आर-विवरणी के समेकन के लिए मार्गदर्शी सिद्धांत बैंक-वाइड समेकित आर -विवरणी - आरबीआई - Reserve Bank of India
आर-विवरणी के समेकन के लिए मार्गदर्शी सिद्धांत बैंक-वाइड समेकित आर -विवरणी
आरबीआइ/2006-07/159 अक्तूबर 23, 2006 सेवा में सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक महोदया/महोदय, आर-विवरणी के समेकन के लिए मार्गदर्शी सिद्धांत प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान मार्च 13, 2004 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.77 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार उनके द्वारा किए गए विदेशी मुद्रा लेनदेन के ब्यौरों की एक सॉफ्ट कॉपी (फ्लॉपी) के साथ आर-विवरणी (नॉस्ट्रो) और आर-विवरणी वॉस्ट्रो) के कवर पेज की अलग शाखावार हार्ड कॉपी एफईटीईआरएस [वर्शन 6.2 (आर)] के नवीनतम वर्शन के साथ रिज़र्व बैंक के उस कार्यालय में, जिसके क्षेत्राधिकार में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक का संबंधित कार्यालय/ शाखा स्थित है, प्रस्तुत करना जरूरी है। 2. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक को और अधिक अनुकूल परिस्थितियां मुहैया कराने की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक को बैंक के लिए समग्र रूप से एक एकल विवरणी आर विवरणी प्रस्तुत करने का विकल्प प्रदान किया जाए। तदनुसार नवंबर 2006 के पहले पखवाड़े से विदेशी मुद्रा लेनदेन संबंधी आंकड़ों की केन्द्रीकृत प्रोसेसिंग सुविधावाले प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक, बैंक-वाइड आर-विवरणी प्रस्तुत कर सकते हैं अथवा शाखावार आर-विवरणी प्रस्तुत करने की वर्तमान प्रथा को जारी रख सकते हैं। बैंक-वैड आर-विवरणी की विशेषताएं संलग्नक में दी गई हैं। 3. यह नोट किया जाए कि वर्तमान प्रणाली के तहत शाखावार आर-विवरणी की प्रस्तुति का विकल्प अंततः चरणबद्ध रूप में समाप्त किया जाएगा तथा सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों को नई प्रणाली अपनानी पड़ेगी। अतः बैंक-वाइड आर-विवरणी प्रस्तुत करने का विकल्प न अपनानेवाले बैंक तत्काल आवश्यक कार्रवाई शुरू करें और शाखावार प्रस्तुति से बैंक-वाइड आर-विवरणी प्रणाली में आसानी से परिवर्तन हेतु आवश्यक संरचना का निर्माण करे। 4. इस बात पर ज़ोर दिया जाता है कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत विवरणियां और विवरण रिपोर्टिंग अवधि के दौरान उनके द्वारा किए गए सभी संबंधित विदेशी मुद्रा लेनदेनों को ठीक-ठीक और पूरी तरह व्यक्त करते हैं। इन विवरणियों को ठीक-ठीक और यथासमय प्रस्तुत करने में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक की ओर से हुई चूक को रिज़र्व बैंक गंभीरता से लेगा तथा विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा 1999) की धारा 10 और 11 के अनुसार उचित कार्रवाई की जा सकती है। 5. इस परिपत्र में दिए गए अनुदेश फेमा 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के तहत जारी किए गए हैं। भवदीय (एम. सेबेस्टियन) |