एनबीएफसी में मुख्य प्रबंधकीय कार्मिक (केएमपी) और ज्येष्ठ प्रबंधतंत्र के पारिश्रमिक पर दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
एनबीएफसी में मुख्य प्रबंधकीय कार्मिक (केएमपी) और ज्येष्ठ प्रबंधतंत्र के पारिश्रमिक पर दिशानिर्देश
आरबीआई/2022-23/36 29 अप्रैल 2022 सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां महोदया/महोदय एनबीएफसी में मुख्य प्रबंधकीय कार्मिक (केएमपी) और ज्येष्ठ प्रबंधतंत्र के पारिश्रमिक पर दिशानिर्देश जैसा कि आप अवगत हैं, दिनांक 22 अक्तूबर 2021 के परिपत्र विवि.सीआरई.आरईसी.सं.60/03.10.001/2021-22 के माध्यम से एनबीएफसी के लिए एक पुनरीक्षित स्केल आधारित विनियामकीय (एसबीआर) ढांचा लागू किया गया था। उक्त परिपत्र के पैरा 3.2.3 (एच) के अनुसार, अनुचित तरीके से संरेखित पारिश्रमिक पैकेज के कारण अत्यधिक जोखिम लेने से उत्पन्न होने वाले मुद्दों को संबोधित करने के लिए, एनबीएफसी को बोर्ड अनुमोदित पारिश्रमिक नीति बनाने की आवश्यकता है। नीति में कम से कम यह शामिल होगा, (ए) एक पारिश्रमिक समिति का गठन, (बी) नियत / परिवर्तनशील वेतन संरचनाओं के लिए सिद्धांत, और (सी) मालस/क्लॉबैक प्रावधान। इसके अलावा, पैरा 3.2.3 (आई) के अनुसार, यह भी निर्णय लिया गया था कि एनबीएफसी के बोर्ड को नामांकन और प्रतिफल समिति (एनआरसी) सहित विभिन्न समितियों की भूमिका को दर्शाना/ निरूपित करना चाहिए। यह परिकल्पना की गई थी कि रिज़र्व बैंक द्वारा विस्तृत परिपत्र यथा समय जारी किए जाएंगे। तदनुसार, ये दिशानिर्देश अब तैयार किए गए हैं और अनुबंध में दिए गए हैं। 2. दिशानिर्देश केवल एनबीएफसी और उनकी एनआरसी को उनकी पारिश्रमिक नीति तैयार करने में विस्तृत मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए हैं। पारिश्रमिक नीति बनाते समय यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी सांविधिक अधिदेश और उनके तहत जारी किए गए नियमों और निर्देश का पूरी तरह से अनुपालन किया जाए। 3. ये दिशानिर्देश 'बेस लेयर'1 और सरकारी स्वामित्व वाली एनबीएफसी को छोड़कर, एसबीआर ढांचे के तहत सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के मुख्य प्रबंधकीय कार्मिक2 और ज्येष्ठ प्रबंधतंत्र3 के सदस्यों की पारिश्रमिक नीति तय करने के लिए लागू होंगे। 4. ये दिशानिर्देश दिनांक 01 अप्रैल 2023 से प्रभावी होंगे। भवदीया (सेंटा जॉय) अनुबंध 1. नामांकन और प्रतिफल समिति (एनआरसी) सभी लागू एनबीएफसी के बोर्ड एक नामांकन और प्रतिफल समिति (एनआरसी) का गठन करेंगे। एनआरसी का संघटन, उसकी शक्तियां, कार्य और कर्तव्य वैसे ही होंगे जैसे कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 178 में निर्धारित किए गए हैं। एनआरसी को, अन्य बातों के साथ-साथ, कंपनी की पारिश्रमिक नीति के निर्धारण, समीक्षा और कार्यान्वयन की निगरानी करने का भी अधिदेश होगा । पारिश्रमिक नीति को बोर्ड का अनुमोदन प्राप्त होना चाहिए। पारिश्रमिक और जोखिमों के बीच प्रभावी संरेखण प्राप्त करने के लिए एनआरसी कंपनी की जोखिम प्रबंधन समिति (आरएमसी) के साथ निकट समन्वय में काम करेगी। इसके अलावा, एनआरसी यह सुनिश्चित करेगी कि पारिश्रमिक का स्तर कंपनी आय को प्रतिधारित करने की आवश्यकता और आंतरिक पूंजी पर्याप्तता आंकलन प्रक्रिया (आईसीएएपी) के आधार पर पर्याप्त पूंजी बनाए रखने की आवश्यकता द्वारा समर्थित है। एनआरसी प्रस्तावित/मौजूदा निदेशकों की 'उपयुक्त और उचित' स्थिति भी सुनिश्चित करेगी और यह भी कि कंपनी के बोर्ड पर निदेशकों, केएमपी और ज्येष्ठ प्रबंधतंत्र की नियुक्ति में हितों का कोई टकराव नहीं है। 