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बैंकों में शिकायत निवारण प्रणाली

आरबीआइ/2007-08/309
बैंपविवि. सं. एलईजी. 81/09.07.005/2007-08

मई 2, 2008
वैशाख 12, 1930 (शक)

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय

बैंकों में शिकायत निवारण प्रणाली

कृपया 22 फरवरी 2007 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. एलईजी. बीसी. 60/09.07.005/2006-07 देखें, जिसमें शिकायतों के विश्लेषण और प्रकटीकरण के संबंध में बैंकों को अनुदेश जारी किये गये थे । इस संबंध में यह उल्लेखनीय है कि शिकायतों का समुचित विश्लेषण और प्रकटीकरण तभी संभव है जब बैंकों में शिकायत निवारण की कारगर प्रणाली हो । अत:, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके ग्राहकों/घटकों से शिकायत प्राप्त करने और उनके निवारण की उपयुक्त प्रणाली मौजूद है तथा इस प्रणाली में शिकायत के स्रोत पर ध्यान दिये बिना उनका शीघ्रतापूर्वक अच्छी तरह निपटान करने पर विशेष बल दिया जाता है ।

2. बैंकों को यह भी सूचित किया जाता है कि

  1. वे यह सुनिश्चित करें कि शिकायत रजिस्टर शाखाओं में ऐसी जगह पर रखा जाता है , जहां ग्राहक आसानी से अपनी शिकायतें दर्ज कर सकें ।
  2. जहां शिकायतें पत्रों/फार्मों के माध्यम से प्राप्त हो, वहां शिकायत प्राप्ति की सूचना देने की प्रणाली होनी चाहिए ।
  3. विभिन्न स्तरों पर प्राप्त शिकायतों के निपटान की समय-सीमा निर्धारित होनी चाहिए ।
  4. वे यह सुनिश्चित करें कि ग्रामीण क्षेत्रों से आनेवाली शिकायतों तथा प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को वित्तीय सहायता और सरकार के गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों से संबंधित शिकायतों का निवारण भी उपर्युक्त प्रक्रिया का अंग है ।
  5. शिकायत निवारण प्रणाली को और अधिक कारगर बनाने के लिए बैंकों को अपनी शाखाओं में शिकायत निवारण के लिए जिन पदाधिकारियों से संपर्क किया जा सकता है उनके नाम, उनके सीधे टेलीफोन नं., फैक्स नं., पूरा पता (पो. बा. सं. नहीं) और ई-मेल पता, आदि स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना चाहिए ताकि ग्राहक समुचित रीति से समय पर उनसे संपर्क कर सकें ।

3. इसके अलावा, 22 फरवरी 2007 के हमारे परिपत्र सं. बीसी. 60 के अनुसार बैंकों से यह अपेक्षित है कि वे अपने वित्तीय परिणामों के साथ शिकायतों की संख्या के संबंध में संक्षिप्त ब्योरे प्रकट करें । इस विवरण में प्रधान कार्यालय/नियंत्रक कार्यालय स्तर पर प्राप्त शिकायतों के साथ-साथ शाखा स्तर पर प्राप्त शिकायतें भी शामिल होनी चाहिए । तथापि, जिन शिकायतों का निपटान अगले कार्य दिवस के भीतर कर दिया जाता है उन्हें शिकायतों के विवरण में शामिल करने की आवश्यकता नहीं है । आशा है कि इससे बैंकों और उनकी शाखाओं को अगले कार्य दिवस के भीतर शिकायत निवारण करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा ।

4. जहां शिकायतों का निवारण एक महीने के भीतर नहीं किया जाता है, वहां संबंधित शाखा/नियंत्रक कार्यालय को बैंकिंग लोकपाल योजना के अंतर्गत संबंधित केंद्रीय (नोडल) अधिकारी को शिकायत की एक प्रति भेजनी चाहिए तथा शिकायत की स्थिति के संबंध में उन्हें सूचित करते रहना चाहिए । इससे शिकायत के संबंध में बैंकिंग लोकपाल से प्राप्त किसी संदर्भ के संबंध में केंद्रीय अधिकारी अधिक कारगर रीति से कार्रवाई कर पायेगा । इसके अलावा यह भी आवश्यक है कि ग्राहक को उसके इस अधिकार के संबंध में सचेत किया जाए कि बैंक के उत्तर से संतुष्ट नहीं होने पर वह संबंधित बैंकिंग लोकपाल से संपर्क कर सकता है । अत:, शिकायत निवारण के संबंध में ग्राहक को भेजे गए अंतिम पत्र में बैंकों को यह उल्लेख करना चाहिए कि शिकायतकर्ता संबंधित बैंकिंग लोकपाल से भी संपर्क कर सकता है । संबंधित बैंकिंग लोकपाल के ब्योरे भी पत्र में दिए जाने चाहिए ।

5. बैंकों को यह भी सूचित किया जाता है कि वे विज्ञापनों के माध्यम से तथा अपने वेबसाइट पर प्रदर्शित करते हुए भी शिकायत निवारण प्रणाली का व्यापक प्रचार करें ।

भवदीय

(प्रशांत सरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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