मास्टर निदेश – माल और सेवाओं का आयात (दिनांक 29 अगस्त 2024 तक अद्यतन)
इस तिथि के अनुसार अपडेट किया गया:
2024-08-29
2024-03-01
2022-11-21
2022-05-31
2022-01-06
2021-12-07
2020-10-28
2020-01-27
2019-04-01
2018-02-02
2017-01-12
2016-10-20
2016-03-31
2016-02-04
2016-01-01
भा.रि.बैंक/विमुवि/2016-17/12 विदेशी मुद्रा विभाग मास्टर निदेश संख्या सं.17/2016-17
01 जनवरी 2016 [दिनांक 29 अगस्त 2024 तक अद्यतन] [दिनांक 01 मार्च 2024 तक अद्यतन] [दिनांक 21 नवंबर 2022 तक अद्यतन] [दिनांक 31 मई 2022 तक अद्यतन] [दिनांक 06 जनवरी 2022 तक अद्यतन] [दिनांक 07 दिसंबर 2021 तक अद्यतन] [दिनांक 28 अक्तूबर 2020 तक अद्यतन] [दिनांक 27 जनवरी 2020 तक अद्यतन] [दिनांक 01 अप्रैल 2019 तक अद्यतन] [दिनांक 02 फरवरी 2018 तक अद्यतन] [दिनांक 12 जनवरी 2017 तक अद्यतन] [दिनांक 20 अक्तूबर 2016 तक अद्यतन] [दिनांक 31 मार्च 2016 तक अद्यतन] [दिनांक 04 फरवरी 2016 तक अद्यतन]
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक
महोदया / महोदय,
मास्टर निदेश – माल और सेवाओं का आयात
दिनांक 03 मई 2000 की अधिसूचना जी.एस.आर.381[ई] अर्थात, विदेशी मुद्रा प्रबंधन [चालू खाता लेनदेन] नियमावली, 2000 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 [1999 का 42] की धारा-5 के अनुसरण में भारत में माल और सेवाओं का आयात करने की अनुमति दी गयी है। इन विनियमों को विनियामक ढांचे में किये गये परिवर्तनों को शामिल करने के लिए समय-समय पर संशोधित किया जाता है और संशोधन अधिसूचनाओं के माध्यम से प्रकाशित किया जाता है।
2. साथ ही, विनियमावली की रूपरेखा के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक भी विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करता है। तैयार किये गये विनियमों को कार्यान्वित करने के लिए इन निदेशों में प्राधिकृत व्यक्तियों को अपने ग्राहकों /घटकों के साथ विदेशी मुद्रा का कारोबार किस प्रकार से करना है उसके तौर-तरीके निर्धारित किये जाते हैं।
3. इस मास्टर निदेश में भारत में माल और सेवाओं का आयात करने के संबंध में जारी किये गये अनुदेश संकलित किये गये हैं। नीचे उल्लिखित परिपत्रों /अधिसूचनाओं की सूची, जो इस मास्टर निदेश का आधार है, परिशिष्ट में दी गयी है। रिपोर्टिंग संबंधी अनुदेश रिपोर्टिंग पर मास्टर निदेश में देखें जा सकते हैं [दिनांक 01 जनवरी 2016 का मास्टर निदेश सं.18]
4. यह नोट किया जाए कि जहां आवश्यक हो, वहां अगर विनियमों में अथवा प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उनके ग्राहकों / घटकों के साथ किये जाने वाले लेनदेनों के तरीके में कोई परिवर्तन होता है तो रिज़र्व बैंक प्राधिकृत व्यापारियों को ए.पी. डीआईआर सिरीज़] परिपत्र के माध्यम से निदेश जारी करेगा। इसके साथ जारी किये गये मास्टर निदेश में समुचित संशोधन साथ-साथ किया जाएगा। यह मास्टर निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 की धारा 10(4) धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किया जाता है और यह किसी अन्य कानून के तहत अपेक्षित अनुमतियों/ अनुमोदनों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता।
भवदीय
(एन. सेंथिल कुमार) महाप्रबंधक
भा.रि.बैंक/विमुवि/2016-17/12 विदेशी मुद्रा विभाग मास्टर निदेश संख्या सं.17/2016-17
01 जनवरी 2016 [दिनांक 01 मार्च 2024 तक अद्यतन] [दिनांक 21 नवंबर 2022 तक अद्यतन] [दिनांक 31 मई 2022 तक अद्यतन] [दिनांक 06 जनवरी 2022 तक अद्यतन] [दिनांक 07 दिसंबर 2021 तक अद्यतन] [दिनांक 28 अक्तूबर 2020 तक अद्यतन] [दिनांक 27 जनवरी 2020 तक अद्यतन] [दिनांक 01 अप्रैल 2019 तक अद्यतन] [दिनांक 02 फरवरी 2018 तक अद्यतन] [दिनांक 12 जनवरी 2017 तक अद्यतन] [दिनांक 20 अक्तूबर 2016 तक अद्यतन] [दिनांक 31 मार्च 2016 तक अद्यतन] [दिनांक 04 फरवरी 2016 तक अद्यतन]
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक और प्राधिकृत बैंक
महोदया / महोदय,
मास्टर निदेश – माल और सेवाओं का आयात
दिनांक 03 मई 2000 की अधिसूचना जी.एस.आर.381[ई] अर्थात, विदेशी मुद्रा प्रबंधन [चालू खाता लेनदेन] नियमावली, 2000 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 [1999 का 42] की धारा-5 के अनुसरण में भारत में माल और सेवाओं का आयात करने की अनुमति दी गयी है। इन विनियमों को विनियामक ढांचे में किये गये परिवर्तनों को शामिल करने के लिए समय-समय पर संशोधित किया जाता है और संशोधन अधिसूचनाओं के माध्यम से प्रकाशित किया जाता है।
2. साथ ही, विनियमावली की रूपरेखा के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक भी विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 की धारा-11 के अंतर्गत प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करता है। तैयार किये गये विनियमों को कार्यान्वित करने के लिए इन निदेशों में प्राधिकृत व्यक्तियों को अपने ग्राहकों /घटकों के साथ विदेशी मुद्रा का कारोबार किस प्रकार से करना है उसके तौर-तरीके निर्धारित किये जाते हैं।
3. इस मास्टर निदेश में भारत में माल और सेवाओं का आयात करने के संबंध में जारी किये गये अनुदेश संकलित किये गये हैं। नीचे उल्लिखित परिपत्रों /अधिसूचनाओं की सूची, जो इस मास्टर निदेश का आधार है, परिशिष्ट में दी गयी है। रिपोर्टिंग संबंधी अनुदेश रिपोर्टिंग पर मास्टर निदेश में देखें जा सकते हैं [दिनांक 01 जनवरी 2016 का मास्टर निदेश सं.18]
4. यह नोट किया जाए कि जहां आवश्यक हो, वहां अगर विनियमों में अथवा प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उनके ग्राहकों / घटकों के साथ किये जाने वाले लेनदेनों के तरीके में कोई परिवर्तन होता है तो रिज़र्व बैंक प्राधिकृत व्यापारियों को ए.पी. डीआईआर सिरीज़] परिपत्र के माध्यम से निदेश जारी करेगा। इसके साथ जारी किये गये मास्टर निदेशों में उसी समय संशोधन किया जाएगा।
भा.रि.बैंक/विमुवि/2016-17/12 विदेशी मुद्रा विभाग मास्टर निदेश संख्या सं.17/2016-17