2. पारिश्रमिक के लिए सिद्धांत 2.1 घटक और जोखिम संरेखण: मुख्य प्रबंधकीय कार्मिक और ज्येष्ठ प्रबंधतंत्र का पारिश्रमिक उचित होना चाहिए, जो सांविधिक आवश्यकताओं और उद्योग प्रथाओं के अनुपालन सहित सभी प्रासंगिक कारकों की पहचान कराता हो। पारिश्रमिक पैकेज नियत और परिवर्तनशील वेतन घटक से युक्त और विवेकपूर्ण जोखिम लेने के साथ प्रभावी ढंग से संरेखित होना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पारिश्रमिक को सभी प्रकार के जोखिमों के लिए समायोजित किया गया है, पारिश्रमिक के परिणाम जोखिम परिणामों के साथ सममित हैं, पारिश्रमिक का भुगतान जोखिम के समय क्षितिज के प्रति संवेदनशील हैं, और नकद, इक्विटी और पारिश्रमिक के अन्य रूपों का मिश्रण जोखिम संरेखण के अनुरूप है। 2.2 नियत वेतन की संरचना: अनुलाभ और पेंशन/सेवानिवृत्ति लाभों के लिए योगदान सहित पारिश्रमिक की सभी निश्चित मदों को नियत वेतन के हिस्से के रूप में माना जाएगा। प्रतिपूर्ति योग्य सभी अनुलाभों को भी नियत वेतन में शामिल किया जाएगा, जब तक कि इन प्रतिपूर्तियों पर मौद्रिक सीमाएं हैं। गैर-मौद्रिक प्रकृति के लाभों (जैसे निःशुल्क सुसज्जित घर, कंपनी की कार का उपयोग, आदि) के मौद्रिक समकक्ष भी नियत वेतन का हिस्सा होंगे। 2.3 परिवर्तनशील वेतन के सिद्धांत 2.3.1 परिवर्तनशील वेतन की संरचना: परिवर्तनशील वेतन शेयर-लिंक्ड लिखत, या नकद और शेयर-लिंक्ड लिखत के मिश्रण के रूप में हो सकता है। यह सुनिश्चित किया जाए कि शेयर-लिंक्ड लिखत प्रासंगिक सांविधिक प्रावधानों के अनुरूप हैं। 2.3.2 अनुपात: कुल पारिश्रमिक4 में परिवर्तनशील वेतन का अनुपात केएमपी/ज्येष्ठ प्रबंधतंत्र की भूमिका और विवेकपूर्ण जोखिम लेने वाले प्रोफाइल के अनुरूप होना चाहिए। जिम्मेदारी के उच्च स्तर पर, परिवर्तनशील वेतन का अनुपात अधिक होना चाहिए। यदि परिवर्तनशील वेतन में शेयर लिंक्ड लिखत शामिल हैं, तो परिवर्तनशील वेतन में नकद और शेयर-लिंक्ड लिखतों के बीच उचित संतुलन होना चाहिए। परिवर्तनशील वेतन वास्तव में और प्रभावी रूप से परिवर्तनशील होना चाहिए और व्यक्तिगत, व्यवसाय-इकाई और कंपनी-व्यापी स्तर पर प्रदर्शन के आधार पर शून्य तक घटाया जा सकता है। ऐसा करने के लिए, निष्पादन मानकों और पारिश्रमिक पैकेज के साथ उनके संबंध को निष्पादन माप अवधि की शुरुआत में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कर्मचारी प्रोत्साहन तंत्र को समझते हैं। 2.3.3 परिवर्तनशील वेतन का आस्थगन: निष्पादन आंकलन के बाद दिए गए पूरे परिवर्तनशील वेतन का भुगतान तुरंत नहीं किया जा सकता है। परिवर्तनशील वेतन के कुछ हिस्से को, जैसा की कंपनी के बोर्ड द्वारा तय किया जाए, जोखिम के समय परिधि के अनुरूप आस्थगित किया जा सकता है। आस्थगन व्यवस्था के हिस्से को परिवर्तनीय वेतन के नकद और गैर-नकद दोनों घटकों के लिए लागू किया जाना चाहिए । ऐसी व्यवस्था के लिए आस्थगन अवधि कंपनी के बोर्ड द्वारा तय की जा सकती है। 