बहुराज्य शहरी सहकारी बैंकों द्वारा प्रतिभूतिकरण कंपनी (एससी)/ पुनर्निर्माण कंपनी (आरसी) को वित्तीय आस्तियों की बिक्री पर दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
बहुराज्य शहरी सहकारी बैंकों द्वारा प्रतिभूतिकरण कंपनी (एससी)/ पुनर्निर्माण कंपनी (आरसी) को वित्तीय आस्तियों की बिक्री पर दिशानिर्देश
आरबीआई/2013-14/543 28 मार्च 2014 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय/ महोदया, बहुराज्य शहरी सहकारी बैंकों द्वारा प्रतिभूतिकरण कंपनी (एससी)/ पुनर्निर्माण कंपनी (आरसी) को वित्तीय आस्तियों की बिक्री पर दिशानिर्देश कृपया उपर्युक्त विषय पर 01 जुलाई 2013 का हमारा "शहरी सहकारी बैंकों द्वारा निवेश" पर जारी मास्टर परिपत्र शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी) सं. 12/16.20.00/2013-2014 का पैरा 13.2 देखें। 2. बहुराज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के तहत पंजीकृत शहरी सहकारी बैंकों को उनके द्वारा प्रतिभूतिकरण कंपनी (एससी)/ पुनर्निर्माण कंपनी (आरसी) को वित्तीय आस्तियों की बिक्री के संदर्भ में एससी/ आरसी द्वारा जारी प्रतिभूति रसीद का निवेश करने के लिए अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। फिर भी शहरी सहकारी बैंक यह सुनिश्चित करें कि कार्यक्षेत्र के सक्षम न्यायालय द्वारा इस प्रकार के अंतरण में भाग लेने से उन्हें सीमित करते हुए कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। 3. बहुराज्य शहरी सहकारी बैंकों द्वारा प्रतिभूतिकरण कंपनी (एससी)/ पुनर्निर्माण कंपनी (आरसी) को वित्तीय आस्तियों की बिक्री पर पालन किए जाने हेतु दिशानिर्देश तैयार करते हुए उसे अनुबंध में रखा गया है। उक्त दिशानिर्देश को बैंक के बोर्ड के समक्ष रखा जाए तथा उनके कार्यान्वयन के लिए उचित कार्रवाई की जाए। भवदीय, (ए.के.बेरा) संलग्नक: अनुबंध व्याप्ति यह दिशा-निर्देश सिक्यूरिटाइजेशन एंड रिकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल असेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्यूरिटी इंटरेस्ट एक्ट, 2002 के अंतर्गत आस्ति पुनर्निर्माण/ प्रतिभूतिकरण के लिए बहुराज्य सहकारी बैंकों द्वारा नीचे पैराग्राफ 3 में दी गयी वित्तीय आस्तियों की बिक्री पर लागू होंगे । ढांचा 2. उक्त अधिनियम के अंतर्गत प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी को बहुराज्य सहकारी बैंकों द्वारा अपनी वित्तीय आस्तियों की बिक्री करते समय और प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा दिये जाने वाले बांडों/ डिबेंचरों/ प्रतिभूति रसीदों में निवेश करते समय अपनाये जाने वाले दिशा-निर्देश नीचे दिये गये हैं । विवेकपूर्ण दिशा-निर्देश निम्नलिखित शीर्षों के अंतर्गत समूहबद्ध किये गये हैं i) ऐसी वित्तीय आस्तियां जिनकी बिक्री की जा सकती है । ii) बहुराज्य सहकारी बैंकों की वित्तीय आस्तियों की प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी को बिक्री, इसमें मूल्यन और कीमत निर्धारित करने के पहलू शामिल हैं, के लिए क्रियाविधि । iii) बहुराज्य सहकारी बैंकों अपनी वित्तीय आस्तियों की बिक्री करते समय और प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा वित्तीय आस्तियों की बिक्री के परिणामस्वरूप क्षतिपूर्ति के रूप में ऑफर किये जाने वाले बांडों/ डिबेंचरों/ प्रतिभूति रसीदों और किसी अन्य प्रतिभूति में निवेश करते समय निम्नलिखित क्षेत्रों में अपनाये जाने वाले विवेकपूर्ण मानदंड :
iv) प्रकटीकरण संबंधी अपेक्षाएं वित्तीय आस्तियां, जिनकी बिक्री की जा सकती है 3. बहुराज्य सहकारी बैंक द्वारा प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी को वित्तीय आस्ति उस स्थिति में बेची जा सकती है जहां वह आस्ति i) अनर्जक आस्ति हो, इसमें अनर्जक बांड/ डिबेंचर शामिल हैं, और ii) मानक आस्ति हो, जहां
