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स्‍वर्ण (धातु) ऋण (जीएमएल)

आरबीआई/2013-14/551
बैंपविवि. सं.आईबीडी. बीसी. 104/23.67.001/2013-14

2 अप्रैल 2014

सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय/महोदया

स्‍वर्ण (धातु) ऋण (जीएमएल)

कृपया हमारा 5 सितंबर 2005 का परिपत्र बैंपविवि. सं. आईबीडी. बीसी. 33/23.67.001/2005-06 तथा 3 अप्रैल 2007 का परिपत्र बैंपविवि. सं. आईबीडी. बीसी. 71/23.67.001/2006-07 देखें, जिनमें बैंकों को सूचित किया गया था कि वे स्‍वर्ण ऋणों का अंतिम उपयोग सुनिश्चित करें तथा इस क्षेत्र में धोखाधड़ी की संभावना का निराकरण करने हेतु उपयुक्‍त जोखिम प्रबंधन और ऋण देने संबंधी नीति का भी निर्धारण करें।

2. यह हमारे ध्‍यान में आया है कि जीएमएल उपलब्‍ध कराने वाले कुछ बैंक विस्‍तृत साख मूल्‍यांकन किए बिना ही मुख्‍यतः अन्‍य बैंकों द्वारा जारी स्‍टैंड-बाय साख पत्र/बैंक गारंटी के भरोसे स्‍वर्ण धातु ऋण दे रहे हैं। यदि बिक्री से प्राप्‍त राशि जीएमएल उपलब्‍ध कराने वाले बैंक के माध्‍यम से नहीं आती, तो वे उधार दिए गए स्‍वर्ण के अंतिम उपयोग की निगरानी नहीं कर सकते। इसके अलावा, स्‍टैंड-बाय साख पत्र/बैंक गारंटी जारी करने वाले बैंक अक्‍सर उधारकर्ताओं का उचित साख मूल्‍यांकन नहीं करते। उचित निगरानी प्रणाली के अभाव में तथा जीएमएल का अंतिम उपयोग सुनिश्चित न करने के परिणामस्‍वरूप कुछ बेईमान जौहरियों ने जीएमएल से संबंधित धोखाधड़ी/दुरुपयोग किया है। जीएमएल उधारकर्ताओं द्वारा योजना में धोखाधड़ी/दुरुपयोग किये जाने के जोखिम कम करने की दृष्टि से यह सूचित किया जाता है कि स्‍टैंड-बाय साख पत्र/बैंक गारंटी जारी करने वाले बैंक तथा जीएमएल उपलब्‍ध कराने वाले बैंकों को निम्‍नलिखित अतिरिक्‍त दिशानिर्देशों को ध्‍यान में रखना चाहिए :

  1. स्टैंड-बाय साख पत्र/बैंक गारंटी जारी करने वाले बैंक को विस्‍तृत साख मूल्‍यांकन करना चाहिए तथा स्टैंड-बाय साख पत्र/बैंक गारंटी (गैर-निधि आधारित सीमा) को निधि आधारित सीमा के समकक्ष पर मानना चाहिए। इसी प्रकार, जीएमएल का संवितरण करनेवाले बैंक को उधारकर्ता का साख मूल्‍यांकन करना चाहिए। उसे अन्‍य बैंकों द्वारा जारी स्टैंड-बाय स्‍वतंत्र साख पत्र/बैंक गारंटी पर पूर्णतः निर्भर नहीं रहना चाहिए।

  2. उधारकर्ता की ऋण अपेक्षा का मूल्‍यांकन करते समय स्टैंड-बाय साख पत्र/बैंक गारंटी जारी करने वाले बैंक तथा जीएमएल संवितरण करने वाले बैंक को अन्‍य बातों के साथ-साथ निम्‍नलिखित पहलुओं को ध्‍यान में रखना चाहिए :

    • उधारकर्ता का पिछला कार्य निष्‍पादन रिकॉर्ड,

    • विनिर्माण कार्यकलाप का व्‍यापार चक्र,

    • उधारकर्ता की ऋण पात्रता,

    • उधारकर्ता द्वारा प्रस्‍तावित संपार्श्विक जमानत, आदि

  3. स्‍वर्ण आभूषणों के निर्माता की बाजार में अच्‍छी साख और प्रतिष्‍ठा होनी चाहिए, चाहे स्‍वर्ण धातु ऋण अन्‍य बैंक द्वारा जारी स्टैंड-बाय साख पत्र/बैंक गारंटी के माध्‍यम से लिया हो, या सीधे नामित बैंक से। इसकी पुष्टि बाजार तथा साख सूचना कंपनियों सहित अन्‍य स्रोतों से प्राप्‍त सूचना से की जानी चाहिए।

