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गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए उचित व्यवहार संहिता के संबंध में दिशा- निर्देश

भरिबै/2006-07/138
गै.बैं.पवि (नी प्र) कं परि सं 80 03.10.042/2006-07

28 सितंबर 2006

सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां
(अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों सहित)

महोदय

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए उचित व्यवहार संहिता के संबंध में दिशा- निर्देश

भारतीय रिज़र्व बैंक, इस बात से संतुष्ट होकर कि देश की ऋण व्यवस्था को उसके हित के लिए विनियमित करने हेतु उसे समर्थ बनाने के प्रयोजनार्थ ऐसा करना आवश्यक है, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का अधिनियम 2) की धारा 45" द्वारा प्रदत्त अधिकारों और इस संबंध में उसे समर्थ बनाने वाले अन्य सभी अधिकारों का प्रयोग करते हुए एतदद्वारा ऐसी उचित व्यवहार संहिता के संबंध में स्थूल रूप में दिशा-निर्देश निर्धारित करता है, जो सभी गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों (अवशिष्ट गैर बैकिंग कंपनियों सहित) के निदेशक मंडलों द्वारा बनाई जानी है — इस प्रकार बनाई गई और निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित उचित व्यवहार संहिता आम जनता की सूचना के लिए प्रकाशित कराई जाएगी और यदि कंपनी की कोई वेबसाइट हो तो उस वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी — इस परिपत्र के साथ अनुबंध में दी गई रूपरेखा पर आधारित उचित व्यवहार संहिता सभी गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों द्ववारा अपने निदेशक मंडलों के अनुमोदन से इस परिपत्र की तारीख से एक महीने के अंदर कार्यान्वित कर दी जानी चाहिए —

2. कृपया इस परिपत्र की पावती गैर बैकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को भेज दें, जिसके अधिकार क्षेत्र में कंपनी का पंजीकृत कार्यालय स्थित है —

भवदीय

(पी. कृष्णमूर्ति)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए उचित व्यवहार संहिता

(I) ऋण आवेदन पत्र और उनको प्रोसेस करना

(क) ऋण आवेदन पत्र में वह आवश्यक सूचना होनी चाहिए, जिससे उधारकर्ता का हित प्रभावित होता हो ताकि अन्य गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी द्ववारा प्रस्तावित शर्तां और दशाओं की अर्थपूर्ण तुलना की जा सके और उधारकर्ता, द्वारा पूरी जानकारी अवगत होकर निर्णय लिया जा सके — ऋण आवेदन फार्म में; आवेदन करने समय प्रस्तुत किए जाने के लिए अपेक्षित दस्तावेजों का उल्लेख किया जाए —

(ख) गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियाँ एक ऐसी प्रणाली विकसित करें, जिससे सभी ऋण आवेदनों की प्राप्ति रसीद (पावती) दी जा सके — उक्त पावती में वरीयतन उस समयविधि का भी उल्लेख किया जाना चाहिए, जिसके अंतर्गत ऋण आवेदनों का निपटान कर दिया जाएगा —

(II) ऋण मूल्यांकन और शर्ते/ दशाएं

गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों को ऋण लेने वाले को मंजूरी पत्र या अन्य प्रकार से मंजूर किए गए ऋण की राशि लिखित रूप में उसकी शर्तां और दशाओं के साथ, जिसमें वार्षिक आधार पर व्याज की दर तथा उसे लागू करने का तरीका भी दिया हो, सूचित करनी चाहिए और उधारकर्ता इन शर्तों एवं दशाओं की स्वीकृति को अपने अभिलेख में रखनी चाहिए —

(III) ऋणें का वितरण और शर्तो एवं दशाओं में परिवर्तन

(क) गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों को, वितरण सूची, व्याज दरों, सेवा प्रभारों, अवधिपूर्व भुगतान प्रभारों आादि सहित शर्तों और दशाओं में कोई परिवर्तन होनेपर उसकी सूचना उधार लेने वाले को देनी चाहिए — गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियां यह भी सुनिश्चित करें कि ब्याज दरों और प्रभारों में हुए परिवर्तन केवल बाद की तारीख से लागू हों — इस संबंध में ऋण करार में समुचित शर्त शमिल की जाए —