4. मूल्यन और कीमत निर्धारित करने के पहलुओं सहित बहुराज्य सहकारी बैंकों की वित्तीय आस्तियों की प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी को बिक्री की प्रक्रिया क) सिक्यूरिटाइजेशन एंड रिकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल असेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्यूरिटी इंटरेस्ट एक्ट, 2002 किसी बैंक/ वित्तीय संस्था से प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा वित्तीय आस्तियों के दोनों के बीच सहमत शर्तों पर अभिग्रहण की अनुमति देता है । इसमें वित्तीय आस्तियों की ‘आश्रय रहित’ आधार पर बिक्री का प्रावधान है, अर्थात् वित्तीय आस्तियों से संबद्ध समग्र ऋण जोखिम प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी को अंतरित करने की शर्त पर तथा ‘आश्रय सहित’ आधार पर अर्थात् आस्ति का वसूल न किया गया भाग विक्रेता बैंक/ वित्तीय संस्था को वापस किये जाने की शर्त पर प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी को अंतरित करने का प्रावधान है । तथापि बहुराज्य सहकारी बैंकॉ को यह सुनिश्चित करने का निदेश दिया जाता है कि वित्तीय आस्तियों की बिक्री का प्रभाव ऐसा होना चाहिए कि आस्ति बैंक की बहियों से हट जाये और बिक्री के बाद बहुराज्य सहकारी बैंक पर कोई ज्ञात देयता न आये। ख) ऐसे बहुराज्य सहकारी बैंकों को, जो प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी को अपनी वित्तीय आस्तियां बेचने वाली हैं, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बिक्री बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार विवेकपूर्ण ढंग से की जाती है। बोर्ड द्वारा नीतियां और दिशा-निर्देश तैयार किये जाने चाहिए जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित शामिल हों __
(ग) बहुराज्य सहकारी बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी को वित्तीय आस्तियों की बिक्री के बाद, उन पर वित्तीय आस्तियों के संबंध में कोई परिचालनगत, कानूनी या अन्य किसी प्रकार का जोखिम नहीं आता । (घ) (i) प्रत्येक बैंक वित्तीय आस्ति के लिए प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा लगाये गये मूल्य का अपनी ओर से मूल्यांकन करेगी और यह निर्णय करेगी कि उसे स्वीकार किया जाये या अस्वीकार किया जाये। (ii) अन्य बहु-राज्य सहकारी बैंको व वाणिज्यिक बैंको के साथ संघीय सहायता (कंसॉर्टियम)/ बहु बैंकिंग व्यवस्थाओं के मामलों में यदि 75 प्रतिशत (मूल्यानुसार) बैंक प्रस्ताव को स्वीकार करती हैं तो शेष बैंकों को भी उसे स्वीकार करना होगा। (iii) किसी भी परिस्थिति में प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी को किया गया अंतरण आकस्मिक मूल्य पर नहीं किया जाना चाहिए, जिससे कि प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा वसूली में हुई कमी की स्थिति में बहुराज्य सहकारी बैंकों को कमी के एक भाग को वहन करना पड़े । (ङ) बैंक प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी को बेची गयी आस्तियों के प्रतिफल के रूप में नकदी अथवा बांड अथवा डिबेंचर प्राप्त कर सकती हैं । (च) प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी को वित्तीय आस्तियों की बिक्री के प्रतिफल के रूप में बैंकों को प्राप्त बांडों/ डिबेंचरों को बहुराज्य सहकारी बैंकों की बहियों में निवेश के रूप में वर्गीकृत किया जायेगा । (छ) बैंक प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा जारी सिक्यूरिटी रसीदों अथवा अन्य बांडों/ डिबेंचरों में भी निवेश कर सकते हैं। इन प्रतिभूतियों को भी बहुराज्य सहकारी बैंकों की बहियों