4 सितंबर 2007
जमा स्वीकारने वाली सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ
(अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियें सहित)
प्रिय महोदय
धोखाधड़ी -गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी रोकने की निगरानी के लिए भावी दृष्टिकोण
कृपया आप उल्लिखित विषय पर 26 अत्तूबर 2005 का कंपनी परिपत्र(सीसी) सं. 59 देखें। उक्त परिपत्र के पैराग्राफ 3.1.4 में सूचित किया गया था कि 25 लाख रुपए एवं अधिक की धोखाधड़ियों वाले मामले में FMR-1 विवरणी ’धोखाधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, केंद्रीय कार्यालय को ही प्रस्तुत की जाएं। अब यह निर्णय लिया गया है कि 25 लाख रुपए एवं अधिक की धोखाधड़ियों वाले मामले में FMR-1 विवरणी की एक प्रति गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय को भी भेजी जाए जिसके अधिकार क्षेत्र में संबंधित कंपनी का पंजीकृत कार्यालय आाता है। तदनुसार पेराग्राफ 3.1.4 संशोधित कर दिया गया है। इसके अलावा तिमाही विवरणी इश्ीं-3 को "1 लाख रुपए और अधिक की धोखाधड़ियों संबंधी तिमाही प्रगति रिपोर्ट" का नाम दिया गया है।
2. ये अनुदेश भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 K तथा 45 L के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शत्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किये जा रहे हैं ।
3. सावधानीपूर्वक अनुपालन किए जाने के लिए मार्गदर्शी सिद्धांतों की अद्यतन प्रति अनुलग्न है।
भवदीय
(पी. कृष्णमूर्ति)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक