रिपो/रिवर्स रिपो लेन-देनों के लेखांकन हेतु दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिपो/रिवर्स रिपो लेन-देनों के लेखांकन हेतु दिशानिर्देश
भारिबैं/2010-11/551 30 मई 2011 भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित सभी संस्थान महोदय रिपो/रिवर्स रिपो लेन-देनों के लेखांकन हेतु दिशानिर्देश कृपया 23 मार्च 2010 का हमारा परिपत्र भारिबैं/2009-10/356 (आंऋप्रवि.सं.4135/ 11.08.043/2009-10 देखें जिसमें रिपो/रिवर्स रिपो लेन-देनों के लेखांकन के लिए दिशानिर्देश दिए गए थे । संदर्भाधीन परिपत्र के पैरा 7 में निर्दिष्ट किया गया है, "रिपो लेन-देनों से होने वाले विवादों से बचने के लिए सहभागियों को फमिडा द्वारा तैयार किए गए दस्तावेजों के अनुसार द्विपक्षीय मास्टर रिपो करार करना चाहिए" । 2. हमें बाजार सहभागियों से प्रश्न प्राप्त हुए हैं कि क्या फमिडा द्वारा तैयार किया गया मास्टर रिपो करार सीसीआइएल के माध्यम से भुगतान की गई सरकारी प्रतिभूतियों में रिपो लेन-देन के लिए आवश्यक है ? इस संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि उस केंद्रीय प्रति पक्ष (सीसीपी) डअर्थात भारतीय समाशोधन निगम लिमि. (सीसीआइएल) के माध्यम से भुगतान की गई सरकारी प्रतिभूतियों में रिपो लेन-देनों के लिए आवश्यक नहीं है जिनके पास न्यूनतम ब्याज दर (हेअरकट), एमटीएम मूल्य, मार्जिन, बहुमुखी नेटिंग, समंजन का अधिकार, समायोजन गारंटी निधि/संपर्श्विक, जोखिम प्रबंधन तथा विवाद समाधान/मध्यस्थता जैसे विभिन्न सुरक्षात्मक उपाय हैं । तथापि, रिपो करार उन कार्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों में रिपो लेन-देनों के लिए आवश्यक है जिनका निपटान सीसीपी को शामिल किए बिना द्विपक्षीय आधार पर होता है । 3. उपर्युक्त परिपत्र की अन्य शर्ते अपरिवर्तित रहेंगी । भवदीय (के.के. वोहरा) |