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निर्यातकों के लिए गोल्ड काड़ योजना

भारतीय रिज़र्व बैंक /2004/203
औनिऋवि सं. 12 /04.02.02/गोल्ड काड़/ 2003-04

मई 18, 2004

समस्त अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक

महोदय,

निर्यातकों के लिए गोल्ड काड़ योजना

जैसा कि आपको ज्ञात है, 28 जनवरी, 2004 की निर्यात-आयात नीति 2003-04 में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने इंगित किया है कि अच्छे ट्रैक रिकाड़ के साथ ऋण पाने की योग्यता रखने वाले निर्यातकों को सर्वोत्तम शर्तों पर आसान निर्यात ऋण उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा गोल्ड काड़ योजना बनाई जाएगी । तदनुसार, जैसे कि 18 मई, 2004 के भारतीय रिज़र्व बैंक वार्षिक नीति विवरण 2004-05 के पैरा 92 में दर्शाया गया है , चुनिंदा बैंकों और निर्यातकों के साथ मशविरा करने के बाद यह योजना बनाई गई। इस योजना की एक प्रति संलग्न की गई है ।

2. प्रत्येक बैंक द्वारा अपने निर्धारित मानदंडों के अनुसार, अच्छा ट्रैक रिकाड़रखने वाले और ऋण पाने के योग्य, लघु और मध्यम क्षेत्र के निर्यातक सहित सभी निर्यातक गोल्ड काड़ प्राप्त करने के हकदार होंगें ।गोल्ड काड़ धारकों को बैंकों से मिलने वाले वाले फायदों के बारे में स्पष्ट बता दिया जाए ।

3. गोल्ड काड़ योजना के अंतर्गत निर्यात ऋण देने संबंधी आँकड़ों को जून 2004 को समाप्त होने वाली तिमाही से प्रत्येक तिमाही के अंतिम रिपोर्टिग शुक्रवार को निर्यात ऋण संवितरण और बकाया शेष संबंधी फार्म ’सी’ में तिमाही विवरण में अतिरिक्त जानकारी के रूप में दिखाया जाए ।(संशोधित प्रपत्र संलग्न)

वफ्पया पत्र की पावती दीजिए ।

भवदीया,

 

(श्रीमती आर के माखीजा)

मुख्य महाप्रबंधक

संलग्नक: 5 पफ्ष्ठ

निर्यातकों के लिए गोल्ड काड़ योजना

प्राक्कथन

भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था में निर्यात निर्णायक भूमिका अदा करते हैं जिसमें निर्यात को बढ़ावा देने पर अत्यधिक महत्व दिया जाता है । निर्यात संवर्द्धन के उपायों की समग्र रणनीति के एक हिस्से के तौर पर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने निर्यात क्षेत्र में प्रतियोगी दर पर ब्याज दर लगाने तथा प्रक्रियागत रुकावटों को दूर करने के लिए ,वित्तीय सहायता देने के उद्देश्य से उपयुक्त और सामयिक प्रावधान सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। निर्यातकों, खासकर छोटे और मध्यम निर्यातकों को और अधिक सरलता से बैंक ऋण उपलब्ध कराने में तथा प्रक्रिया और ऋण की शर्तों को उधारकर्ताओं के लिए सुविधाजनक बनाने की दृष्टि से , वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने ऋण पाने की योग्यता रखने के साथ अच्छा ट्रैक रिकाड़ रखने वाले निर्यातकों को सर्वोत्तम शर्तों(वर्ष 2003-04 की निर्यात- आयात नीति के अनुसार) पर निर्यात ऋण सुलभ कराने के लिए गोल्ड काड़ जारी करने का प्रस्ताव किया है । तदनुसार, चुनिंदा बैंकों और निर्यातकों के परामर्श से गोल्ड काड़ योजना (योजना) बनाई गई। इस योजना में निर्यातकों की कार्यक्षमता के अच्छे ट्रैक रिकाड़ के आधार पर उन्हें अतिरिक्त फायदे मिलेंगें। अपने अच्छे ट्रैक रिकाड़ वे होने से गोल्ड काड़ धारक को अधिक सक्षमतापूर्वक और सरलतापूर्वक ऋण मिलने की सहुलियत होगी ।

