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अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) द्वारा यथा अधिसूचित पात्र स्वर्णकारों द्वारा स्वर्ण के आयात पर दिशानिर्देश

भा.रि.बैंक/2022-2023/57
ए.पी. (डी.आई.आर. सीरीज़) परिपत्र सं. 04

25 मई 2022

सेवा में,

सभी श्रेणी-1 प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/ महोदय

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) द्वारा यथा अधिसूचित पात्र स्वर्णकारों द्वारा स्वर्ण के आयात पर दिशानिर्देश

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) समय-समय पर यथासंशोधित विदेश व्यापार (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1992 (जिसे इसके बाद एफटीडीआर अधिनियम, 1992 कहा जाएगा) का संदर्भ लेते हुए विदेश व्यापार नीति और प्रक्रियाएँ तैयार करता है और उन्हें लागू करवाता है। समय-समय पर यथासंशोधित विदेश व्यापार नीति, 2015-2020 के पैराग्राफ 1.02 और 2.01 के साथ पठित एफटीडीआर अधिनियम 1992 की धारा 5 के साथ पठित धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने 5 जनवरी 2022 की अपनी अधिसूचना संख्या 49/2015-2020 द्वारा अध्याय 71, आईटीसी (एचएस), 2017, अनुसूची- I (आयात नीति) के तहत मौद्रिक स्वर्ण और चांदी के अलावा किसी भी रूप में स्वर्ण के आयात हेतु बनी नीति की शर्तों में संशोधन किया है।

2. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (एडी) बैंकों का ध्यान (क) 5 जनवरी 2022 की अधिसूचना संख्या 49/2015-2020 की ओर जिसके अनुसार, आरबीआई द्वारा जारी अधिसूचना (बैंकों के मामले में) के तहत नामित एजेंसियों तथा डीजीएफटी द्वारा जारी अधिसूचना के तहत नामित एजेंसियों के अतिरिक्त, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) द्वारा यथा-अधिसूचित पात्र स्वर्णकारों (क्यू. जे.) को इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज आईएफएससी लिमि. (IIBX) के माध्यम से विशिष्ट आईटीसी (एचएस) कोड के तहत स्वर्ण का आयात करने की अनुमति होगी; (ख) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा माल और सेवाओं का आयात विषय पर जारी मास्टर निदेश एवं फेमा, 1999 के तहत स्वर्ण के आयात हेतु जारी किए गए ए.पी. डीआईआर सीरीज के परिपत्रों की ओर; (सी) अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) द्वारा अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण अधिनियम, 2019 के तहत जारी की गयी विनियमावली की ओर आकृष्ट किया जाता है।

3. निवासी पात्र स्वर्णकार IIBX या IFSCA और डीजीएफटी, भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किसी अन्य एक्सचेंज के माध्यम से सोने का आयात कर सकें, इसके लिए फेमा के तहत निम्नलिखित निर्देश जारी किए जा रहे हैं।

  1. एडी बैंक मौजूदा विदेश व्यापार नीति और आईएफएससी अधिनियम के तहत जारी विनियमावली के अनुपालन में पात्र स्वर्णकारों को IIBX के माध्यम से सोने के आयात के लिए ग्यारह दिनों के अग्रिम भुगतान की अनुमति दे सकते हैं। प्राधिकृत व्यापारी बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि आईएफएससी अधिनियम और उसके तहत IFSCA द्वारा बनाई गयी विनियमावली के अनुसार IFSCA द्वारा अधिकृत एक्सचेंज/जों के माध्यम से इस प्रकार के आयात के लिए किया जाने वाला अग्रिम विप्रेषण बिक्री संविदा अथवा अपरिवर्तनीय क्रय-आदेश की प्रकृति वाले किसी अन्य दस्तावेज में उल्लिखित शर्तों के अनुरूप होगा। एडी बैंक हर प्रकार की समुचित सावधानी बरतेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि विप्रेषण वास्तविक हैं और ये आयात लेनदेन IFSCA द्वारा अधिकृत एक्सचेंज/जों के माध्यम से किए गए हैं।

  2. स्वर्ण के आयात के लिए किए गए अग्रिम विप्रेषण का लाभ किसी भी रूप में अग्रिम प्रेषण से अधिक मूल्य के सोने के आयात के लिए नहीं लिया जाना चाहिए।

  3. ऐसे मामले में, जब IFSCA द्वारा अधिकृत एक्सचेंज के माध्यम से किए जा रहे ऐसे स्वर्ण का आयात जिसके लिए अग्रिम विप्रेषण भेजा जा चुका हो, सफल नहीं हो पाता अथवा इस उद्देश्य से भेजे गए विप्रेषण की राशि अपेक्षित राशि से ज्यादा होती है, तो अग्रिम विप्रेषण की अप्रयुक्त राशि ग्यारह दिनों की विनिर्दिष्ट समय सीमा के भीतर उसी एडी बैंक को वापस भेज दी जाएगी।