में निवेश के रूप में वर्गीकृत किया जायेगा। (ज) बैंक यदि आवश्यक समझें तो किन्हीं विशेष वित्तीय आस्तियों के संबंध में, प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी से इस आशय का समझौता कर सकती हैं कि प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा संबंधित आस्तियों की अंततः बिक्री से प्राप्त अधिशेष (सरप्लस) की राशि आपसी सहमति से निर्धारित अनुपात में बांटी जाये। ऐसी स्थिति में, बिक्री की शर्तों में यह बात शामिल होनी चाहिए कि प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी आस्तियों की बिक्री से प्राप्त मूल्य के संबंध में बैंक/ वित्तीय संस्था को इस संबंध में एक रिपोर्ट दें। संभावित लाभ को बहुराज्य सहकारी बैंकों द्वारा तब तक हिसाब में नहीं लिया जाना चाहिए जब तक कि आस्ति की बिक्री से लाभ वास्तव में प्राप्त नहीं हो जाता। 5. बिक्री संबंधी लेन-देनों के संबंध में बहुराज्य सहकारी बैंकों के लिए विवेकपूर्ण मानदंड (अ) प्रावधानीकरण/ मूल्यांकन का मानदंड (क) (i) जब कोई बैंक अपनी वित्तीय आस्तियां प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी को अंतरित करती है तो उसे बैंक की बहियों में नहीं रखना चाहिए । (ii) यदि प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी को की गयी बिक्री की राशि शुद्ध बही मूल्य (अर्थात् बही मूल्य में से किये गये प्रावधान को घटाकर) से कम हो तो, कमी की राशि को उस वर्ष के लाभ-हानि लेखे में नामे करना चाहिए । (iii) यदि आस्तियों की बिक्री की राशि शुद्ध बही मूल्य से अधिक होती है, तो अतिरिक्त प्रावधान को प्रत्यावर्तित नहीं किया जायेगा, बल्कि इसका उपयोग प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी को बिक्री की गयी अन्य वित्तीय आस्तियों के संबंध में हुई कमी/ हानि को पूरा करने के लिए किया जायेगा । (iv) जब बैंक प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी को बिक्री की गयी स्वयं की वित्तीय आस्तियों के संबंध में प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा जारी सिक्यूरिटी रसीदों में निवेश करती हैं, तब ऐसी बिक्री को बहुराज्य सहकारी बैंकों की बहियों में निम्नलिखित में से जो राशि कम हो, उसे लेना चाहिए :
उक्त निवेश को उसकी बिक्री अथवा वसूली होने तक बैंक/ वित्तीय संस्था की बहियों में उपर्युक्त प्रकार से निर्धारित मूल्यानुसार लिखा जाना चाहिए और उसकी बिक्री अथवा वसूली पर, लाभ अथवा हानि को उपर्युक्त (ii) और (iii) में बताये गये अनुसार हिसाब में लेना चाहिए । (ख) प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा दी गयी प्रतिभूतियों (बांडों और डिबेंचरों) को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी चाहिए : (i) प्रतिभूतियों की अवधि छह वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए । (ii) प्रतिभूतियों की ब्याज दर उन्हें जारी करने के समय प्रचलित ''बैंक दर'' से 1.5 प्रतिशत अधिक हो लेकिन उससे कम न हो। (iii) प्रतिभूतियों को, अंतरित की गयी आस्तियों पर उचित प्रभार के द्वारा सुरक्षित किया जाना चाहिए। (iv) प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा प्रतिभूति की अवधिपूर्णता की तारीख से पूर्व जमानत रखी आस्ति की बिक्री की स्थिति में, प्रतिभूति के आंशिक अथवा पूर्ण पूर्व भुगतान की व्यवस्था होनी चाहिए। (v) प्रतिभूतियों को छुड़ाने की प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी की वचनबद्धता शर्तरहित होनी चाहिए और वह आस्तियों की वसूली से जुड़ी हुई नहीं होनी चाहिए। (vi) जब कभी भी प्रतिभूति किसी अन्य पार्टी को अंतरित की जाये, तो अंतरण की सूचना प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी को दी जानी