2. योजना के उद्देश्य

2.1 अच्छा ट्रैक रिकाड़ रखने वाले और ऋण की योग्यता रखने वाले गोल्ड काड़ धारक निर्यातकों को अन्य निर्यातकों की तुलना में, बेहतर शर्तों पर ऋण दिया जाएगा ।

2.2 अन्य निर्यातकों की तुलना में ऋण के आवेदनों को सरल और तेज प्रक्रिया के मानकों पर निबटाया जाएगा ।

2.3 स्वत: नवीनीकरण हो जाने के प्रावधान के साथ "सिद्धांतत:" सीमाओं को 3 वर्ष के लिए मंजूर किया जाएगा, बशर्ते मंजूरी की शर्तें पूरी होती हो।

2.4 गोल्ड काड़ धारकों को विदेशी मुद्रा में पैकिंग ऋण (पी सी एफ सी ) मंजूर करने में प्राथमिकता दी जाएगी ।

2.5 निर्धारित समय में निर्यात बिलों की वसूली करने के रिकाड़ के आधार पर ,ऐसे गोल्ड काड़ धारकों को अपनी अविलंब भुगतान की बाध्यताओं, आदि को पूरा करने के लिए विदेशी मुद्रा क्रेडिट काड़ जारी करने पर विचार किया जाएगा ।

2.6 बैंकों द्वारा निर्यातकों को दी जाने वाली प्रभार अनुसूची और फीस जैसी सेवाएँ ,ं इस योजना के अंतर्गत अन्य निर्यातकों की तुलना में कम ली जाएँगी।

2.7 चूँकि गोल्ड काड़ धारकों के टै्रक रिकाड़ और ऋण पाने की योग्यता के आधार पर गोल्ड काड़ धारकों की प्रामाणिकता परख ली जाएगी, गोल्ड काड़ योजना के अंतर्गत निर्यात ऋण मंजूर करते समय संपाश्र्विकता और प्रतिभूतियों संबंधी मानकों में शिथिलता बरती जाएगी ।

    1. बैंक , निर्यातकों को अन्य कोई सुविधा / लाभ देने पर विचार कर सकते हैं बशर्ते वे निर्यात वित्त पर लागू होने वाले वर्तमान नियमों और विनियमावलियों को पूरा करते हो ।

3. योजना की मुख्य विशेषताएँ

3.1 पात्रता

3.1.1 व्यक्तिगत वित्त पोषण बैंक के सम्मत ऋण पाने की योग्यता और अच्छा रिकाड़ रखने वाले सभी निर्यातक पात्र होंगे ।

3.1.2 जिन निर्यातकों के खाते लगातार तीन वर्षों की अवधि तक ’ मानक’ श्रेणी में रखे जाते हैं और जिनमें किसी प्रकार की अनियमितताएँ/ प्रतिकूल बातें व्यक्त नहीं की गई हैं, उन्हें अच्छा ट्रैक रिकाड़ रखने वाले माना जा सकता है ।

3.1.3. जिन निर्यातकों को ई सी जी सी द्वारा काली सूची में या भारतीय रिज़र्व बैंक की चूककर्ता /सावधान सूची या पिछले तीन वर्षों में घाटा दिखाने वाले या चालू वर्ष टर्नओवर में 10 प्रतिशत से अधिक निर्यात बिलों का अतिदेय है, ऐसे निर्यातकों के लिए यह योजना लागू नहीं होगी ।

3.1.4 यथावर्णित शर्तों को पूरा करने वाले छोटे और मध्यम क्षेत्रों सहित सभी पात्र निर्यातकों को इस योजना के अंतर्गत गोल्ड काड़ जारी किया जाएगा ।

3.2 ऋण सीमा का निर्धारण

3.2.1 इस योजना के अंतर्गत ऋण सीमा की मंजूरी और नवीनीकरण बैंकों द्वारा निश्चित सरलीवफ्त पद्धति के आधार पर की जाएगी। निर्यातक के ट्रैक रिकाड़ और अनुमानित टर्नओवर को ध्यान में रखते हुए बैंक उदार रुख अपनाकर आवश्यकता के अनरूप वित्त का निर्धारण कर सकते हैं । "सिद्धांतत: "सीमा 3 वर्षों के लिए मंजूर की जाएगी जिसमें स्वत: नवीनीकरण का प्रावधान है बशर्ते मंजूरी की शर्तें पूरी होती हो ।

