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रुग्ण लघु औद्योगिक इकाइयों के पुनर्वास के लिए दिशा निर्देश

रुग्ण लघु औद्योगिक इकाइयों के पुनर्वास के लिए दिशा निर्देश

संदर्भ सं शबैवि.पीसीबी.पीओटी.01/09.09.01/2001-2002

19 जुलाई 2002
28 आषाढ़ 1924(शक)

सभी प्राथमिक (शहरी ) सहकारी बैंक

प्रिय महादेय / महोदया

रुग्ण लघु औद्योगिक इकाइयों के पुनर्वास के लिए दिशा निर्देश

भारतीय रिजर्व बैंक ने रुग्ण लघु इकाइयों के पुनर्वास से संबंधित मौजूदा दिशा निर्देशों की समीक्षा करने एवं मौजूदा रुग्ण व कार्यक्षम होने की संभावना वाली इकाइयों के पुनर्वास हेतु दिशा-निर्देशों में संशोधन की सिफारिश के लिए नवंबर 2000 में श्री. एम.एम.कोहली, अध्यक्ष इंडियन बैंक एसोसिएशन की अध्यक्षता में रुग्ण लघु औद्योगिक इकाइयों के पुनर्वास पर एक कार्यदल गठित किया था ताकि, उन्हें पारदर्शी एवं विवेकाधिकार रहित (नॉन-डिस्क्रीशनरी) बनाया जा सके । भारतीय रिजर्व बैंक ने कार्यदल की सभी मुख्य सिफारिशों को मान लिया है ।

2. रुग्ण लघु औद्योगिक इकाइयों की परिभाषा, उनकी निगरानी, सक्षमता मानदंडों, प्रारंभिक रुग्णता तथा जिन इकाइयों के कार्यक्षम होने की संभावना है उनके मामले में बैंक / वित्तीय संस्थानों से मिलने वाली राहत एवं रियायतों के भी विशेष संदर्भ में एस एस आई क्षेत्र की रुग्ण इकाइयों के पुनर्वास संबंधी संशोधित दिशा-निर्देशों का संपूर्ण सेट संलग्न है । एस एस आई इकाइयों के मामले में पुनर्वास प्रयास का जोर पुनर्वास के लिए उन्हें लंबा समय दिए जाने के बजाय प्रारंभिक रुग्णता के लक्षणों की शीघ्र पहचान, राहत के पर्याप्त व गहन उपायों एवं उन्हें त्वरित रुप से लागू करने पर है ।

तद्नुसार, मौजूदा दिशा-निर्देशों की तुलना में संशोधित दिशानिर्देश एवं महत्वपूर्ण परिवर्तन क्रमश: अनुबंध I व II में विस्तार से दिए गए हैं । संशोधित दिशा-निर्देशों का यह सेट एस एस आई इकाइयों के पुनर्वास के संबंध में निर्धारित हमारे पूर्व परिपत्रों एवं दिशा-निर्देशों का अधिक्रमण करता है।

3. इस बात पर जोर देने की आवश्यकता नहीं है कि कार्यक्षम होने की संभावना वाली और पहले से ही रुग्ण हो चुकी या जिनके रुग्ण हो जाने की संभावना है, ऐसी एस एस आई इकाइयों को पर्याप्त सहायता प्रदान करना न केवल वित्तीय बैंकों की दृष्टि से, अपितु, संपूर्ण औद्योगिक उत्पादन, निर्यात एवं रोजगार सृजन में इस क्षेत्र के योगदान को ध्यान में रखते हुए देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है । इसलिए बैंकों को एसएसआई क्षेत्र की इकाइयों के संबंध में, विशेष कर, जहां रुग्णता उद्यमियों के नियंत्रण से बाहर की परिस्थितियों के कारण है, सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार करते हुए उनके पुनर्वास के लिए प्रयास करना चाहिए । बैंक उन लघु इकाइयों के पुनर्वास के लिए समय पर सहायता प्रदान करने के प्रति पक्षधर रवैया अपनाएं जिन पर

औद्योगिक गिरावट एवं बड़े पैमाने वाली व अन्य इकाइयों को उनके द्वारा की गई सप्लाई के बदले में किए जाने वाले भुगतान में हुए विलंब से प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है ।

4. बैंकों को उन इकाइयों के मामले में जो पुनरुत्थान के योग्य नहीं है, किसी समझौते तथा/ या वसूली के अन्य उपायों के लिए शीघ्र प्रयास करना चाहिए ।

5. ध्यान रहे कि संलग्न दिशा-निर्देश केवल उन्हीं औद्योगिक इकाइयों पर लागू होंगे जिन्हें बैंक उनके रुग्ण हो जाने से पहले वित्त पोषित कर रहा था । हम पुन: दोहराते है कि शहरी सहकारी बैंक निहित जोखिमों को दृष्टिगत रखते हुए रुग्ण औद्योगिक इकाइयों को, विशेषत: उन रुग्ण इकाइयों को, वित्तपोषण प्रदान न करें जिन्हें वाणिज्य बैंकों द्वारा पहले ही वित्तपोषण प्रदान किया जा चुका है ।

6. कृपया पावती संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को भेजें ।

भवदीय

(सुदर्शन सेन)
महाप्रबधंक

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