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बैंककारी वि‍नि‍यमन अघि‍नि‍यम, 1949 की धारा 36(1) (क)के अंतर्गत जारी दि‍शानि‍र्देश -बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) वि‍देशी अंशदान (वि‍नि‍यमन) अधि‍नि‍यम, 2010 के प्रावधानों का कार्यान्वयन

आरबीआई/2011-12/395
ग्राआऋ‍वि‍ .केका.आरआरबी.आरसीबी.एएमएल.बीसी सं.59/03.05.33(ई)/2011-12

9 फरवरी 2012

सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) /राज्य सहकारी बैंक (एसटीसीबीएस)/
जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (डीसीसीबीएस)

महोदय

बैंककारी वि‍नि‍यमन अघि‍नि‍यम, 1949 की धारा 36(1) (क)के अंतर्गत जारी
दि‍शानि‍र्देश -बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) वि‍देशी अंशदान (वि‍नि‍यमन) अधि‍नि‍यम, 2010 के प्रावधानों का कार्यान्वयन

भारतीय रि‍ज़र्व बैंक, जनहि‍त में तथा इस बात से संतुष्ट होकर कि‍ ऐसा करना आवश्यक है, बैंककारी वि‍नि‍यमन अधि‍नि‍यम, 1949 (1949 का अधि‍नि‍यम 10) की धारा 36 की उप-धारा (1) के खंड (क) / बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) द्वारा प्रदत्त शक्ति‍यों तथा इस संबंध में उसे समर्थ बनाने वाली सभी शक्ति‍यों का प्रयोग करते हुए, एतद्द्वारा सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों /राज्य सहकारी बैंकों / जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा अनुपालन हेतु वि‍देशी अंशदान (वि‍नि‍यमन) अधि‍नि‍यम, 2010 तथा वि‍देशी अंशदान (वि‍नि‍यमन) नि‍यमावली 2011 पर दि‍शानि‍र्देश जारी करता है जो इस परि‍पत्र के साथ संलग्न है । इस अधि‍नि‍यम के लागू होते ही, वि‍देशी अंशदान (वि‍नि‍यमन) अधि‍नि‍यम, 1976 नि‍रस्त हो गया है ।

2. नए अधि‍नि‍यम की प्रमुख वि‍शेषताएं इस परि‍पत्र के अनुबंध में दी गई हैं । इस परि‍पत्र का उद्देश्य अधि‍नि‍यम तथा उसके अंतर्गत बने नि‍यमों के अंतर्गत सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों /राज्य सहकारी बैंकों / जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के दायित्वों को पूरा करने में उनका केवल मार्गदर्शन करना है । यदि‍ कि‍सी प्रकार का संदेह हो तो बैंकों को नि‍श्चि‍त रूप से अधि‍नि‍यम तथा नि‍यमावली के मूलपाठ का संदर्भ लेना चाहि‍ए और आवश्यकता होने पर उचि‍त वि‍धि‍क सलाह लेनी चाहि‍ए ।

3. कृपया इस परिपत्र की प्राप्ति – सूचना हमारे संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को दें।

भवदीय

( सी.डी.श्रीनिवासन )
मुख्य महाप्रबंधक

अनुलग्नक : यथोक्त


दिशानिर्देश

भारत सरकार, गृह मंत्रालय ने सरकारी राजपत्र में 29 अप्रैल 2011 की अधिसूचना एस. ओ. 909 (ई) प्रकाशित की है जिसके अनुसार 1 मई 2011 से विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम 2010 ("अधिनियम") लागू किया गया है| दिनांक 29 अप्रैल 2011 के राजपत्र में एक अधिसूचना जी.एस.आर. 349(ई) भी जारी की गई है जिसमें उक्त अधिनियम की धारा 48 के अंतर्गत बनी विदेशी अंशदान (विनियमन) नियमावली, 2011 अधिसूचित की गई है| नियमावली, अधिनियम के साथ ही लागू हो गई है| इस अधिनियम के लागू होते ही, विदेशी अंशदान (विनियमन),अधिनियम 1976, निरस्त हो गया| अतः अब बैंकों के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि नए अधिनियम के प्रावधानों तथा उसके अंतर्गत बने नियमों का पूर्ण अनुपालन किया जाता है|

2. अधिनियम, कुछ विशिष्ट श्रेणियों के व्यक्तियों द्वारा विदेशी अंशदान प्राप्त करने पर प्रतिबंध लगाता है| यह अधिनियम कुछ विशिष्ट श्रेणियों के व्यक्तियों को भारत से बाहर किसी देश अथवा क्षेत्र की यात्रा करते समय केंद्र सरकार की पूर्वानुमति के बिना विदेशी आतिथ्य स्वीकार करने से भी रोकता है| अधिनियम में यह प्रावधान है कि जिन व्यक्तियों के निश्चित सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षिक, धार्मिक तथा सामाजिक कार्यक्रम हैं, उन्हें कोई विदेशी अंशदान स्वीकार करने से पूर्व अपने आप को भारत सरकार के पास रजिस्टर कर लेना चाहिए| यदि उपर्युक्त श्रेणी के अंतर्गत आनेवाले किसी व्यक्ति ने केंद्र सरकार के साथ रजिस्टर नहीं किया है तो वह केंद्र सरकार की पूर्वानुमति प्राप्त होने के बाद ही विदेशी अंशदान प्राप्त कर सकता है| साथ ही, अधिनियम के अंतर्गत केंद्र सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वह अधिनियम के अंतर्गत निर्दिष्ट न किए गए किसी व्यक्ति अथवा संगठन को कोई विदेशी अंशदान लेने से रोक सकती है और उसमें निर्दिष्ट न किए गए किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों की श्रेणी को कोई विदेशी आतिथ्य स्वीकार करने से पूर्व केंद्र सरकार की पूर्वानुमति प्राप्त करने की अपेक्षा रख सकती है|

3. अधिनियम में विदेशी अंशदान स्वीकार करने के संबंध में बैंकों पर कुछ दायित्व निर्धारित किए गये हैं| अधिनियम में यह शर्त है कि प्रत्येक व्यक्ति जिसे अधिनियम में निर्धारित किए गए अनुसार पंजीकरण प्रमाणपत्र/पूर्वानुमति प्रदान की गई है, किसी एक खाते में विदेशी अंशदान प्राप्त करेगा और वह भी केवल उसके आवेदन में विनिर्दिष्ट की गई बैंक की शाखा के माध्यम से| अधिनियम के अंतर्गत ऐसे खातों में कोई अन्य निधियां (विदेशी अंशदान से अन्य) प्राप्त तथा जमा करना पूर्णत: निषिद्ध है| अधिनियम में यह अधिदेश है कि प्रत्येक बैंक तथा विदेशी मुद्रा विनिमय करने के लिए प्राधिकृत व्यक्ति विदेशी विप्रेषण की निर्धारित राशि, विदेशी विप्रेषण की प्राप्ति का स्रोत तथा तरीका तथा अन्य विवरण, निर्धारित स्वरूप तथा रीति सेनिर्दिष्ट प्राधिकारी को रिपोर्ट करेगा| अधिनियम की धारा 18 के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति जिसे अधिनियम के अंतर्गत पंजीकरण प्रमाणपत्र अथवा पूर्वानुमति प्रदान की गई है, से यह अपेक्षित है कि वह केंद्र सरकार को उसमें निर्धारित रूप में उसमें दिये गए ब्योरों से अवगत कराएं| इस सूचना के साथ प्राप्त विदेशी अंशदान के ब्योरों को दर्शानेवाले विवरण की बैंक के किसी अधिकारी अथवा विदेशी मुद्रा विनिमय में प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा विधिवत प्रमाणित की गई प्रतिलिपि होनी चाहिए|