(ख) ऋण वापस लेने/ भुगतान में तेजी लाने या करार के निष्पादन में तेजी लाने का निर्णय ऋण करार की शर्तों के अनुरुप होना चाहिए।

(ग) गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी को सभी देय राशियों की चुकौती होने पर या ऋण की बकाया राशि की वसूली हो जाने पर गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी के उधारकर्ता के विरूद्ध किसी अन्य दावे के न्यायसंगत अधिकार या ग्रहणाधिकार को छोड़कर, सभी जमानत स्वरूप रखे गए दस्तावेज वापस दे देना चाहिए — ऐसे समायोजन के यदि किसी अधिकार का, इस्तेमाल किया जाना है तो उसके लिए शेष दावों के बारे में पूरे विवरण के साथ उधार लेने वालों को नोटिस देना होगा और उन दशाओं की सूचना देना होगी जिनके अंतगर्त गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी को संगत दावा न सुलझाए जाने/ भुगतान न करने तक उस दस्तावेजों को रोकेध रहने का अधिकार है —

(IV) सामान्य

(क) गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी को उन प्रयोजनों को छोड कर, जो ऋण करार की शर्तों और दशाओं में जिनका उल्लेख है, (जब तक उधारकर्ता द्ववारा पहले प्रकट नहीं की गई कोई नई सूचना उधार देने वाली कंपनी की जानकारी में नहीं आई हो), उधार लेने के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए —

(ख) उधारकर्ता से उधारखाते को अंतरित करने का अनुरोध प्राप्त होने पर उसकी सहमति या असहमति जैसे गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी की आपत्ति यदि कोई होतो, ऐसे अनुरोध प्राप्त होने के 21 दिन के अंदर उधारकर्ता को सूचित की जानी चाहिए — ऐसा अंतरण कानून के अनुरुप और पारदर्शी संविदागत शर्तों के अनुसार होगा —

(ग) ऋण की वसूली के मामले में गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा अनुचित रूप से परेशान करने के उपाय नहीं करने चाहिए जैसे ऋणों की वसूली हेतु उधारकर्ता को निरंतर असमय परेशान करना, मारपीट करने का भय दिखाना आदि —

v) गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी के निदेशए मंडल को इस संबंध में उत्पन्न होने वाले विवादों के समाधान के लिए संगठन के अंदर उचित शिकायत निवारण प्रकिया भी निर्धारित करनी चाहिए — ऐसी प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए उधार देने वाली संस्था के कार्यकर्ताओं के निर्णयों से उत्पन्न सभी विवादों की कम से कम अगले उच्चस्तर पर सुनवाई हो और निपटारा हो — निदेशक मंडल को उचित व्यवहार संहिता के उनुपालन और प्रबंधं तत्र के विभिन्न स्तरों पर शिकायत निवारण प्रक्रिया की कार्यप्रणाली की आवधिक रूप से समीक्षा करने की व्यवस्था करनी चाहिए — ऐसी समीक्षाओं की, निदेशक मंडल द्ववारा निर्धारित अनुसार नियमित अंतरालों पर एक समेंकित रिपोर्ट बोर्ड को प्रस्तुत की जानी चाहिए —

 

vi) सभी गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों को यहां ऊपर दिए गए दिशा -निर्देशों के आधार पर तैयार उचित अनुमोदन ये इस परिपत्र की तारीख से 1 महीने के अंदर कार्यान्वित कर दी जानी चाहिए। गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों को उक्त उचित व्यवहार संहिता का प्रारूप तैयार करने, उक्त दिशा-निर्देशों की व्याप्ति (स्कोप) बढ़ाने की स्वतंत्रता होगी परंतु वे उपर्युक्त दिशा-निर्देशों को निहित मूल भावना को त्याग नहीं करेंगी — उक्त उचित व्यवहार संहिता, विभिन्न दावा धारकों की सूचना के लिए गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा अपनी वेब साइट पर, यदि हो तो, उपलब्ध कराई जाए

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