  4. परिक्रामी स्टैंड-बाय साख पत्र/बैंक गारंटी अर्थात् जहां पिछले ऋण की चुकौती के बाद स्टैंड-बाय साख पत्र/बैंक गारंटी जारी करने वाले बैंक को आगे संदर्भ भेजे बिना मूल ऋण सीमा पुनः स्‍थापित की जाती है, पर स्‍वर्ण धातु ऋण के मामले में, दोनों बैंक, अर्थात् स्‍वर्ण धातु ऋण उपलब्‍ध कराने वाले बैंक तथा स्टैंड-बाय साख पत्र/बैंक गारंटी जारी करने वाले बैंक ऋण व्‍यवस्‍था की सावधानीपूर्वक निगरानी के लिए एक प्रणाली विकसित कर सकते हैं। ऐसे मामलों में स्‍वर्ण धातु ऋण उपलब्‍ध कराने वाले बैंक को ऋण सीमा की पुनः स्‍थापना करने से पहले स्टैंड-बाय साख पत्र/बैंक गारंटी जारीकर्ता बैंक से पुष्टि प्राप्‍त करनी चाहिए। जारीकर्ता बैंक से गारंटी की वास्‍तविकता का सत्‍यापन करने के संबंध में वर्तमान दिशानिर्देश गारंटियां और सह-स्‍वीकृति पर मास्‍टर परिपत्र (बैंपविवि.सं. डीआईआर. बीसी.12/13.03.00/2013-14 दिनांक 01 जुलाई 2013) में दिए गए हैं। बैंकों द्वारा इनका अनुपालन किया जाए।

  5. स्‍वर्ण धातु ऋण का संवितरण करने वाले बैंक को स्टैंड-बाय साख पत्र/बैंक गारंटी जारीकर्ता बैंक की सहमति से उधारकर्ता का चालू खाता खोलना चाहिए, ताकि उधारकर्ता द्वारा ब्‍याज की मासिक चुकौती तथा नियत तारीख को ऋण की चुकौती के लिए खाते में निधि की व्‍यवस्‍था की जा सके।

  6. स्‍वर्ण धातु ऋण देने वाले बैंक को उधारकर्ता से निर्धारित अंतराल पर सभी संबंधित जानकारी प्राप्‍त करनी चाहिए, जैसे दैनिक बिक्री/स्‍टॉक स्थिति, बिक्री से प्राप्‍त राशि  जमा करना आदि, तथा स्‍वर्ण धातु ऋणदाता बैंक तथा स्टैंड-बाय  साख पत्र/बैंक गारंटी जारीकर्ता बैंक के बीच उक्‍त जानकारी का उचित रूप से आदान-प्रदान होना चाहिए।

  7. स्‍टॉक का निरीक्षण, स्‍वर्ण के स्‍टॉक की गुणवत्‍ता की जांच, बीमा कवर का सत्‍यापन आदि स्‍वर्ण धातु ऋणदाता बैंक तथा स्टैंड-बाय साख पत्र/बैंक गारंटी जारीकर्ता बैंक द्वारा संयुक्‍त रूप से या बारी-बारी से किया जाना चाहिए।

  8. नामित बैंक द्वारा अपने विद्यमान ग्राहक को ही स्‍वर्ण धातु ऋण देने के मामले में बैंक द्वारा मंजूर की गई ऋण सीमा के भीतर ही योजना के अधीन स्‍वर्ण धातु ऋण दिया जाना चाहिए। नए उधारकर्ताओं के मामले में विस्‍तृत साख मूल्‍यांकन करने और उचित सावधानी के बाद स्‍वर्ण धातु ऋण सीमा निर्धारित की जाए।

  9. स्‍वर्ण धातु ऋण केवल ऐसे सोने के जौहरियों द्वारा लिया जा सकता है, जो स्‍वयं स्‍वर्ण आभूषणों के निर्माता हों। ये जौहरी स्‍वर्ण धातु ऋण योजना के अधीन उधार लिया गया स्‍वर्ण किसी अन्‍य पार्टी को आभूषण बनाने के लिए नहीं बेच सकते हैं।

3. उपर्युक्‍त दिशानिर्देशों तथा स्‍वर्ण के आयात के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग द्वारा जारी विनियमावली को ध्‍यान में रखते हुए बैंक इस संबंध में अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित उपयुक्‍त नीति अपना सकते हैं।

4. ये अनुदेश तत्‍काल प्रभाव से लागू होंगे।

भवदीय,

(राजेश वर्मा)
मुख्‍य महाप्रबंधक

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