4. वे एसोसिएशन जिन्हें विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम 1976 की धारा 6 के अंतर्गत पंजीकरण प्रमाणपत्र अथवा पूर्वानुमति प्रदान की गई थी वे इस अधिनियम के अंतर्गत अंशदान प्राप्त करने के लिए पात्र बने रहेंगे तथा इस प्रकार का पंजीकरण इस अधिनियम के प्रभावी होने की तारीख से पाँच वर्ष की अवधि के लिए वैध रहेगा| निरस्त अधिनियम की धारा 9 के अंतर्गत विदेशी आतिथ्य स्वीकार करने की कोई अनुमति भी केंद्र सरकार द्वारा ऐसी अनुमति को वापस लिए जाने तक, इस अधिनियम के अंतर्गत प्रदान की गई अनुमति मानी जाएगी|

5. रिज़र्व बैंक विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम, 1976 के अंतर्गत समय समय पर दिशानिर्देश जारी करता आ रहा है, जिनमें बैंकों को सूचित किया गया है कि व्यक्तियों के खातों में जमा करने के लिए "विदेशी अंशदान" को स्वीकार करते समय यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि संबधित व्यक्ति/संगठन केंद्र सरकार के पास रजिस्टर किए गए हैं अथवा उनके पास कानून द्वारा अपेक्षित होने पर ऐसे विदेशी अंशदान प्राप्त करने के लिए पूर्वानुमति है और विनिर्दिष्ट शाखा के अलावा कोई अन्य शाखा "विदेशी अंशदान" स्वीकार नहीं करती है| बैंकों को यह भी सूचित किया गया था कि वे ऐसे अंशदानों की प्राप्ति की रिपोर्ट केंद्र सरकार को प्रेषित करें| निरस्त अधिनियम के कार्यान्वयन में कुछ अनियमिताएँ देखी गई थीं तथा निर्धारित क्रियाविधियों के अनुसरण में कुछ व्यतिक्र्म देखा गया था| बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं से यह अपेक्षित है कि विदेशी अंशदानों की प्राप्ति पर कार्रवाई करते समय इस नए अधिनियम के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करें|

6. नए अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ इन दिशानिर्देशों के अनुबंध में दी जा रही हैं| इस परिपत्र का उद्देश्य अधिनियम तथा उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के अंतर्गत बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं को अपने दायित्व को पूरा करने के लिए केवल मार्गदर्शन प्रदान करना है| किसी प्रकार का संदेह होने की स्थिति में बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं को निश्चित रूप से अधिनियम तथा नियमों के मूल पाठ का संदर्भ लेना चाहिए और आवश्यकता होने पर विधिक सलाह भी लेनी चाहिए|


अनुबंध

1. भूमिका

जैसा कि प्रस्तावना में कहा गया है कि विदेशी मुद्रा (विनियमन) अधिनियम, 2010 का उद्देश्य कतिपय व्यक्तियों या संघों या कम्पनियों द्वारा विदेशी अंशदान या विदेशी आतिथ्य की स्वीकृति और प्रयोग को विनयमित करनेवाले कानून को समेकित करना और राष्ट्रीय हित और उससे जुड़े मामलों को नुकसान पहुचानेवाली गतिविधयों के लिए विदेशी अंशदान या विदेशी आतिथ्य की स्वीकृति और प्रयोग को निषिद्ध करना है| यह अधिनियम संपूर्ण भारत पर, भारत के बाहर रहने वाले भारत के नागरिकों पर तथा भारत में पंजीकृत या निगमित कम्पनियों या निगमित निकायों की भारत के बाहर स्थित सहयोगी शाखाओं अथवा अनुषंगियों पर लागू है|

2. विदेशी अंशदान ग्रहण करने पर प्रतिबंध

अधिनियम में कतिपय व्यक्तियों को विदेशी अंशदान ग्रहण करने से पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है| अधिनियम की धारा 2 के खंड (एच) में "विदेशी अंशदान" शब्द को इस प्रकार परिभाषित किया गया है – किसी विदेशी स्रोत से किसी वस्तु (व्यक्तिगत प्रयोग के लिए दिये गए उपहार को छोड़कर, जिसका बाज़ार मूल्य विनिर्दिष्ट राशि से अधिक नहीं होना चाहिए), मुद्रा (चाहे भारतीय या विदेशी) अथवा किसी प्रतिभूति का दान, सुपुर्दगी या अंतरण| निम्नलिखित व्यक्तियों को विदेशी अंशदान ग्रहण करने से मना किया गया है|

