प्रतिचक्रीय पूंजी बफर (सीसीसीबी) के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्रतिचक्रीय पूंजी बफर (सीसीसीबी) के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश
आरबीआई/2014-15/452 5 फरवरी 2015 अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक/ महोदया /महोदय प्रतिचक्रीय पूंजी बफर (सीसीसीबी) के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा श्री बी. महापात्रा की अध्यक्षता में गठित आंतरिक कार्य-दल ने प्रतिचक्रीय पूंजी बफर (सीसीसीबी) के कार्यान्वयन पर अपनी अंतिम रिपोर्ट जुलाई 2014 में प्रस्तुत कर दी थी। रिपोर्ट में सीसीसीबी निर्णयों में प्रयोग किए जाने वाले संकेतकों, बफर को क्रियान्वित करने के लिए प्रारंभिक सीमाएं, बफर की घोषणा करने के लिए समय- सीमा, आदि जैसे क्षेत्रों के लिए सिफारिशें की गई हैं । भारत में सीसीसीबी के कार्यान्वयन के लिए अंतिम दिशानिर्देश अनुबंध में दिए गए हैं । यद्यपि, सीसीसीबी की संरचना तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएंगी, तथापि सीसीसीबी को तब सक्रिय किया जाएगा, जब परिस्थितियों के अनुसार ऐसा जरूरी हो । वर्तमान में, परिस्थितियां ऐसी नहीं है कि इसे सक्रिय किया जाए । भवदीय, (सुदर्शन सेन) प्रतिचक्रीय पूंजी बफर (सीसीसीबी) के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश 1. प्रतिचक्रीय पूंजी बफर (सीसीसीबी) व्यवस्था का दोहरा उद्देश्य है । पहला, इसमें बैंकों से अपेक्षित है कि वे अच्छे समय के दौरान पूंजी बफर का निर्माण करें, जिसे कठिन समय में वस्तु क्षेत्र (real sector) में ऋण का प्रवाह बनाए रखने के लिए प्रयोग किया जा सकता है । दूसरा, इससे अत्यधिक ऋण संवृद्धि के समय बैंकिंग क्षेत्र को अंधाधुंध /अविवेकी उधार देने से रोकने का अधिक व्यापक समष्टि विवेकपूर्ण उद्देश्य पूर्ण होता है, जिसके कारण अक्सर प्रणालीगत जोखिम निर्माण होता है । 2. सीसीसीबी को केवल सामान्य इक्विटी टियर 1 (सीईटी 1) पूंजी अथवा पूर्णत: हानि अवशोषण करने वाली अन्य पूंजी के रूप में ही रखा जा सकता है, तथा सीसीसीबी की राशि बैंक की कुल जोखिम भारित आस्तियों (आरडब्लूए) के 0 से 2.5% के बीच हो सकती है । यदि भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशों के अनुसार बैंकों से किसी विशिष्ट समय पर सीसीसीबी रखे जाने की अपेक्षा हो, तो उक्त को बासल III मास्टर परिपत्र के अनुबंध 18 की सारणी डीएफ-11 में प्रकट किया जाए । 3. सामान्यतया, सीसीसीबी निर्णय की घोषणा चार तिमाहियों की समय सीमा के साथ पहले ही कर दी जाएगी । तथापि, सीसीसीबी संकेतकों के आधार पर बैंकों को अल्पावधि में भी अपेक्षित बफर तैयार करने हेतु कहा जा सकता है । 4. भारत में सीसीसीबी संरचना में सकल घरेलू उत्पाद अंतराल के अनुपात में ऋण (क्रेडिट टू जीडीपी गैप 1) मुख्य संकेतक होगा। तथापि, यह एकमात्र संदर्भ बिंदु नहीं होगा और सकल अनर्जक आस्तियों (जीएनपीए) में वृद्धि के साथ प्रयोग में लाया जाएगा। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सीसीसीबी निर्णय के लिए अन्य अनुपूरक संकेतकों जैसे तीन वर्ष की अस्थिर अवधि के लिए ऋण जमा अनुपात (इसके क्रेडिट टू जीडीपी गैप तथा जीएनपीए वृद्धि से सह-संबंध के साथ), औद्योगिक परिदृश्य (आईओ) मूल्यांकन सूचकांक (इसके जीएनपीए वृद्धि से सह-संबंध के साथ) तथा ब्याज व्याप्ति अनुपात (इसके क्रेडिट टू जीडीपी गैप के सह-संबंध के साथ) पर भी विचार किया जाएगा। सीसीसीबी के संबंध में अंतिम निर्णय लेते समय भारतीय रिजर्व बैंक क्रेडिट टू जीडीपी गैप के साथ ही सभी या कुछ संकेतकों का प्रयोग करने के बारे में अपने विवेकाधिकार से निर्णय ले सकता है। 5. सीसीसीबी संरचना मे क्रेडिट टू जीडीपी गैप के संबंध में दो सीमाएं रहेंगी, यथा- न्यून सीमा और उपरि सीमा ।
6. सीसीसीबी को सक्रिय करने में उपयोग किए जाने वाले वही संकेतक (पैराग्राफ चार में दिए गए अनुसार) सीसीसीबी के रिलीज चरण की शुरुआत का निर्णय लेने हेतु उपयोग में लाए जा सकते हैं । तथापि, सीसीसीबी के रिलीज चरण की शुरुआत को कार्यान्वित करने का निर्णय भारतीय रिज़र्व बैंक के विवेकाधीन रहेगा। इसके अतिरिक्त संचित किया गया सारा सीसीसीबी किसी समय एक साथ रिलीज किया जा सकता है लेकिन इसका प्रयोग बैंकों द्वारा स्वतंत्र रूप से नहीं किया जा सकेगा और इस बारे में निर्णय भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विचार-विमर्श के बाद ही किया जाएगा। 7. भारत में परिचालित सभी बैंकों के लिए सीसीसीबी एकल आधार और समेकित आधार पर बनाए रखना होगा। 8. भारत में परिचालित सभी बैंकों (विदेशी और देशी बैंक दोनों) को सीसीसीबी सरंचना के तहत भारतीय परिचालनों के लिए पूंजी उनके भारत में एक्सपोजर के आधार पर बनाए रखनी होगी। 9. भारत में निगमित तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौजूदगी रखने वाले बैंकों को सीसीसीबी के तहत संबंधित क्षेत्राधिकारों के मेजबान पर्यवेक्षकों द्वारा की गई अपेक्षानुसार पर्याप्त पूंजी बनाए रखनी होगी। बैंक अपनी जोखिम भारित आस्तियों के भौगोलिक वितरण के आधार पर अपने बैंक से संबंधित सीसीसीबी अपेक्षा की गणना करेंगे, जो संबंधित क्षेत्राधिकार के लिए लागू की जा रही अपेक्षाओं के औसत भार3 के रूप में होगी। भारतीय रिज़र्व बैंक भारतीय बैंकों को उनके द्वारा परिचालन किए जाने वाले किसी मेजबान देश में एक्सपोजर के प्रति सीसीसीबी संरचना के अंतर्गत अतिरिक्त पूंजी रखने को भी कह सकता है यदि यह महसूस किया जाए कि मेजबान देश में सीसीसीबी अपेक्षा पर्याप्त नहीं है। 10. बैंक यदि प्रतिचक्रीय पूंजी बफर जो कि पूंजी संरक्षण बफर (सीसीबी) अपेक्षा का ही विस्तार है, की अपेक्षाओं को पूरा नहीँ कर पाते हैं तो उनके विवेकाधिकार से किए जाने वाले वितरणों (जिसमें लाभांश भुगतानों, शेयर पुर्नखरीद और स्टाफ को बोनस भुगतान शामिल होंगे) पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। यह मानते हुए कि सीसीबी अपेक्षा कुल जोखिम भारित आस्तियों का 2.5 प्रतिशत और सीसीसीबी अपेक्षा 2.5 प्रतिशत निरंतर आधार पर बनी हुई हैं, तो विभिन्न स्तरों पर धारित सीईटी1 पूंजी के लिए किसी बैंक के लिए अपेक्षित संरक्षण अनुपात (स्वविवेकाधीन वितरण पर प्रतिबंध) को सारणी – 1 में दर्शाया गया है । सीईटी 1 अनुपात बैंड तत्समय4 भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित सीसीबी और सीसीसीबी अपेक्षा के 25% वृद्धि के रूप में संरचित किया गया है। सीसीसीबी अपेक्षा को 1 प्रतिशत मानते हुए उदाहरणार्थ एक अलग सारणी अनुबंध 1 में दी गई है । 11. बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी सीसीसीबी अपेक्षाओं की गणना और सार्वजनिक रूप से प्रकटीकरण कम से कम उसी अंतराल पर किया जाए जो विभिन्न क्षेत्राधिकारों में उनकी न्यूनतम पूंजी अपेक्षाओं के लिए लागू है । बफर संबंधित क्षेत्राधिकारों पर लागू ऐसी नवीनतम सीसीसीबी अपेक्षाओं के अनुरूप होना चाहिए जो उनके द्वारा न्यूनतम पूंजी अपेक्षा की गणना किए जाने की तारीख को लागू हो । इसके अलावा, बैंकों को उनकी बफर अपेक्षा को प्रकट करते समय बफर अपेक्षा की गणना हेतु प्रयोग में ली गई अपनी जोखिम भारित आस्तियों के भौगोलिक वितरण के ब्योरे भी प्रकट करने होंगे । 12. सीसीसीबी निर्णय भारतीय रिजर्व बैंक की वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य का भाग होगा । तथापि, आर्थिक परिस्थितियों में बदलाव के चलते यदि जरूरी हो तो भारतीय रिजर्व बैंक इस संबंध में बार-बार संप्रेषण कर सकता है। 13. सीसीसीबी निर्णयों के लिए ऊपरवर्णित संकेतक और सीमाएं इनकी उपयुक्तता हेतु निरंतर समीक्षा और अनुभवजन्य परीक्षण के अधीन होंगी तथा भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सीसीसीबी निर्णयों के समर्थन हेतु अन्य संकेतकों का प्रयोग भी किया जा सकेगा । एकल बैंक के लिए न्यूनतम पूंजी संरक्षण मानक, जब बैंक के लिए 2.5% सीसीबी और 1% सीसीसीबी की अपेक्षा की गई हो ।
चूंकि सीसीबी और सीसीसीबी की कुल अपेक्षा क्रमशः 2.5% तथा 1% है, अतः प्रत्येक बैंड पर सीसीबी और सीसीसीबी के लिए क्रमश: जोखिम भारित आस्तियों का 0.625% तथा 0.250% जोड़ा गया है । 1 क्रेडिट टू जीडीपी गैप किसी विशिष्ट समय पर क्रेडिट टू जीडीपी अनुपात और क्रेडिट टू जीडीपी अनुपात की दीर्घावधि प्रवृत्ति मूल्य का अंतर है। 2 जब क्रेडिट टू जीडीपी गैप 3 से 7 प्रतिशत अंकों तक बढ़ेगा तब सीसीसीबी अपेक्षा में वृद्दि रेखीय रूप में 0 से 20 आधार अंकों तक होगी। इसी तरह, क्रेडिट टू जीडीपी गैप के लिए 7 से अधिक परंतु 11 प्रतिशत अंकों की रेंज के लिए सीसीसीबी अपेक्षा में वृद्दि रेखीय रूप से 20 से अधिक किंतु 90 आधार अंकों तक होगी। अंतत:, क्रेडिट टू जीडीपी गैप की 11 से अधिक और 15 प्रतिशत अंकों की रेंज के लिए सीसीसीबी अपेक्षा में वृद्दि रेखीय रूप से 90 से अधिक किंतु 250 आधार अंकों तक होगी। तथापि, यदि क्रेडिट टू जीडीपी गैप 15 प्रतिशत अंकों से अधिक हो जाता है, तो बफर जोखिम भारित आस्तियों के 2.5 प्रतिशत पर बना रहेगा। 3 भार = (किसी क्षेत्राधिकार में बैंक की कुल जोखिम भारित आस्तियां) / (सभी क्षेत्राधिकारों में बैंक की समग्र जोखिम भारित आस्तियां)। 4 पहला सीईटी1 अनुपात बैंड = न्यूनतम सीईटी 1 अनुपात + सीसीबी का 25% + लागू सीसीसीबी का 25% । अनुवर्ती बैंडों के लिए शुरुआती बिंदु पिछ्ले बैंड की उच्चतम सीमा होगी । तथापि, यह भी उल्लेखनीय है कि सीईटी 1 अनुपात बैंड में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित विभिन्न पूंजी/बफर अपेक्षाओं (उदाहरणार्थ डी – एसआईबी बफर) के आधार पर परिवर्तन हो सकते हैं । तदनुसार, सारणी -1 में दिए गए बैंडों के निम्नतम और उच्चतम मान परिवर्तन के अधीन रहेंगे । |