3.2.2 एक पारदर्शी रेटिंग प्रणाली के आधार पर, ब्याज दर सहित सभी शर्तें बैंकों द्वारा निश्चित की जाएगी, जिसमें गोल्ड काड़ धारकों के प्रति नरम रूख अपनाया जाएगा ।

3.2.3 एफ सी एन आर (बी) निधि आदि के विरुद्ध लोन मंजूर करने के संबंध में ,बैंव यह सुनिश्चित करें कि गोल्ड काड़ धारकों की पी सी एफ सी जरुरतें पूरी करने के लिए गैर- निर्यातक उधारकर्ताओं से प्राथमिकता दी जाए ।

3.2.4 यथायोग्य मामलों में, बैंक उनके एफ सी एन आर (बी), आर एफ सी ,इत्यादि निधियों से विदेशी मुद्रा में मियादी लोन मंजूर किया जाएगा .( बैंकों को ये लोन अपने समुद्रपारीय उधारी के 25 प्रतिशत विंडो या समुद्रपारीय ऋण व्यवस्था के अधीन मंजूर नहीं करना चाहिए .)

3.2.5 इस योजना के अंतर्गत ऋण सीमा की मंजूरी के लिए प्राप्त आवेदन पत्रों को निबटाने के लिए बैंकों द्वारा निर्धारित समय सीमा निम्नलिखित होगी :

नए आवेदन पत्रों के निबटान के लिए 25 दिन

ऋण सीमा का नवीनीकरण 15 दिन

तदर्थ ऋण सीमा की मंजूरी 07 दिन

3.2.6 पूर्वानुमान से अधिक प्राप्त होने वाले आड़र को स्वीकार करने व ी त्वरित आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अनुमानित सीमा का 20 प्रतिशत आपाती सीमा अतिरिक्त रूप से रखी जानी चाहिए ।मौसमी वस्तुओं के निर्यातकों के मामले में तेजी और मंदी का स्तर स्पष्ट रुप से दिखाया जाना चाहिए ।

3.2.7 निर्यात ऋण सीमा के आवेदन पत्र का प्रारूप युक्तिसंगत और सरलीवफ्त बनाया जाए जिसमें सिर्फ वे ही विवरण मांगे जाए जो निर्यात ऋण मंजूर करने से संबंधित हो ।आई बी ए द्वारा कार्यशील पूंजीऋण सुविधाओं के लिए तैयार किए गए सरलीवफ्त फार्म को आवश्यक संशोधनों के साथ अपनाया जा सकता है ।

3.2.8 पूर्वानुमान से अधिक निर्यात आड़र प्राप्त होने की स्थिति में,निर्यात आड़र के आकार और प्रवफ्ति को ध्यान में रखकर ,वस्तु सूची के मानकों में शिथिलता दी जाए ।

3.2.9 निर्यातकों के कार्यनिष्पादन का रिकाड़ समय-समय पर पुनरीक्षित किया जाए, ताकि बेहतर शर्तों वाले लाभ जिसमें बेहतर कार्यनिष्पादन के लिए ब्याज दर सम्मिलित है, दिए जा सकें ।

3.3 ब्याज की दर

3.3.1 गोल्ड काड़ योजना के अंतर्गत लगाया जानेवाली ब्याजदर प्रत्येक बैंक में निर्यात ऋण की सामान्य दर से अधिक न हो और भारतीय रिज़र्व बैंक की निर्धारित सीमा के भीतर हो ।इस योजना के अभिप्राय के मद्देनजर बैंक, गोल्ड काड़ धारकों को उनकी रेटिंग और पिछले कार्यनिष्पादन के आधार पर सबसे अच्छी संभावित दर देने का प्रयास करेंगें ।

3.3.2 गोल्ड काड़ धारकों वे संबंध में ,पोत लदान पश्च रुपया निर्यात ऋण के लिए 90 दिनों तक लगाई जाने वाली रियायती ब्याज की दरें अधिकतम 365 दिनों की अवधि के लिए भी उसी दर से लगाई जाए ।

3.4 सेवा प्रभार / ई सी जी सी प्रीमियम

3.4.1 इस योजना के अंतर्गत बैंकों द्वारा निर्यातकों को दी जाने वाली सेवाओं के प्रभारों और फीस के स्वरूप को अन्य निर्यातकों को दी जाने वाली सेवाओं से अपेक्षावफ्त कम रखा जाए ।