क) चुनाव प्रत्याशी

ख) किसी पंजीकृत समाचार पत्र के संवाददाता, स्तम्भलेखक, कार्टूनिस्ट, संपादक, स्वामी, प्रिंटर या प्रकाशक

ग) न्यायाधीश, सरकारी सेवक या सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण के अधीन किसी संस्था का कर्मचारी

घ) किसी विधानमंडल का सदस्य

ङ) राजनीतिक दल या उसके पदाधिकारी;

च) राजनीतिक स्वरूप के संगठन, जैसा कि विनिर्दिष्ट किया जा सकता है;

छ) किसी इलेक्ट्रोनिक माध्यम या फॉर्म या जनसंचार के अन्य माध्यम से श्रव्य समाचार या दृश्य- श्रव्य समाचार या सामाजिक विषयों पर आधारित कार्यक्रम के निर्माण में लगे संघ (एसोसिएशन) या कंपनियां अथवा

ज) उपर्युक्त (ज) में उल्लिखित संघ या कंपनी के स्वामी, संपादक, संवाददाता या स्तंभलेखक, कार्टूनिस्ट|

यह अधिनियम केंद्र सरकार को यह अधिकार देता है कि वह सरकारी गजट में प्रकाशित कर संगठनों को राजनीतिक स्वरूप के संगठन के रूप में विनिर्दिष्ट करे| तथापि, निम्नलिखित विनिर्दिष्ट मामले में उपर्युक्त व्यक्ति /संगठन विदेशी अंशदान ग्रहण कर सकते हैं;

क) किसी विदेशी स्रोत से उसे या उसके अंदर कार्य करनेवाले व्यक्तियों के समूह को वेतन, मजदूरी या अन्य पारिश्रमिक के स्वरूप में देय राशि या ऐसे विदेशी स्रोत द्वारा भारत में किए गए सामान्य कारोबारी लेनदेन के भुगतान के रूप में; अथवा

ख) अंतरराष्ट्रीय व्यापार या वाणिज्य के दौरान या भारत के बाहर उसके द्वारा किए गए सामान्य कारोबारी लेनदेन के दौरान किए गए भुगतान के रूप में; अथवा

ग) केंद्र सरकार या राज्य सरकार के साथ विदेशी स्रोत द्वारा किए गए किसी लेनदेन से संबंधित विदेशी स्रोत के एजेंट के रूप में प्राप्त भुगतान; अथवा

घ) किसी भारतीय शिष्ट मंडल के सदस्य के रूप में प्राप्त उपहार या भेंट, बशर्ते ऐसे उपहार या भेंट उन्हें स्वीकार करने या रखने के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार ग्रहण किए गए हैं|

ङ) अपने सम्बन्धी से; या

च) किसी सरकारी चैनल, डाक घर, या विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत विदेशी मुद्रा में कारोबार करने के लिए प्राधिकृत किसी व्यक्ति से सामान्य कारोबार के दौरान विप्रेषण के रूप में प्राप्त राशि; अथवा

छ) छात्रवृति, वज़ीफा या इसी प्रकार के अन्य भुगतान के रूप में

"विदेशी अंशदान" शब्द की व्याप्ति को समझने के लिए यह आवश्यक है "विदेशी स्रोत" शब्द को अधिनियम द्वारा दिये गए अर्थ को समझा जाए| इस शब्द को एक व्यापक परिभाषा दी गई| आमतौर पर इस शब्द के अंतर्गत विदेशी सरकार और उसकी एजेंसियाँ, अंतर्राष्ट्रीय ऐजंसियाँ (संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक आदि कतिपय विनिर्दिष्ट एजेंसियों को छोड़कर), विदेशी नागरिक, विदेशी कंपनियाँ और विदेशी निगम, भारत के बाहर बनी या पंजीकृत ट्रेड यूनियन, न्यास, सोसाइटी, क्लब, आदि जैसी संस्थाएं शामिल हैं|

