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ऋणदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता संबंधी दिशा-निर्देश

आरबीआइ/2006-2007/280
बैंपविवि. सं. एलईजी. बीसी. 65 /09.07.005/2006-07

6 मार्च 2007
15 फाल्गुन 1928 (शक)

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक / अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं

(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय

ऋणदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता संबंधी दिशा-निर्देश

कृपया 5 मई 2003 का हमारा परिपत्र बैंपविवि.एलईजी सं. बीसी. 104/09.07.007/2002-03 देखें जिसमें ऋणदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता (Fair Practices Code) तैयार करने के लिए बैंकों /वित्तीय संस्थाओं को दिशा-निर्देश जारी किए गए थे ।

2. उपर्युक्त परिपत्र के पैरा 2 (i) (क) के अनुसार बैंकों /वित्तीय संस्थाओं को सूचित किया गया था कि प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को 2.00 लाख रुपये तक के अग्रिमों के संबंध में ऋण आवेदन के फार्म व्यापक होने चाहिए तथा इनमें प्रोसेसिंग के लिए देय शुल्क / प्रभार, यदि कोई हो, आवेदन पत्र स्वीकार न होने की स्थिति में ऐसे शुल्क की वापस की जा सकने वाली राशि, पूर्व भुगतान के विकल्प तथा ऋणकर्ता के हित को प्रभावित करने वाले किसी अन्य मामले के संबंध में जानकारी शामिल होनी चाहिए, ताकि अन्य बैंकों के साथ सार्थक तुलना की जा सके और ऋणकर्ता सोच समझकर निर्णय ले सके।

3. अधिक पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से तथा प्राप्त अनुभव के परिप्रेक्ष्य में यह निर्णय लिया गया है कि उपर्युक्त अनुदेश ऋणों की सभी श्रेणियों के संदर्भ में सभी ऋण आवेदनों पर लागू होंगे चाहे ऋणकर्ता द्वारा मांगी गयी राशि कितनी भी हो। बैंकों /वित्तीय संस्थाओं को सूचित किया जाता है कि वे इस संबंध में अपने बोर्ड के अनुमोदन से पारदर्शी नीति बनाएं।

4. साथ ही, 5 मई 2003 के उक्त परिपत्र के पैरा 2 (i) (घ) के अनुसार बैंकों /वित्तीय संस्थाओं को सूचित किया गया था कि 2 लाख रुपये तक के ऋण मांगने वाले छोटे ऋणकर्ताओं के मामले में ऋणदाताओं को चाहिए कि वे निर्धारित समय में लिखित रूप में बताएं कि किस मुख्य कारण/कारणों से बैंक / वित्तीय संस्था की राय में ऋण आवेदन पत्र अस्वीकार किया गया है ।

5. समीक्षा करने पर, यह निर्णय लिया गया है कि क्रेडिट कार्ड के आवेदन पत्रों सहित ऋणों की सभी श्रेणियों के मामले में, चाहे प्रारंभिक सीमा कुछ भी हो, बैंकों/वित्तीय संस्थाओं को चाहिए कि वे लिखित रूप में बताएं कि किस मुख्य कारण/कारणों से बैंक /वित्तीय संस्था की राय में ऋण आवेदन पत्र अस्वीकार किया गया है।

6. बोर्ड के अनुमोदन से, उपर्युक्त अनुदेशों के आधार पर उचित व्यवहार संहिता में आवश्यक संशोधन 30 अप्रैल 2007 तक कर लिए जाने चाहिए। संशोधित उचित व्यवहार संहिता को बैंक / वित्तीय संस्था की वेबसाइट पर रखा जाना चाहिए तथा उसका व्यापक प्रचार भी किया जाना चाहिए।

भवदीय

(प्रशांत सरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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