चाहिए। (ग) प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा जारी डिबेंचरों/ बांडों/ सिक्यूरिटी रसीदों में निवेश बहुराज्य सहकारी बैंकों द्वारा बेची गयी वित्तीय आस्तियों के प्रतिफल के रूप में प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी से प्राप्त सभी लिखत और प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा अन्य लिखत जिनमें बहुराज्य सहकारी बैंकों ने निवेश किया हो, सांविधिक चलनिधि अनुपात (एस एल आर) की प्रतिभूति नहीं होंगे । तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित सांविधिक चलनिधि अनुपात से भिन्न लिखतों में निवेश पर लागू मूल्यनिर्धारण, वर्गीकरण तथा अन्य मानदंड प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा जारी डिबेंचरों/ बांडों/ प्रतिभूति रसीदों में बहुराज्य सहकारी बैंकों के निवेश पर लागू होंगे। परन्तु, यदि प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा जारी उपर्युक्त में से कोई भी लिखत संबंधित योजना में लिखतों में विनिर्दिष्ट वित्तीय आस्तियों की वास्तविक वसूली तक ही सीमित हो तो बैंक ऐसे निवेशों के मूल्य निर्धारण के प्रयोजनार्थ प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी से समय-समय पर प्राप्त निवल आस्ति मूल्य (एनएवी) पर भी विचार कर सकता/ सकती है । (ख) पूंजी पर्याप्तता पूंजी पर्याप्तता के प्रयोजनार्थ, बहुराज्य सहकारी बैंकों को चाहिए कि वे प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा जारी और बहुराज्य सहकारी बैंकों द्वारा निवेश के रूप में धारित डिबेंचरों/ बांडों/ प्रतिभूति रसीदों में जोखिम भार का निर्धारण निम्नानुसार करें :
(ग) एक्सपोजर संबंधी मानदंड प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा जारी डिबेंचरों/ बांडों में बहुराज्य सहकारी बैंकों के निवेश प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी से संबंधित एक्सपोज़र के घटक बनेंगे। चूंकि अभी तो कुछ ही प्रतिभूतिकरण कंपनियों/ पुनर्निर्माण कंपनियों की स्थापना की जा रही है, इसलिए प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा जारी डिबेंचरों/ बांडों/ प्रतिभूति रसीदों में उनके निवेशों के जरिये बहुराज्य सहकारी बैंकोंके प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी से संबंधित निवेश उनके विवेकपूर्ण निवेश की उच्चतम सीमा से बाहर रह सकते हैं। असामान्य परिस्थितियों में, बहुराज्य सहकारी बैंकों को यह अनुमति होगी कि वे प्रारंभिक वर्षों में, मामला-दर-मामला आधार पर विवेकपूर्ण निवेश की उच्चतम सीमा से बाहर जा सकते हैं । 6. प्रकटीकरण संबंधी अपेक्षाएं प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी को वित्तीय आस्तियां बेचने वाले बहुराज्य सहकारी बैंकों से यह अपेक्षा की जायेगी कि वे अपने तुलनपत्रों के खातों से संबंधित टिप्पणियों में निम्नलिखित बातें प्रकट करें : आस्ति पुनर्निर्माण के प्रयोजनार्थ प्रतिभूतिकरण कंपनी/पुनर्निर्माण कंपनी को वर्ष के दौरान बेची गयी वित्तीय आस्तियों का ब्यौरा
7. संबंधित मामले क) प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी उन वित्तीय आस्तियों को भी अपने अधिकार में लेगी जिन्हें पुनरूज्जीवित नहीं किया जा सकता और जिन्हें वसूली आधार पर निपटाया जाना है। सामान्यतः प्रतिभूतिकरण कंपनी/ पुनर्निर्माण कंपनी ऐसी आस्तियों को अपने अधिकार में नहीं लेगी किन्तु वह वसूली के लिए एजेंट के रूप में कार्य करेगी, जिसके लिए वह शुल्क लेगी । ख) जहां आस्तियां उपर्युक्त श्रेणी में नहीं आती हैं, उन आस्तियों को बैंक/ वित्तीय कंपनी की बहियों से हटाया नहीं जायेगा किन्तु वसूली जब भी प्राप्त होगी उसे आस्ति खाते में जमा किया जायेगा । बैंक सामान्यतः आस्तियों के लिए प्रावधान करती रहेगी । |