01 जनवरी 2016 [दिनांक 21 नवंबर 2022 तक अद्यतन] [दिनांक 31 मई 2022 तक अद्यतन] [दिनांक 06 जनवरी 2022 तक अद्यतन] [दिनांक 07 दिसंबर 2021 तक अद्यतन] [दिनांक 28 अक्तूबर 2020 तक अद्यतन] [दिनांक 27 जनवरी 2020 तक अद्यतन] [दिनांक 01 अप्रैल 2019 तक अद्यतन] [दिनांक 02 फरवरी 2018 तक अद्यतन] [दिनांक 12 जनवरी 2017 तक अद्यतन] [दिनांक 20 अक्तूबर 2016 तक अद्यतन] [दिनांक 31 मार्च 2016 तक अद्यतन] [दिनांक 04 फरवरी 2016 तक अद्यतन]
सभी श्रेणी - I प्राधिकृत व्यापारी बैंक और प्राधिकृत बैंक
महोदया / प्रिय महोदय,
मास्टर निदेश – माल और सेवाओं का आयात
दिनांक 03 मई 2000 की अधिसूचना जी.एस.आर.381[ई] अर्थात, विदेशी मुद्रा प्रबंधन [चालू खाता लेनदेन] नियमावली, 2000 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 [1999 का 42] की धारा-5 के अनुसरण में भारत में माल और सेवाओं का आयात करने की अनुमति दी गयी है। इन विनियमों को विनियामक ढांचे में किये गये परिवर्तनों को शामिल करने के लिए समय-समय पर संशोधित किया जाता है और संशोधन अधिसूचनाओं के माध्यम से प्रकाशित किया जाता है।
2. साथ ही, विनियमावली की रूपरेखा के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक भी विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 की धारा-11 के अंतर्गत प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करता है। तैयार किये गये विनियमों को कार्यान्वित करने के लिए इन निदेशों में प्राधिकृत व्यक्तियों को अपने ग्राहकों /घटकों के साथ विदेशी मुद्रा का कारोबार किस प्रकार से करना है उसके तौर-तरीके निर्धारित किये जाते हैं।
3. इस मास्टर निदेश में भारत में माल और सेवाओं का आयात करने के संबंध में जारी किये गये अनुदेश संकलित किये गये हैं। नीचे उल्लिखित परिपत्रों /अधिसूचनाओं की सूची, जो इस मास्टर निदेश का आधार है, परिशिष्ट में दी गयी है। रिपोर्टिंग संबंधी अनुदेश रिपोर्टिंग पर मास्टर निदेश में देखें जा सकते हैं [दिनांक 01 जनवरी 2016 का मास्टर निदेश सं.18]
4. यह नोट किया जाए कि जहां आवश्यक हो, वहां अगर विनियमों में अथवा प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उनके ग्राहकों / घटकों के साथ किये जाने वाले लेनदेनों के तरीके में कोई परिवर्तन होता है तो रिज़र्व बैंक प्राधिकृत व्यापारियों को ए.पी. [डीआईआर सिरीज़] परिपत्र के माध्यम से निदेश जारी करेगा। इसके साथ जारी किये गये मास्टर निदेशों में उसी समय संशोधन किया जाएगा।
भवदीय,
(विवेक श्रीवास्तव) मुख्य महाप्रबंधक
भा.रि.बैंक/विमुवि/2016-17/12 विदेशी मुद्रा विभाग मास्टर निदेश संख्या सं.17/2016-17
01 जनवरी 2016 [दिनांक 06 जनवरी 2022 तक अद्यतन] [दिनांक 07 दिसंबर 2021 तक अद्यतन] [दिनांक 28 अक्तूबर 2020 तक अद्यतन] [दिनांक 27 जनवरी 2020 तक अद्यतन] [दिनांक 01 अप्रैल 2019 तक अद्यतन] [दिनांक 02 फरवरी 2018 तक अद्यतन] [दिनांक 12 जनवरी 2017 तक अद्यतन] [दिनांक 20 अक्तूबर 2016 तक अद्यतन] [दिनांक 31 मार्च 2016 तक अद्यतन] [दिनांक 04 फरवरी 2016 तक अद्यतन]
सभी श्रेणी- I प्राधिकृत व्यापारी बैंक और प्राधिकृत बैंक
महोदया / प्रिय महोदय,