3.4.2. भारतीय निर्यातकों को दिए जाने वाले ऋणों की ब्याज दरें लिबॉर से 0.75 प्रतिशत से अधिक नही ं होनी चाहिए । किसी परिस्थिति में, यदि बैंक के पास निर्यातकों को देने के लिए पर्याप्त डॉलर उपलब्ध नहीं हो तब, इस उद्देश्य के लिए अंतर- बैंकिंग विदेशी मुद्रा उधार लेने के लिए 0.1 प्रतिशत की एक समान दर पर सेवा प्रभार लिए जाएँ ।

3.4.3 अपनी ऋण की योग्यता को ध्यान में रखते हुए, गोल्ड काड़ धारकों को ई सी जी सी की पैकिंग ऋण गांरटी-सेक्टोरल योजना के अंतर्गत , स्वविवेक से उपयुक्त समझे जाने वाले मामलों में ई सी जी सी गारंटी से छूट दी जा सकती है ।

3.5 कालावधि

3.5.1 गोल्ड काड़ 3 वर्ष की अवधि के किए जारी किए जाएँगे और यदि खातों में कोई अनियमितताएँ/ प्रतिकूल बातें नहीं हों तब इसे अगले 3 वर्षों के लिए नवीनीवफ्त किया जा सकेगा ।काड़ के दुरुपयोग होने या शर्तों व ा किसी प्रकार से उल्लंघन होता पाए जाने की स्थितिे बैंकों को किसी भी समय काड़ वापस लेने का अधिकार है ।

अतिरिक्त सुविधाएँ

3.6.1 ए टी एम, इंटरनेट बैंकिंग, अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट/ डेबिट काड़ जैसी सहायक सेवाओं के द्वारा अपने काड़ की उपयोगिता और अधिक बढ़ाने का निर्णय जारीकर्ता बैंक द्वारा लिया जा सकता है ।

3.6.2 प्रत्येक बैंक द्वारा गोल्ड काड़ धारकों को प्राप्त होने वाले लाभों को स्पष्ट रूप से दर्शाया जाए और इस जानकारी व े व्यापक प्रसार के लिए अपनी वेबसाइट पर प्रसारित किया जाए ।



भारतीय रिज़र्व बैंक /2004/204

औनिऋवि सं. 13 /04.02.02/गोल्ड काड़/ 2003-04

मई 18, 2004

सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंव ों के

समस्त अध्यक्ष /मुख्य कार्यपालक

महोदय,

गोल्ड काड़ धारक निर्यातकों के लिए निर्यात ऋण दरें

वफ्पया, हमारे रुपया निर्यात ऋण ब्याज दरों संबंधी 24 अप्रैल, 2004 का परिपत्र औनिऋवि सं. 10/ 04.02.01/ 2003-04 देखें ।

पोत लदान पश्च निर्यात ऋण पर ब्याज दरों में आंशिक संशोधन करते हुए यह निर्णय लिया गया है कि 18 मार्च 2004 से, रुपया निर्यात ऋण के संबंध में 90 दिनों तक की ब्याज दरें , भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा घोषित गोल्ड काड़ योजना के अंतर्गत निर्यातकों को 365 दिनों की अवधि तक लगाई जाए ।

वफ्पया पत्र की पावती दीजिए ।

 

भवदीया,

(श्रीमती आर.के. माखीजा)

मुख्य महाप्रबंधक

संलग्न : यथोपरि


 

निदेश बैं प वि वि. सं बी सी. 85 / 13.07.01/ 2003-04

मई 18, 2004

अग्रिमों पर ब्याज दरें

बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949, व ी धारा 21 और 35 ए द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए ,इस बात से संतुष्ट होने के बाद कि ऐसा करना जन हित में आवश्यक और समीचीन है ,एतद् द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक निदेश देता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा घोषित गोल्ड काड़ योजना के अंतर्गत पात्र निर्यातकों के लिए 18 मई, 2004 से पोत लदानपश्च रुपया निर्यात ऋण पर 90 दिनों तक लगाए जाने वाली ब्याज दर अधिकतम 365 दिनों के ऋण के लिए लगाई जाएगी ।

 

(पी.वी.सुब्बाराव )

कार्यपालक निदेशक

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