2.3.4 निगरानी और आश्वासन कार्य कार्मिक: वित्तीय नियंत्रण, जोखिम प्रबंधन, अनुपालन और आंतरिक लेखा परीक्षा में शामिल केएमपी और ज्येष्ठ प्रबंधतंत्र को इस तरह से पारिश्रमिक दिया जाना चाहिए जो उनके द्वारा निर्वाह किए जाने वाले व्यावसायिक क्षेत्रों से स्वतंत्र हो, और कंपनी में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के अनुरूप हो। तदनुसार, ऐसे कार्मिकों के लिए नियत पारिश्रमिक का अनुपात उच्चतर हो सकता है। तथापि, पारिश्रमिक का एक उचित अनुपात परिवर्तनशील वेतन के रूप में होना चाहिए, ताकि आवश्यकता पड़ने पर मालस और/या क्लॉबैक के विकल्पों का प्रयोग औचित्यहीन न हो। 3. गारंटीकृत बोनस केएमपी और ज्येष्ठ प्रबंधतंत्र को गारंटीकृत बोनस का भुगतान नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, नए हायरिंग के संदर्भ में जॉइनिंग/साइन-ऑन बोनस पर विचार किया जा सकता है। इस तरह के बोनस को न तो नियत वेतन का हिस्सा माना जाएगा और न ही परिवर्तनशील वेतन का। 4. मालस / क्लॉबैक किसी भी वर्ष में कंपनी और/या प्रासंगिक व्यवसाय के क्षेत्र के कमजोर या नकारात्मक वित्तीय प्रदर्शन या कर्मचारी कदाचार की स्थिति में आस्थगित पारिश्रमिक मालस5 / क्लॉबैक6 व्यवस्था के अधीन हो सकती है। एनबीएफसी द्वारा स्थितियों के एक द्योतक सेट की पहचान की जानी चाहिए, जिसके लिए उन्हें मालस और क्लॉबैक नियम, जो पूरे परिवर्तनशील वेतन पर लागू हो सकते हैं, लागू करने की आवश्यकता पड़ सकती है । मालस और क्लॉबैक के अनुप्रयोग के लिए मानदंड निर्धारित करते समय, एनबीएफसी एक ऐसी अवधि भी विनिर्दिष्ट करेगी जिसके दौरान मालस और/या क्लॉबैक लागू किया जा सकता है। यह अवधि कम से कम आस्थगन और प्रतिधारण अवधि7 को कवर करनी चाहिए। 1 बेस लेयर - जैसा कि आरबीआई के दिनांक 22 अक्तूबर 2021 के परिपत्र विवि.सीआरई.आरईसी.सं.60/03.10.001/2021-22 स्केल आधारित विनियामकीय (एसबीआर): एनबीएफसी के लिए एक संशोधित नियामक ढांचा, जो समय-समय पर संशोधित है, में परिभाषित किया गया है। 2 केएमपी: जैसा कि समय-समय पर संशोधित कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 (51) में परिभाषित किया गया है। 3 'ज्येष्ठ प्रबंधतंत्र' वही हैं जो कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 178 के 'स्पष्टीकरण' में परिभाषित हैं। 4 कुल पारिश्रमिक में नियत और परिवर्तशील वेतन शामिल हैं। 5 मालस व्यवस्था एनबीएफसी को आस्थगित पारिश्रमिक की राशि के सभी या कुछ हिस्से को निहित होने से रोकने की अनुमति देती है। मालस व्यवस्था में पहले निहित हो चुके अंश की वापसी की व्यवस्था नहीं है । 6 क्लॉबैक कर्मचारी और एनबीएफसी के बीच एक संविदात्मक करार है जिसमें कर्मचारी कुछ परिस्थितियों में एनबीएफसी को पूर्व भुगतान या निहित पारिश्रमिक वापस करने के लिए सहमत होते है। 7 प्रतिधारण अवधि: परिवर्तनशील वेतन के रूप में प्रदान किये गये लिखतों के निहित होने के बाद की अवधि जिसके दौरान उन्हें बेचा या एक्सेस नहीं किया जा सकता है। |