3. विदेशी आतिथ्य ग्रहण करने पर प्रतिबंध

यह अधिनियम कतिपय विनिर्दिष्ट व्यक्तियों द्वारा विदेशी आतिथ्य स्वीकार करने पर प्रतिबंध लगाता है| इसमें अधिदेश (मेंडेट) है कि विधायिका का कोई सदस्य या राजनीतिक दल का कोई पदाधिकारी या न्यायाधीश या सरकारी सेवक या सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण के अधीन किसी निगम या किसी अन्य निकाय का कोई कर्मचारी भारत से बाहर किसी देश या क्षेत्र का दौरा करते समय केंद्र सरकार से पूर्वानुमति लिए बिना विदेशी आतिथ्य स्वीकार नहीं करेगा| विदेशी आतिथ्य शब्द की परिभाषा इस रूप में दी गई है कि उसका अर्थ किसी विदेशी स्रोत से किसी व्यक्ति को किसी विदेशी क्षेत्र या देश की यात्रा करने का खर्च या नि:शुल्क भोजन, आवास, परिवहन या चिकित्सा सुविधा नकद या अन्य रूपों में देने का प्रस्ताव है|

इसके अलावा, केंद्र सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी व्यक्ति या संगठन को, जिसे अधिनियम में विनिर्दिष्ट नहीं किया गया है, कोई विदेशी अंशदान ग्रहण करने से रोक सकती है और किसी भी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों की श्रेणी को, जिसे अधिनियम में विनिर्दिष्ट नहीं किया गया है, विदेशी आतिथ्य ग्रहण करने के लिए केंद्र सरकार से पूर्वानुमति प्राप्त करने की अपेक्षा रख सकती है|

4. विदेशी अंशदान ग्रहण करने के लिए पंजीकरण

अधिनियम की धारा 11 में यह अधिदेश दिया गया है कि अधिनियम में अन्य प्रकार की व्यवस्था हो तो उन्हें छोड़कर कोई भी व्यक्ति , जिसका कोई निश्चित सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षणिक, धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रम है, विदेशी अंशदान ग्रहण नहीं करेगा, बशर्ते वह व्यक्ति केंद्र सरकार से पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करता है| यदि उपयुक्त संवर्ग का कोई व्यक्ति केंद्र सरकार के साथ पंजीकृत नहीं है तो वह केंद्र सरकार से पूर्व अनुमति लेने के बाद ही विदेशी अंशदान स्वीकार सकता है| केंद्र सरकार सरकारी गज़ट में अधिसूचना के द्वारा यह विनिर्दिष्ट कर सकता है कि कौन व्यक्ति या व्यक्तियों की श्रेणी विदेशी अंशदान ग्रहण करने से पहले पूर्वानुमति प्राप्त करेगी, किन क्षेत्रों में ऐसे अंशदान स्वीकार किए जाएंगे, किन प्रयोजनों के लिए ऐसे अंशदानों का उपयोग किया जाएगा और किन स्रोतों से विदेशी अंशदान स्वीकार किया जाएगा| केंद्र सरकार को इस प्रकार दिये गए पंजीकरण को स्थगित या रद्द करने के लिए भी प्राधिकृत किया गया है| जिस व्यक्ति को धारा 12 के अंतर्गत प्रमाणपत्र दिया गया है उसे प्रमाणपत्र की समाप्ति कीअवधि से पूर्व छह महीने की अवधि के भीतर इस प्रकार के प्रमाणपत्र को नवीकृत करना होगा|