मास्टर निदेश – माल और सेवाओं का आयात
दिनांक 03 मई 2000 की अधिसूचना जी.एस.आर.381[ई] अर्थात, विदेशी मुद्रा प्रबंधन [चालूखाता लेनदेन] नियमावली, 2000 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 [1999 का 42] की धारा-5 के अनुसरण में भारत में माल और सेवाओं का आयात करने की अनुमति दी गयी है। इन विनियमों को विनियामक ढांचे में किये गये परिवर्तनों को शामिल करने के लिए समय-समय पर संशोधित किया जाता है और संशोधन अधिसूचनाओं के माध्यम से प्रकाशित किया जाता है।
2. साथ ही, विनियमावली की रूपरेखा के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक भी विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 की धारा-11 के अंतर्गत प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करता है। तैयार किये गये विनियमों को कार्यान्वित करने के लिए इन निदेशों में प्राधिकृत व्यक्तियों को अपने ग्राहकों /घटकों के साथ विदेशी मुद्रा का कारोबार किस प्रकार से करना है उसके तौर-तरीके निर्धारित किये जाते हैं।
3. इस मास्टर निदेश में भारत में माल और सेवाओं का आयात करने के संबंध में जारी किये गये अनुदेश संकलित किये गये हैं। नीचे उल्लिखित परिपत्रों /अधिसूचनाओं की सूची, जो इस मास्टर निदेश का आधार है, परिशिष्ट में दी गयी है। रिपोर्टिंग संबंधी अनुदेश रिपोर्टिंग पर मास्टर निदेश में देखें जा सकते हैं [दिनांक 01 जनवरी 2016 का मास्टर निदेश सं.18]
4. यह नोट किया जाए कि जहां आवश्यक हो, वहां अगर विनियमों में अथवा प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उनके ग्राहकों / घटकों के साथ किये जानेवाले लेनदेनों के तरीके में कोई परिवर्तन होता है तो रिज़र्व बैंक प्राधिकृत व्यापारियों को ए.पी.[डीआईआर सिरीज़] परिपत्र के माध्यम से निदेश जारी करेगा। इसके साथ जारी किये गये मास्टर निदेशों में उसी समय संशोधन किया जाएगा।
भा.रि.बैंक/विमुवि/2016-17/12 विदेशी मुद्रा विभाग मास्टर निदेश संख्या सं.17/2016-17
01 जनवरी 2016 [दिनांक 07 दिसंबर 2021 तक अद्यतन] [दिनांक 28 अक्तूबर 2020 तक अद्यतन] [दिनांक 27 जनवरी 2020 तक अद्यतन] [दिनांक 01 अप्रैल 2019 तक अद्यतन] [दिनांक 02 फरवरी 2018 तक अद्यतन] [दिनांक 12 जनवरी 2017 तक अद्यतन] [दिनांक 20 अक्तूबर 2016 तक अद्यतन] [दिनांक 31 मार्च 2016 तक अद्यतन] [दिनांक 04 फरवरी 2016 तक अद्यतन]
सभी श्रेणी- I प्राधिकृत व्यापारी बैंक और प्राधिकृत बैंक
महोदया / प्रिय महोदय,
मास्टर निदेश – माल और सेवाओं का आयात
दिनांक 03 मई 2000 की अधिसूचना जी.एस.आर.381[ई] अर्थात, विदेशी मुद्रा प्रबंधन [चालूखाता लेनदेन] नियमावली, 2000 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 [1999 का 42] की धारा-5 के अनुसरण में भारत में माल और सेवाओं का आयात करने की अनुमति दी गयी है| इन विनियमों को विनियामक ढांचे में किये गये परिवर्तनों को शामिल करने के लिए समय-समय पर संशोधित किया जाता है और संशोधन अधिसूचनाओं के माध्यम से प्रकाशित किया जाता है।
