शहरी सहकारी बैंकों के आस्ति एवं देयताओं का वाणज्यिक बैंकों में अंतरण पर दिशानिर्देश – आशोधन - आरबीआई - Reserve Bank of India
शहरी सहकारी बैंकों के आस्ति एवं देयताओं का वाणज्यिक बैंकों में अंतरण पर दिशानिर्देश – आशोधन
आरबीआई/ 2014-15/206 3 सितंबर 2014 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया / महोदय, शहरी सहकारी बैंकों के आस्ति एवं देयताओं का वाणज्यिक बैंकों में अंतरण पर दिशानिर्देश – आशोधन शहरी सहकारी बैंकों के आस्ति एवं देयताओं का वाणज्यिक बैंकों में अंतरण के लिए दिशानिर्देश पर जारी 24 फरवरी 2014 का हमारा परिपत्र सं. शबैंवि.बीपीडी. (पीसीबी) परि. सं.47/09.16.900/2014-15 देखें। 2. दुर्बल संस्थाओं के निर्बाध निष्कासन के माध्यम से समेकन की प्रणाली को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शहरी सहकारी बैंकों के आस्ति एवं देयताओं का वाणज्यिक बैंकों में अंतरण की योजना को पारदर्शी रूप में अमल में लाया जाता है ताकि अधिग्राहक संस्था और समग्र बैंकिंग प्रणाली में किसी प्रकार का बुरा प्रभाव न हो इसलिए शहरी सहकारी बैंकों के आस्ति एवं देयताओं का वाणज्यिक बैंकों में अंतरण के विद्यमान दिशानिर्देश को निम्न शर्तें लगाते हुए आशोधित किया गया है। (ए) उक्त विलयन/ आस्ति और देयताओं के अंतरण के कारण अधिग्राहक बैंक को किसी प्रकार की हानि नहीं होनी चाहिए। (बी) बड़े जमाकर्ता जिनकी जमा धारित राशि ₹ 1.00 लाख से अधिक है उन्हें लक्ष्य बैंक के जमा ह्रास के समानुपात में हानि सहना होगा। 3. उक्त को देखते हुए अंतरिती बैंक द्वारा किए जाने हेतु अपेक्षित आरंभिक/ अतिरिक्त अंशदान के संदर्भ में 24 फरवरी 2010 को जारी परिपत्र के संलग्नक I के अनुच्छेद सं 2.3 से 2.9 तक को उस हद तक अशोधित किया गया है। भवदीय, (ए. के. बेरा) |