5. विदेशी अंशदान की प्राप्ति, अंतरण, उपयोग आदि पर रोक और प्रतिबंध

ऐसे व्यक्तियों पर जो पंजीकृत हैं तथा जिन्हें प्रमाणपत्र मंजूर किया गया है या अधिनियम के अंतर्गत जिन्होंने पूर्वानुमति प्राप्त की है, अधिनियम यह रोक लगाता है कि वह ऐसा अंशदान किसी अन्य व्यक्ति को अंतरित नहीं कर सकता, बशर्ते वह व्यक्ति भी पंजीकृत हो और उसे प्रमाणपत्र मंजूर किया गया हो अथवा अधिनियम के अंतर्गत पूर्वानुमति प्राप्त की हो| प्राप्त विदेशी अंशदान के उपयोग पर कतिपय प्रतिबंध लगाए गए हैं और अधिनियम में यह आधिदेश दिया गया है कि विदेशी अंशदान केवल उन्हीं प्रयोजनों के लिए इस्तेमाल पर लागू होगा जिनके लिए वह प्राप्त हुआ है| किसी भी विदेशी अंशदान या उससे उत्पन्न आय का प्रयोग सट्टेबाज़ी के प्रयोजनों से नहीं हो सकता| प्रशासनिक खर्चों की अदायगी के लिए विदेशी अंशदान के उपयोग को अधिनियम द्वारा प्रतिबंधित किया गया है|

इस अधिनियम में केंद्र सरकार को अधिकार दिया गया है कि वह धारा 3 में अविनिर्दिष्ट किसी व्यक्ति या संगठन को कोई विदेशी अंशदान ग्रहण करने से रोके तथा धारा 6 में अविनिर्दिष्ट किसी व्यक्ति या व्यक्तियों की श्रेणी से यह अपेक्षा करे कि वह विदेशी आतिथ्य स्वीकार करने के पहले केंद्र सरकार की पूर्वानुमति प्राप्त करे| जहां केंद्र सरकार समुचित जांच पड़ताल के बाद इस बात से संतुष्ट हो कि किसी व्यक्ति के कब्जे या नियंत्रण में कोई ऐसी सामग्री या मुद्रा या प्रतिभूति है, चाहे वह भारतीय हो या विदेशी, जिसे ऐसे व्यक्ति ने उक्त अधिनियम के किसी प्रावधान का उल्लंघन करते हुए स्वीकार किया है, तो केंद्र सरकार लिखित आदेश से ऐसे व्यक्ति को ऐसी सामग्री या मुद्रा या प्रतिभूति में किसी प्रकार की अदायगी , सुपुर्दगी, अंतरण या कोई अन्य प्रकार का कारोबार करने से प्रतिबंधित कर सकती है, सिवा उन स्थितियों के जब ऐसा केंद्र सरकार के लिखित आदेश के अनुसार किया जाए|

6. किसी अनुसूचित बैंक के माध्यम से प्राप्त विदेशी अंशदान

धारा 17 बैंकरों के लिए विशेष महत्व का है| इसमें यह कहा गया है कि धारा 12 के अंतर्गत प्रमाणपत्र या पूर्व अनुमति पानेवाला प्रत्येक व्यक्ति केवल उसी बैंक की एक ऐसी शाखा में खोले गये एकल खाते में विदेशी अंशदान प्राप्त करेगा, जिसे उसने प्रमाणपत्र की मंजूरी के लिए दिये गए अपने आवेदनपत्र में विनिर्दिष्ट किया है| ऐसा व्यक्ति अपने द्वारा प्राप्त विदेशी अंशदान का उपयोग करने के लिए एक या अधिक बैंकों में एक या अधिक खाते खोल सकता है, परंतु ऐसे खाते अथवा खातों में विदेशी अंशदान के अलावा कोई अन्य निधि प्राप्त या जमा नहीं की जानी चाहिए| अधिनियम में इस बात को अनिवार्य बनाया गया है कि प्रत्येक बैंक या विदेशी मुद्रा में प्राधिकृत व्यक्ति/संस्था विनिर्दिष्ट प्राधिकारी को निम्नलिखित के संबंध में सूचित करेगा – (क) विदेशी रेमिटेन्स की निर्धारित राशि (ख) प्राप्त विदेशी रेमिटेन्स का स्रोत और तरीका और (ग) निर्धारित प्रारूप और विधि में अन्य ब्यौरा।|