2. साथ ही, विनियमावली की रूपरेखा के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक भी विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 की धारा-11 के अंतर्गत प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करता है| तैयार किये गये विनियमों को कार्यान्वित करने के लिए इन निदेशों में प्राधिकृत व्यक्तियों को अपने ग्राहकों /घटकों के साथ विदेशी मुद्रा का कारोबार किस प्रकार से करना है उसके तौर-तरीके निर्धारित किये जाते हैं।
3. इस मास्टर निदेश में भारत में माल और सेवाओं का आयात करने के संबंध में जारी किये गये अनुदेश संकलित किये गये हैं। नीचे उल्लिखित परिपत्रों /अधिसूचनाओं की सूची, जो इस मास्टर निदेश का आधार है, परिशिष्ट में दी गयी है। रिपोर्टिंग संबंधी अनुदेश रिपोर्टिंग पर मास्टर निदेश में देखें जा सकते हैं [दिनांक 01 जनवरी 2016 का मास्टर निदेश सं.18]
4.यह नोट किया जाए कि जहां आवश्यक हो, वहां अगर विनियमों में अथवा प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उनके ग्राहकों / घटकों के साथ किये जानेवाले लेनदेनों के तरीके में कोई परिवर्तन होता है तो रिज़र्व बैंक प्राधिकृत व्यापारियों को ए.पी.[डीआईआर सिरीज़] परिपत्र के माध्यम से निदेश जारी करेगा। इसके साथ जारी किये गये मास्टर निदेशों में उसी समय संशोधन किया जाएगा।
भा.रि.बैंक/विमुवि/2016-17/12 विदेशी मुद्रा विभाग मास्टर निदेश संख्या सं.17/2016-17
01 जनवरी 2016 [दिनांक 28 अक्तूबर 2020 तक अद्यतन] [दिनांक 27 जनवरी 2020 तक अद्यतन] [दिनांक 01 अप्रैल 2019 तक अद्यतन] [दिनांक 02 फरवरी 2018 तक अद्यतन] [दिनांक 12 जनवरी 2017 तक अद्यतन] [दिनांक 20 अक्तूबर 2016 तक अद्यतन] [दिनांक 31 मार्च 2016 तक अद्यतन] [दिनांक 04 फरवरी 2016 तक अद्यतन]
सभी श्रेणी- I प्राधिकृत व्यापारी बैंक और प्राधिकृत बैंक
महोदया / प्रिय महोदय,
मास्टर निदेश – माल और सेवाओं का आयात
दिनांक 03 मई 2000 की अधिसूचना जी.एस.आर.381[ई] अर्थात, विदेशी मुद्रा प्रबंधन [चालूखाता लेनदेन] नियमावली, 2000 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 [1999 का 42] की धारा-5 के अनुसरण में भारत में माल और सेवाओं का आयात करने की अनुमति दी गयी है| इन विनियमों को विनियामक ढांचे में किये गये परिवर्तनों को शामिल करने के लिए समय-समय पर संशोधित किया जाता है और संशोधन अधिसूचनाओं के माध्यम से प्रकाशित किया जाता है।
2. साथ ही, विनियमावली की रूपरेखा के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक भी विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 की धारा-11 के अंतर्गत प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करता है| तैयार किये गये विनियमों को कार्यान्वित करने के लिए इन निदेशों में प्राधिकृत व्यक्तियों को अपने ग्राहकों /घटकों के साथ विदेशी मुद्रा का कारोबार किस प्रकार से करना है उसके तौर-तरीके निर्धारित किये जाते हैं।