  4. IIBX के माध्यम से आयातित स्वर्ण के मामले में पात्र स्वर्णकार को सीमा शुल्क प्राधिकारियों द्वारा जारी किया गया प्रवेश बिल (या आयात के साक्ष्य स्वरूप सीमा शुल्क विभाग द्वारा जारी/अनुमोदित कोई अन्य लागू दस्तावेज) उस एडी बैंक में प्रस्तुत करना होगा जहाँ से अग्रिम भुगतान का विप्रेषण किया गया है।

  5. पात्र स्वर्णकारों द्वारा IIBX के माध्यम से सोने के आयात के लिए किए गए सभी भुगतान आईएफएससी अधिनियम और विनियमावली के अंतर्गत IFSCA द्वारा अनुमोदित विनिमय व्यवस्था के माध्यम से ही किए जाएंगे। IIBX के माध्यम से सोने के आयात के लिए मौजूदा दिशानिर्देशों से यदि किसी भी प्रकार का विचलन होता है, तो IFSCA एवं अन्य संबंधित तथा समुचित प्राधिकरण/णों द्वारा उसका पूर्व-अनुमोदन लेना अपेक्षित है।

4. IFSCA विनियमों के तहत पात्र स्वर्णकारों द्वारा सोने के आयात को संभव बनाने हेतु इससे जुड़ी सभी संस्थाओं को शामिल करते हुए IFSCA द्वारा IIBX एक्सचेंज पर समुचित सावधानी बरतने संबंधी आवश्यक उपाय किए जाएंगे। IFSCA यह सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक प्रणाली स्थापित करेगा कि पात्र स्वर्णकारों से ली गई अग्रिम विप्रेषण राशि का उपयोग IIBX के माध्यम से सोने के आयात के उद्देश्य से ही किया जाए।

5. प्राधिकृत व्यापारी बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि:

  1. पात्र स्वर्णकारों द्वारा किये गए सोने के आयात से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेज, सीमा शुल्क संबंधी प्रक्रियाएं और आयात के साक्ष्य के रूप में प्रवेश बिल प्रस्तुत करना, आदि सभी अपेक्षाओं को निर्धारित अवधि के भीतर पूरा कर लिया गया हो।

  2. एक/ अनेक जावक विप्रेषण संदेश (ओआरएम) का संबंधित प्रवेश बिलों (बिल ऑफ एंट्री) के साथ मिलान कर लिया गया हो और आयात डेटा प्रसंस्करण प्रबंध प्रणाली (आईडीपीएमएस) में उनका उचित रूप से निपटान भी किया गया हो।

  3. आयातक – अर्थात पात्र स्वर्णकार द्वारा फेमा, 1999, एफटीडीआर अधिनियम 1992, विदेश व्यापार नीति और IFSCA के विनियमों के अनुसार आयात से संबंधित वर्तमान अनुदेशों का अनुपालन किया गया हो।

प्राधिकृत व्यापारी बैंक ऐसे मामलों के निपटान हेतु अपने निदेशक मंडल के अनुमोदन से आंतरिक दिशानिर्देश तैयार कर सकते हैं।

6. प्राधिकृत व्यापारी बैंकों द्वारा रिपोर्टिंग की अपेक्षा:

  1. प्राधिकृत व्यापारी बैंक मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार ऐसे सभी जावक विप्रेषणों के लिए IDPMS प्रणाली में जावक विप्रेषण संदेश (ओआरएम) तैयार करेंगे।

  2. इन सभी लेनदेनों को मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार FETERS प्रणाली में रिपोर्ट किये जाने की आवश्यकता है।

  3. प्राधिकृत व्यापारी बैंक ‘माल और सेवाओं का आयात’ विषय पर जारी मास्टर निदेश के पैरा-सी. 11.1 में निर्दिष्ट प्रावधानों के अनुसार पात्र स्वर्णकारों द्वारा किये गए सोने के आयात संबंधी विवरण को XBRL में रिपोर्ट करेंगे।

7. उपर्युक्त व्यवस्था केवल पात्र स्वर्णकारों द्वारा IIBX अथवा IFSCA द्वारा प्राधिकृत ऐसे अन्य किसी एक्सचेंज के माध्यम से भारत में सोने के भौतिक आयात की सुविधा प्रदान करने के लिए ही बनाई गई है।

8. उपर्युक्त निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।

9. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत जारी किये गए हैं और ये किसी अन्य विधि/ कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालते हैं।

भवदीय

(विवेक श्रीवास्तव)
मुख्य महाप्रबंधक

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