उक्त अधिनियम के अंतर्गत प्रमाणपत्र या पूर्वानुमति प्राप्त करनेवाले प्रत्येक व्यक्ति को निर्धारित किए जानेवाले समय और विधि के अनुसार केंद्र सरकार को और केंद्र सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट प्राधिकारी को उसके द्वारा प्राप्त प्रत्येक विदेशी अंशदान की राशि, विदेशी अंशदान का स्रोत और उसे पाने का तरीका, विदेशी अंशदान प्राप्त करने का प्रयोजन और प्राप्तकर्ता द्वारा विदेशी अंशदान के उपयोग के तरीके की सूचना देनी होगी| इसके अलावा, विदेशी अंशदान पानेवाले प्रत्येक व्यक्ति को एक विवरण की प्रतिलिपि देनी होगी जिसमें प्राप्त विदेशी अंशदान का विवरण बैंक के अधिकारी या विदेशी मुद्रा में प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा विधिवत प्रमाणित कर केंद्र सरकार को प्रस्तुत करना होगा।|

7. खातों का रखरखाव और आस्तियों का निपटान

अधिनियम की धारा 19 में यह कहा गया है कि उपयुक्त रीति से प्रमाणपत्र या पूर्वानुमति पानेवाले प्रत्येक व्यक्ति को प्राप्त विदेशी अंशदान और उसके उपयोग के संबंध में निर्धारित रीति से खाते रखने होंगे| जहाँ अधिनियम के अंतर्गत विदेशी अंशदान प्राप्त करने के लिए अनुमति प्राप्त व्यक्ति का अस्तित्व समाप्त हो जाता है तो ऐसे व्यक्ति की सभी आस्तियों का निपटान उस समय लागू उस कानून में निहित प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा, जिसके अंतर्गत उक्त व्यक्ति पंजीकृत या निगमित हुआ था|

8. निरीक्षण और जब्ती की शक्ति

अधिनियम केंद्र सरकार को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन की जाँच करने के लिए खातों या रेकॉर्ड का निरीक्षण प्राधिकृत करे| अधिनियम में, अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए प्राप्त सामग्री या मुद्रा या प्रतिभूति तथा खाते और अभिलेख जब्त करने की भी व्यवस्था है|

9. विविध मुद्दे

अधिनियम में कतिपय अपराधों और अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन पर दण्ड/जुर्माने का प्रावधान है| अधिनियम की धारा 37 में यह व्यवस्था है कि यदि कोई अधिनियम के किसी ऐसे प्रावधान का अनुपालन करने में चूक करता है जिसके लिए अलग से दण्ड का प्रावधान नहीं है, तो उसे एक साल तक कैद या जुर्माना या दोनों प्रकार से दंडित किया जा सकता है|

अधिनियम में यह प्रावधान है कि कोई अपराध (चाहे वह अपराध व्यक्ति या संघ या उसके किसी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा किया गया हो) अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय हो, लेकिन ऐसा अपराध न हो जिसकी सज़ा केवल कैद हो, तो मुकदमा चलाने के पहले ऐसे अधिकारियों प्राधिकारियों द्वारा ऐसी राशियों के लिए प्रशमन (कम्पाउण्ड) किया जा सकता है जिनके संबंध में केंद्र सरकार द्वारा सरकारी गज़ट में अधिसूचना के द्वारा विनिर्दिष्ट किया गया है|

केंद्र सरकार अधिनियम के प्रावधानों को कार्यन्वित करने के लिए किसी भी अन्य प्राधिकारी या व्यक्ति या व्यक्तियों की श्रेणी को ऐसे निर्देश दे सकती है, जिन्हें वह आवश्यक समझती है|

