बाज़ार व्यवस्था के माध्यम से बड़े उधारकर्ताओं के लिए ऋण आपूर्ति बढ़ाने के संबंध में दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाज़ार व्यवस्था के माध्यम से बड़े उधारकर्ताओं के लिए ऋण आपूर्ति बढ़ाने के संबंध में दिशानिर्देश
भा.रि.बै./2016-17/50 25 अगस्त, 2016 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदय/महोदया बाज़ार व्यवस्था के माध्यम से बड़े उधारकर्ताओं के लिए कृपया उपर्युक्त विषय पर स्टेकधारकों के अभिमत के लिए 12 मई, 2016 को जारी चर्चा पत्र का संदर्भ ग्रहण करें। चर्चा-पत्र में बैंकिंग व्यवस्था की ऐसी संकेंद्रण जोखिम के समाधान के लिए ढांचे का प्रस्ताव किया गया था, जो एकल प्रतिपक्षकार के प्रति इसके एक्सपोज़र से उत्पन्न होता है। 2. स्टेकधारकों से प्राप्त अभिमत की जांच की गई। स्टेकधारकों के मतों को और अच्छे विनियमन के विवेकपूर्ण पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, अंतिम दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं। दिशानिर्देश इस परिपत्र के अनुबंध के रूप में दिए गए हैं और 1 अप्रैल, 2017 से लागू होंगे। 3. इसके अतिरिक्त, चर्चा पत्र के जारी होने के बाद उक्त विषय पर स्टेकधारकों द्वारा उठाए गए कतिपय प्रश्नों के संबंध में स्पष्टीकरण को /en/web/rbi/regulations-commercial-banking/faqs लिंक के अंतर्गत देखा जा सकता है। भवदीय, (अजय कुमार चौधरी) बाज़ार व्यवस्था के माध्यम से बड़े उधारकर्ताओं के लिए परिभाषाएं : 1. इस ढ़ांचे के लिए, निम्नलिखित शब्दों के अर्थ वही होंगे जो नीचे उन्हें दिये गये हैं: (i) समग्र मंजूर ऋण सीमा (एएससीएल) का आशय बैंकिंग प्रणाली द्वारा उधारकर्ता को मंजूर की गई अथवा बकाया, जो भी अधिक हो, समग्र निधि आधारित ऋण सीमा से है। समग्र मंजूर ऋण सीमा (एएससीएल) में बैंकिंग प्रणाली से गैर-सूचीबद्ध निजी तौर पर लिया गया ऋण भी शामिल है। (ii) ‘विनिर्दिष्ट उधारकर्ता’ का आशय उस उधारकर्ता से है जिसके पास निम्नलिखित से अधिक एएससीएल हो-
(iii) ‘संदर्भ तिथि’ का आशय उस तिथि से है जब कोई उधारकर्ता एक ‘विनिर्दिष्ट उधारकर्ता’ बन जाता है। (iv) सामान्यतः अनुमत ऋण सीमा (एनपीएलएल) का आशय वृद्धिशील निधियों के उस 50 प्रतिशत से है जिसे संदर्भ तिथि के वित्तीय वर्ष के पूर्व के वित्तीय वर्ष में संदर्भ तिथि तक उसके एएससीएल से अधिक विनिर्दिष्ट उधारकर्ता द्वारा जुटाया गया है। इस प्रयोजन से, विशेष वर्ष में इक्विटी के माध्यम से जुटाई गई कोई निधि विशेषीकृत उधारकर्ता द्वारा जुटाई गई वृद्धिशील निधि (बैंकिंग व्यवस्था के बाहर से) का हिस्सा मानी जाएगी; बशर्ते कि जहां विनिर्दिष्ट उधारकर्ता ने पहले ही बाजार लिखतों के माध्यम से निधियां जुटा ली हैं और संदर्भ तिथि तक ऐसे लिखतों के संबंध में बकाया राशि उस तिथि तक एएससीएल का 15 प्रतिशत अथवा उससे अधिक हो, तो एनपीएलएल का आशय वृद्धिशील निधियों के उस 60 प्रतिशत से है जिसे विनिर्दिष्ट उधारकर्ता द्वारा संदर्भ तिथि के वित्त वर्ष के बाद के वित्त वर्षों में संदर्भ तिथि तक इसके एएससीएल से अधिक जुटाया गया है। (v) बैंकिंग प्रणाली का आशय क्षेत्रीय ग्रमीण बैंकों तथा सहकारी बैंकों और भारतीय बैंकों की विदेश में स्थित शाखाओं सहित भारत के सभी बैंकों से है। (vi) बाजार लिखतों में बॉण्ड, डिबेन्चर, विमोचनीय अधिमानी शेयरों और इक्विटी के अलावा किसी अन्य ऋणेतर देयता शामिल