स्वर्ण ऋण - स्वर्ण अलंकरणों और गहनों को गिरवी रखकर ऋण देने में पाई गईं अनियमितताएं - आरबीआई - Reserve Bank of India
स्वर्ण ऋण - स्वर्ण अलंकरणों और गहनों को गिरवी रखकर ऋण देने में पाई गईं अनियमितताएं
पवि.केंका.पीपीजी.एसईसी.10/11.01.005/2024-25 30 सितंबर 2024 सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंकों सहित, लेकिन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और भुगतान बैंक को छोड़कर) महोदया/महोदय, स्वर्ण ऋण - स्वर्ण अलंकरणों और गहनों को गिरवी रखकर ऋण देने में पाई गईं अनियमितताएं कृपया भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी परिपत्रों1 का संदर्भ लें, जिनमें पर्यवेक्षित संस्थाओं (एसई) की विभिन्न श्रेणियों के लिए सोने के अलंकरणों और गहनों को गिरवी रखकर ऋण देने संबंधित विविध विवेकपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं 2. रिज़र्व बैंक ने हाल ही में स्वर्ण अलंकरणों और गहनों को गिरवी रखकर ऋण देने के संबंध में एसई द्वारा अपनाई जा रही प्रथाओं और विवेकपूर्ण दिशा-निर्देशों के पालन की समीक्षा की है। समीक्षा, साथ ही रिज़र्व बैंक द्वारा चुनिंदा एसई की ऑनसाइट जांच के निष्कर्ष, इस गतिविधि में कई अनियमित प्रथाओं को इंगित करते हैं। प्रमुख कमियों में शामिल हैं (i) ऋणों की सोर्सिंग और मूल्यांकन के लिए तृतीय पक्षकारों के उपयोग में खामियाँ; (ii) ग्राहक की अनुपस्थिति में सोने का मूल्यांकन; (iii) अपर्याप्त समुचित सावधानी और स्वर्ण ऋणों के अंतिम उपयोग की निगरानी का अभाव; (iv) ग्राहक द्वारा चूक किए जाने पर स्वर्ण अलंकरणों और गहनों की नीलामी के दौरान पारदर्शिता का अभाव; (v) एलटीवी की निगरानी में कमियां; और (vi) जोखिम-भार का गलत अनुप्रयोग आदि। संलग्न अनुबंध में इस संबंध में आगे के विवरण शामिल हैं। 3. इसलिए, सभी पर्यवेक्षित संस्थाओं को सूचित किया जाता है कि वे स्वर्ण ऋण के संबंध में अपनी नीतियों, प्रक्रियाओं और प्रथाओं की इस सूचना में जिन्हें रेखांकित किया गया है उन्हें शामिल करते हुए, अंतरालों की पहचान करने हेतु व्यापक समीक्षा करें और समयबद्ध तरीके से उपयुक्त उपचारात्मक उपाय शुरू करें। इसके अलावा स्वर्ण ऋण पोर्टफोलियो की खासकर कुछ पर्यवेक्षित संस्थाओं में पोर्टफोलियो में उल्लेखनीय वृद्धि के मद्देनजर बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए। यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आउटसोर्स गतिविधियों और तृतीय पक्ष के सेवा प्रदाताओं पर पर्याप्त नियंत्रण की व्यवस्था है। 4. उपर्युक्त के संबंध में की गई कार्रवाई की जानकारी इस परिपत्र की तिथि से तीन महीने के भीतर रिज़र्व बैंक के वरिष्ठ पर्यवेक्षी प्रबंधक (एसएसएम) को दी जानी चाहिए। इस संबंध में विनियामक दिशानिर्देशों का अनुपालन न करने को गंभीरता से लिया जाएगा और अन्य बातों के अलावा आरबीआई द्वारा पर्यवेक्षी कार्रवाई भी हो सकती है। 5. यह परिपत्र तत्काल प्रभाव से लागू होता है। भवदीय, (तरुण सिंह) संलग्नक: यथोक्त चुनिंदा पर्यवेक्षित संस्थाओं में स्वर्ण ऋणों की समीक्षा के दौरान पाई गई कमियों की निदर्शी सूची
1 बासेल III विनियमों पर मास्टर परिपत्र दिनांक 12 मई 2023 (समीक्षा के समय लागू); ऋण और अग्रिम पर मास्टर परिपत्र दिनांक 1 जुलाई 2015; मास्टर निदेश– भारतीय रिज़र्व बैंक (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी – स्केल आधारित विनियमन) निदेश, 2023 दिनांक 19 अक्तूबर 2023 (समय-समय पर अद्यतन); मास्टर परिपत्र – अग्रिमों का प्रबंधन – यूसीबी दिनांक 25 जुलाई 2023; और मास्टर परिपत्र – प्राथमिक यूसीबी के लिए पूंजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड दिनांक 20 अप्रैल, 2023. |