10. इस अधिनियम के अधीन बनाये गये नियम

इस अधिनियम की धारा 48 के अंतर्गत प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए विदेशी अंशदान (विनियन) नियमावली 2011 बनायी है| नियमावली में अन्य बातों के साथ-साथ किसी संगठन को राजनीतिक प्रकृति का मानने के लिए घोषणा करने हेतु केंद्र सरकार के लिए दिशानिर्देश, किस प्रकार की गतिविधियों को सट्टेबाज़ी की गतिविधियां मानी जाएगी, किसे प्रशासनिक खर्च माना जाएगा, व्यक्तियों की विनिर्दिष्ट श्रेणियों द्वारा विदेशी आतिथ्य प्राप्त करने की प्रक्रिया, विदेशी अंशदान प्राप्त करने के लिए "पंजीकरण" या "पूर्वानुमति" प्राप्त करने के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया, किसे प्रशमन (कंपाउंडिंग) के लिए आवेदन किया जाए, विदेशी अंशदान अन्य पंजीकृत या अपंजीकृत व्यक्तियों को अंतरित करने की प्रक्रिया, विभिन्न प्रयोजनों के लिए प्रयुक्त फार्म आदि के लिए प्रावधान है|

उक्त नियमावली के नियम 13 में यह अधिदेश है की यदि पंजीकरण प्रमाणपत्र या पूर्वानुमति पानेवाला कोई व्यक्ति/संगठन किसी वित्तवर्ष में एक करोड़ रुपये या उसके समतुल्य राशि से अधिक विदेशी अंशदान पाता है तो वह प्राप्त वर्ष और उसके बादवाले वर्ष के लिए विदेशी अंशदान की प्राप्ति और उपयोग के संबंध में संक्षिप्त आंकड़े सार्वजनिक डोमेन में प्रकट करेगा|

यह नोट करना आवश्यक है कि नियम 15 के अनुसार, जिस व्यक्ति का पंजीकरण प्रमाणपत्र रद्द किया गया है, उसके विदेशी अंशदान संबंधी विशिष्ट बैंक खाते में अप्रयुक्त पड़ी हुई विदेशी अंशदान की राशि संबंधित बैंकिंग प्राधिकारी के अधिकार में तब तक रहेगी जब तक केंद्र सरकार इस मामले में और निदेश जारी नहीं करती है| जिस व्यक्ति का पंजीकरण प्रमाणपत्र रद्द हुआ है उस व्यक्ति ने यदि किसी अन्य व्यक्ति को विदेशी अंशदान अंतरित कर दिया है तो उपर्युक्त शर्त उस व्यक्ति पर लागू होगी जिसे उक्त निधि अंतरित की गई है|

उक्त नियमावली के नियम 16 में यह प्रावधान है कि प्रत्येक बैंक को ऐसे व्यक्ति द्वारा विदेशी अंशदान की प्राप्ति से संबंधित किसी भी लेनदेन की रिपोर्ट केंद्र सरकार को तीस दिन के भीतर भेजनी होगी, जिस व्यक्ति से यह अपेक्षित है कि वह अधिनियम के अंतर्गत पंजीकरण प्रमाणपत्र या पूर्वानुमति प्राप्त करे, लेकिन जिसने ऐसे रेमिटेंस की तारीख को इस प्रकार प्रमाणपत्र या पूर्वानुमति प्राप्त नहीं की है| ऐसी रिपोर्ट में निम्नलिखित ब्यौरे होने चाहिए :

(क) दानकर्ता का नाम और पता

(ख) प्राप्तकर्ता का नाम और पता

(ग) खाता संख्या

(घ) बैंक और शाखा का नाम

(ङ) विदेशी अंशदान की राशि (विदेशी मुद्रा और भारतीय रुपये में)

(च) प्राप्ति की तारीख

(छ) विदेशी अंशदान प्राप्त करने का तरीका (नकद/चेक/इलेक्ट्रोनिक ट्रान्सफर आदि)

संबन्धित बैंक को यह दायित्व दिया गया है कि यदि कोई व्यक्ति, चाहे वह अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत हो या नहीं हो, एक लेनदेन में या तीस दिनों के भीतर किए गए लेनदेनों में एक करोड़ रूपये या उसकी समतुल्य राशि से अधिक विदेशी अंशदान प्राप्त करता है तो इस प्रकार के अंतिम लेनदेन की तारीख से तीस दिनों के भीतर बैंक को केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजनी होगी और ऐसी रिपोर्ट में उपर्युक्त ब्यौरे शामिल होने चाहिए।

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