आरबीआई/2024-25/115 एफएमआरडी.एमआईओडी.सं 15/11.01.051/2024-25 17 फरवरी, 2025 प्रति सरकारी प्रतिभूति बाजार में सभी प्रतिभागी महोदया/महोदय, एनडीएस-ओएम के प्राथमिक सदस्य (पीएम) और उसके अपने गिल्ट खाताधारक (जीएएच) के बीच या एक ही पीएम के दो जीएएच के बीच सरकारी प्रतिभूति लेन-देन ओवर-द-काउंटर बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों में लेन-देन वर्तमान में या तो तयशुदा लेनदेन प्रणाली -ऑर्डर मिलान (एनडीएस-ओएम) प्लेटफॉर्म पर किए जाते हैं अथवा प्रणाली से बाहर द्विपक्षीय रूप से आपसी बातचीत से तय किए जाते हैं और बाद में एनडीएस-ओएम पर रिपोर्ट किए जाते हैं। एनडीएस-ओएम प्लेटफॉर्म पर मिलान किए गए सभी लेन-देन का भारतीय समाशोधन निगम लि. (सीसीआईएल), जो सरकारी प्रतिभूतियों में लेनदेन के लिए केन्द्रीय प्रतिपक्षकार (सीसीपी) के रूप में कार्य करता है, के माध्यम से समाशोधन और निपटान किया जाता है। 2. वर्तमान में, प्राथमिक सदस्य (पीएम) व उसके अपने गिल्ट खाताधारक (जीएएच) के बीच और एक ही पीएम के दो जीएएच के बीच लेनदेन को एनडीएस-ओएम पर मिलान करने की अनुमति नहीं है और सीसीआईएल के माध्यम से समाशोधन और निपटान भी नहीं किया जाता है। समीक्षा करने पर और प्राप्त फीडबैक के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि: ए) एनडीएस-ओएम के अज्ञात ऑर्डर मैचिंग सेगमेंट और रिक्वेस्ट फॉर कोट (आरएफक्यू) सेगमेंट दोनों पर पीएम और उसके अपने जीएएच के बीच या एक ही पीएम के दो जीएएच के बीच लेन-देन के मिलान की अनुमति दी जाए। एनडीएस-ओएम पर मिलान किए गए लेन-देन का सीसीआईएल के माध्यम से समाशोधन और निपटान किया जाएगा। बी) सीसीआईएल के माध्यम से समाशोधन और निपटान की सुविधा को विस्तारित करके उसमें पीएम और उसके अपने जीएएच के बीच अथवा एक ही पीएम के दो जीएएच के बीच होने वाले लेन-देन, जिन्हें द्विपक्षीय रूप से आपसी बातचीत से तय किया जाता है और एनडीएस-ओएम को रिपोर्ट किया जाता है, को वैकल्पिक आधार पर शामिल किया जाए। 3. इन लेन-देन के निपटान में किसी भी विफलता को समय-समय पर यथासंशोधित 14 जुलाई 2010 के आरबीआई परिपत्र "सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006, धारा 27 और 30 – एसजीएल प्रपत्रों के बाउंस होने पर दंड लगाना" में दिए गए अनुसार 'एसजीएल बाउंसिंग' के उदाहरण के रूप में माना जाएगा, और उसमें विनिर्दिष्ट यथालागू दंड प्रावधानों के अधीन होगा। 4. इस संबंध में विस्तृत परिचालन दिशानिर्देश सीसीआईएल द्वारा जारी किए जाएंगे। 5. इस परिपत्र में निहित निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय IIIडी की धारा 45डबल्यू के अंतर्गत जारी किए गए हैं और ये किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हों, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना है। भवदीया (डिंपल भांडिया) मुख्य महाप्रबंधक |