3. इस मास्टर निदेश में भारत में माल और सेवाओं का आयात करने के संबंध में जारी किये गये अनुदेश संकलित किये गये हैं। नीचे उल्लिखित परिपत्रों /अधिसूचनाओं की सूची, जो इस मास्टर निदेश का आधार है, परिशिष्ट में दी गयी है। रिपोर्टिंग संबंधी अनुदेश रिपोर्टिंग पर मास्टर निदेश में देखें जा सकते हैं [दिनांक 01 जनवरी 2016 का मास्टर निदेश सं.18]
4.यह नोट किया जाए कि जहां आवश्यक हो, वहां अगर विनियमों में अथवा प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उनके ग्राहकों / घटकों के साथ किये जानेवाले लेनदेनों के तरीके में कोई परिवर्तन होता है तो रिज़र्व बैंक प्राधिकृत व्यापारियों को ए.पी.[डीआईआर सिरीज़] परिपत्र के माध्यम से निदेश जारी करेगा। इसके साथ जारी किये गये मास्टर निदेशों में उसी समय संशोधन किया जाएगा।
भवदीय,
(आर. एस. अमर) मुख्य महा प्रबंधक
भा.रि.बैंक/विमुवि 2016-17/12 विदेशी मुद्रा विभाग मास्टर निदेश संख्या सं.17/2016-17
01 जनवरी 2016 [20 अक्तूबर 2016 तक अद्यतन] [31 मार्च 2016 तक अद्यतन] [04 फरवरी 2016 तक अद्यतन]
सभी श्रेणी- I प्राधिकृत व्यापारी बैंक और प्राधिकृत बैंक
महोदया / प्रिय महोदय,
मास्टर निदेश – माल और सेवाओं का आयात
दिनांक 03 मई 2000 की अधिसूचना जी.एस.आर.381[ई] अर्थात, विदेशी मुद्रा प्रबंधन [चालू खातेगत लेनदेन] विनियमावली, 2000 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 [1999 का 42] की धारा-5 के अनुसरण में भारत में माल और सेवाओं का आयात करने की अनुमति दी गयी है| इन विनियमों को समय-समय पर संशोधित किया जाता है ताकि उनमें संशोधन अधिसूचनाओं के जरिये प्रकाशित विनियामक ढाचें में किये गये परिवर्तनों को शामिल किया जा सके।
2. साथ ही, विनियमावली की रूपरेखा के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक भी विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 की धारा-11 के अंतर्गत प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करता है| तैयार किये गये विनियमों को अमल में लाने के लिए इन निदेशों में प्राधिकृत व्यक्तियों को अपने ग्राहकों /घटकों के साथ विदेशी मुद्रा का कारोबार किस प्रकार से करना है उसके तौर-तरीके निर्धारित किये जाते हैं|
3. इस मास्टर निदेश में भारत में माल और सेवाओं का आयात करने के संबंध में जारी किये गये अनुदेश संकलित किये गये हैं| नीचे उल्लिखित परिपत्रों /अधिसूचनाओं की सूची, जो इस मास्टर निदेश का आधार है, परिशिष्ट में दी गयी है | रिपोर्टिंग संबंधी अनुदेश रिपोर्टिंग पर मास्टर निदेश में देखें जा सकते हैं [दिनांक 01 जनवरी 2016 का मास्टर निदेश सं.18]
4. यह नोट किया जाए कि जहां आवश्यक हो, वहां अगर विनियमों में अथवा प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उनके ग्राहकों / घटकों के साथ किये जानेवाले लेनदेनों के तरीके में कोई परिवर्तन होता है तो रिज़र्व बैंक प्राधिकृत व्यापारियों को ए.पी. [डीआईआर सिरीज़] परिपत्र के माध्यम से निदेश जारी करेगा| इसके साथ जारी किये गये मास्टर निदेशों में उसी समय संशोधन किया जाएगा|
भवदीय,
(ए. के. पाण्डेय) मुख्य महा प्रबंधक
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