प्रतिभूतिकरण कंपनी (एससी) / पुनर्निर्माण कंपनी (आरसी) को वित्तीय आस्तियों की बिक्री और संबंधित मुद्दों पर दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्रतिभूतिकरण कंपनी (एससी) / पुनर्निर्माण कंपनी (आरसी) को वित्तीय आस्तियों की बिक्री और संबंधित मुद्दों पर दिशानिर्देश
आरबीआई/2014-15/634 11 जून 2015 अखिल भारतीय मीयादी ऋण और पुनर्वित्त प्रदान करने वाली संस्थाएं महोदय, प्रतिभूतिकरण कंपनी (एससी) / पुनर्निर्माण कंपनी (आरसी) को वित्तीय आस्तियों की बिक्री और संबंधित मुद्दों पर दिशानिर्देश कृपया उपर्युक्त विषय पर 26 फरवरी 2014 के परिपत्र बैंपविवि.सं.बीपी.बीसी. 98/21.04.132/2013-14 के पैराग्राफ 3.4 तथा इसी विषय पर 9 अप्रैल 2014 का हमारा मेलबाक्स स्पष्टीकरण देखें। इन दिशानिर्देशों में यह शर्त लगाई गई थी एससी/आरसी को 26 फरवरी 2014 या उसके बाद बेची गई अनर्जक आस्तियों (एनपीए) के लिए बैंक एनपीए की बिक्री पर अधिशेष प्रावधान को प्रति-प्रविष्ट कर सकते हैं , यदि बिक्री मूल्य निवल बही मूल्य (एनबीवी) की तुलना में अधिक हो। 2. इस संबंध में, आपका ध्यान 03 फरवरी 2015 को घोषित छठे द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2014-15 के पैरा 28 (उद्धरण संलग्न) की ओर आकृष्ट किया जाता है । उसमें दर्शाए अनुसार, अब यह निर्णय लिया गया है कि अखिल भारतीय मीयादी ऋण और पुनर्वित्त प्रदान करने वाली संस्थाओं (एआईएफआई) को एनपीए की बिक्री (एससी/आरसी को 26 फरवरी 2014 से पहले बेची गई) पर अधिशेष प्रावधान को (जब बिक्री एनबीवी से अधिक मूल्य पर हुई हो) उनके लाभ हानि लेखे में प्रति प्रविष्ट किए जाने की अनुमति प्रदान की जाए। हम पुन: दुहराते हैं कि अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं एनपीए के बिक्री पर उत्पन्न होने वाले अधिशेष प्रावधान को केवल तभी प्रति प्रविष्ट कर सकती हैं जब प्राप्त हुई नकद राशि (शुरुआती प्रतिफल और/अथवा जमानती रसीदों/ पास-थ्रू-प्रमाणपत्रों के उन्मोचन द्वारा) एससी/आरसी को बेची गई एनपीए की एनबीवी से अधिक रही हो । इसके साथ ही, लाभ तथा हानि खाते में प्रति-प्रविष्ट किए गए अधिशेष प्रावधान की मात्रा बेचे गए एनपीए के एनबीवी की तुलना में प्राप्त नकद राशि के आधिक्य तक सीमित होगी। 3. एनपीए की बिक्री पर लाभ तथा हानि खाते में प्रति-प्रविष्ट किए गए अधिशेष प्रावधान की मात्रा को बैंकों के वार्षिक वित्तीय विवरणों में ‘लेखे पर टिप्पणियों” के तहत प्रकट करना होगा। 4. पारदर्शिता बढ़ाने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि उपर्युक्त पैराग्राफ में में उद्धृत प्रकटीकरण अपेक्षाओं के अलावा, अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं अपने वार्षिक वित्तीय विवरणों में ‘लेखे पर टिप्पणियों’ के तहत निम्नलिखित प्रकटीकरण भी करेंगी :
भवदीय, (राजिंदर कुमार) अनु: यथोक्त छठे द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2014-15 से उद्धरण 28. अर्थव्यवस्था में दबावग्रस्त आस्तियों को पुनरुज्जीवित करने वाले ढांचे के अंतर्गत बैंकों को फरवरी 2014 में अनुमति दी गई थी कि वे प्रतिभूतिकरण कंपनियों/पुनर्निर्माण कंपनियों को अनर्जक आस्तियों की बिक्री पर अधिशेष प्रावधान को प्रतिप्रविष्ट करें, जब प्राप्त की गई नकदी (शुरूआती बिक्री प्रतिफल और/अथवा जमानती रसीदों/पास-थ्रू प्रमाणपत्रों के उन्मोचन द्वारा) आस्ति के निवल बही मूल्य (एनबीवी) से अधिक हो । ऐसा निश्चित शर्तों के अधीन अनर्जक आस्तियों के संबंध में उचित मूल्य वसूलने के लिए बैंकों को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से किया गया है। तथापि, यह व्यवस्था भावी आधार अर्थात् 26 फरवरी 2014 को या इसके बाद बिक्री की गई अनर्जक आस्तियों के लिए उपलब्ध थी । समीक्षा करने पर और इस संबंध में बैंकों के अभ्यावेदन के आधार पर अब यह निर्णय लिया गया है कि उपर्युक्त व्यवस्था 26 फरवरी 2014 से पहले बिक्री की गई अनर्जक आस्तियों के लिए भी लागू की जाए। इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश जल्दी ही जारी किए जाएंगे। |