होंगे। दायरा: 2. ये दिशानिर्देश अन्य अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी), भारतीय रिज़र्व बैंक से पंजीकृत एनबीएफसी, अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं (एआईएफआई) (एनएचबी, सिडबी, एक्जिम बैंक और नाबार्ड) और एनबीएच में पंजीकृत आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को छोड़कर, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के सभी एकल प्रतिपक्षकारों पर लागू होंगे। किसी एकल उधारकर्ता के लिए एनपीएलएल का निर्णय करते समय बैंक उचित सावधानी बरतें, ताकि उधारकर्ता जाली/ फर्जी समूह कंपनियों के माध्यम से उधार लेकर कट-ऑफ एएससीएल मानदंड का उल्लंघन न करें। 3. यह वित्त वर्ष 2017-18 से प्रभावी होगा। बैंकिंग प्रणाली में सामान्य तौर पर विनिर्दिष्ट उधारकर्ताओं को इसके भावी वृद्धिशील एक्सपोज़र को एनपीएलएल के भीतर ही रखा जाएगा, अन्यथा वे नीचे दिए गए ब्योरे के अनुसार विवेकपूर्ण उपायों के अधीन होंगे। विवेकपूर्ण उपाय: 4. 2017-18 से, किसी विनिर्दिष्ट उधारकर्ता को बैंकिंग प्रणाली का एनपीएलएल से अधिक वृद्धिशील एक्सपोज़र उच्चतर जोखिम वाला माना जाएगा, जिसे अतिरिक्त प्रावधानीकरण और उच्चतर जोखिम भारों के द्वारा मान्यता दी जाएगी: (i) बैंकिंग प्रणाली के एनपीएलएल से अधिक वृद्धिशील एक्सपोज़र पर लागू प्रावधान के अलावा 3 प्रतिशतता अंकों के अतिरिक्त प्रावधान, जिसे प्रत्येक बैंक के निधिक एक्सपोज़र के अनुपात में विनिर्दिष्ट उधारकर्ता को वितरित किया जाएगा। (ii) विनिर्दिष्ट उधारकर्ता को एक्सपोज़र के लिए लागू जोखिम भार के अलावा 75 प्रतिशतता अंकों का अतिरिक्त जोखिम भार। जोखिम भारित आस्तियों के अनुसार, परिणामी अतिरिक्त जोखिम भारित एक्सपोज़र प्रत्येक बैंक के निधिक एक्सपोज़र के अनुपात में विनिर्दिष्ट उधारकर्ता को वितरित किया जाएगा। स्पष्टीकरण: एनपीएलएल से अधिक एक्सपोज़र निर्धारित करने के प्रयोजन से, नीचे पैरा 5 में दिए गए अनुसार विनिर्दिष्ट उधारकर्ता द्वारा 2017-18 में जारी बाजार लिखतों में बैंकिंग प्रणाली द्वारा किए गए किसी अभिदान, तथा बैंक द्वारा अनुमेय विवेकपूर्ण सीमाओं के भीतर धारित बाजार लिखतों को छोड़कर, बैंकिंग प्रणाली द्वारा बाजार लिखतों में किए गए अभिदान को शामिल किया जाएगा। 5. इस ढांचे के प्रभावी होने के प्रथम वर्ष में, अर्थात् 2017-18 में बैंक अपने विवेकानुसार मौजूदा निवेश संबंधी दिशानिर्देशों के अधीन विनिर्दिष्ट उधारकर्ता द्वारा जारी बॉण्डों में अभिदान कर सकते हैं, और इनका निम्नलिखित निदेशों के अनुसार आगामी तीन वर्षों में विनिवेश किया जाए: (i) 31 मार्च 2019 तक 30 प्रतिशत से कम न हो (ii) 31 मार्च 2020 तक 60 प्रतिशत से कम न हो (iii) 31 मार्च 2021 तक 100 प्रतिशत से कम न हो। 6. ‘संदर्भ तिथि’ के बाद बैंक द्वारा धारित ‘विनिर्दिष्ट उधारकर्ता' द्वारा जारी सभी बाजार लिखतों को एएफएस/एचएफटी श्रेणी में रखा जाएगा और उस पर यथा लागू बाजार दर पर आधारित होगा। तथापि, बैंक अपने विवेकानुसार से विनिर्दिष्ट उधारकर्ता' द्वारा 2017-18 में बही मूल्य पर जारी बाजार लिखतों की अपनी धारिता का मूल्यांकन कर सकते हैं। 7. भारतीय रिज़र्व बैंक इन दिशानिर्देशों के पूर्णतः लागू होने के एक वर्ष बाद, अर्थात् वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान एएससीएल सीमाओं सहित सम्पूर्ण दिशानिर्देशों की समीक्षा करेगा। |