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एआरसी द्वारा उधारकर्ताओं की देय राशि के निपटान पर दिशा-निर्देश

आरबीआई/2024-25/106
विवि.एसआईजी.एफ़आईएन.आरईसी.56/26.03.001/2024-25

20 जनवरी 2025

सभी आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियां (एआरसी)

महोदय/महोदया,

एआरसी द्वारा उधारकर्ताओं की देय राशि के निपटान पर दिशा-निर्देश

कृपया दिनांक 24 अप्रैल 2024 के मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियाँ) निदेश, 2024 के पैराग्राफ 15 को देखें जिसमें एआरसी के उधारकर्ताओं द्वारा देय राशि के निपटान पर दिशा-निर्देश हैं। समीक्षा करने पर, इन दिशा-निर्देशों को संशोधित करने का निर्णय लिया गया है और उक्त मास्टर निदेश का संशोधित पैराग्राफ 15 अनुबंध में दिया गया है।

2. यह परिपत्र वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (2002 का 54) की धारा 9 और 12 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किया गया है। इस परिपत्र की तिथि से संशोधित प्रावधान प्रभावी होंगे।

3. तदनुसार मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियाँ) निदेश, 2024 अद्यतन किया जा रहा है।

भवदीय,

(जे.पी. शर्मा)
मुख्य महाप्रबंधक


परिपत्र संख्या विवि.एसआईजी.एफआईएन.आरईसी.56/26.03.001/2024-25 दिनांक 20 जनवरी 2025 का अनुबंध

अनुबंध

पैराग्राफ 15 - उधारकर्ता द्वारा देय राशियों का निपटारा

15.1 प्रत्येक एआरसी द्वारा उधारकर्ताओं से देय राशि का निपटान के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति तैयार की जाएगी। इस नीति में, अन्य बातों के साथ-साथ, एकबारगी निपटान पात्रता के लिए अंतिम तारीख, निपटान राशि निर्धारित करते समय विभिन्न श्रेणियों के एक्‍सपोज़रो के लिए अनुमत त्याग, प्रतिभूति के वसूली योग्य मूल्य निर्धारित करने की कार्यप्रणाली जैसे पहलू को शामिल किया जाएगा।

15.2 उधारकर्ता के साथ निपटान तभी किया जाएगा जब देय वसूलने के सभी संभावित तरीकों की जांच की गई और निपटान को उपलब् में से सर्वोत्तम विकल्प माना जाएगा।

15.3 निपटान राशि का निवल वर्तमान मूल्य (एनपीवी) सामान्यतः प्रतिभूतियों के प्राप्‍य मूल्य से कम नहीं होना चाहिए। यदि वित्तीय आस्तियों के अधिग्रहण के समय दर्ज प्रतिभूतियों के मूल्यांकन और निपटान के समय निर्धारित प्रतिभूतियों के प्राप्‍य मूल्य के बीच कोई सार्थक अंतर है, तो इन कारणों को विधिवत दर्ज किया जाएगा।

15.4 निपटान राशि का भुगतान अधिमानतः एकमुश्त किया जाना चाहिए। जहां निपटान, एक किस्त में सहमत संपूर्ण राशि का भुगतान करने की परिकल्पना नहीं की गई है, वहां प्रस्ताव स्वीकार्य कारोबार योजना (जहां लागू हो), पूर्वा नुमानित उपार्जन और उधारकर्ता के नकदी प्रवाह के अनुरूप और उसके द्वारा समर्थित होना चाहिए।

15.5 एआरसी1 द्वारा अधिग्रहण के समय अंतरणकर्ता/ओं की बहियों में बकाया मूलधन के संदर्भ में 1 करोड़ से अधिक के कुल मूल्य वाले उधारकर्ता से संबंधित खातों का निपटान बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार किया जाएगा जो निम्नलिखित के सशर्त होगा:

ए) उधारकर्ता के साथ देय राशि का निपटान प्रस्ताव स्वतंत्र सलाहकार समिति (आईएसी)2 द्वारा जांच के बाद ही किया जाएगा, जिसमें तकनीकी/वित्त/विधिक पृष्ठभूमि वाले पेशेवर शामिल होंगे। उधारकर्ता की वित्तीय स्थिति, उधारकर्ता से देय राशि की वसूली के लिए उपलब्ध समय सीमा, उधारकर्ता की पूर्वा नुमानित उपार्जन तथा नकदी प्रवाह और अन्य प्रासंगिक पहलू का आकलन करने के बाद, आईएसी द्वारा उधारकर्ता के साथ देय राशि के निपटान के संबंध में एआरसी को अपनी सिफारिश दी जाएगी।

बी) निदेशक मंडल जिसमें कम से कम दो स्वतंत्र निदेशक अथवा बोर्ड की एक समिति शामिल है जो निर्धारित मानदंडों को पूरा करती है3, आईएसी की सिफारिशो पर विचार-विमर्श करेंगे और यह निर्णय लेने से पहले कि क्या उधारकर्ता के साथ देयों के निपटान का विकल्प मौजूदा परिस्थितियों में उपलब्ध सर्वोत्तम विकल्प है, देय राशियों की वसूली के लिए उपलब्ध विभिन्न विकल्पों पर विचार करेंगे, और निर्णय, विस्तृत तर्क के साथ, विशेष रूप से बैठक के कार्यवृत्त में दर्ज किया जाएगा।

15.6 एआरसी द्वारा अधिग्रहण के समय अंतरणकर्ता /ओं की बहियों में बकाया मूलधन के संदर्भ में 1 करोड़ अथवा उससे कम मूल्य वाले उधारकर्ता से संबंधित खातों का निपटान, बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति में प्राधिकरण द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार किया जाएगा, जो निम्नलिखित के सशर्त है:

ए) कोई भी अधिकारी जो संबंधित वित्तीय आस्ति के अधिग्रहण (एक व्यक्ति अथवा एक समिति के भाग के रूप में) का भाग था, किसी भी क्षमता में उसी वित्तीय आस्ति के निपटान के प्रस्ताव को प्रसंस्करण / अनुमोदिन करने का भाग नहीं होगा।

बी) इन खातों के समाधान पर एक तिमाही रिपोर्ट बोर्ड/ बोर्ड की समिति के समक्ष रखी जाएगी जो पैरा 15.5 में निर्धारित मानदंडों को पूरा करती है।

सी) बोर्ड एक उपयुक्त रिपोर्टिंग प्रारूप को अनिवार्य करेगा ताकि कम से कम निम्नलिखित पहलुओं का पर्याप्त कवरेज सुनिश्चित किया जा सके: (i) निपटान का समझौता के अधीन खातों की संख्या और राशियों की प्रवृत्ति (तिमाही-दर-तिमाही और वर्ष-दर-वर्ष); (ii) उपरोक्‍त (i) में से, बैंकों और एनबीएफसी द्वारा धोखाधड़ी, इरादतन चूक के रूप में वर्गीकृत खातों का अलग-अलग विवरण; (iii) राशि-वार, अधिग्रहण प्राधिकरण-वार और ऐसे खातों के कारोबार खंड / आस्ति-वर्ग-वार समूहीकरण; (iv) ऐसे खातों में वसूली की मात्रा और समय-सीमा।

15.7 धोखाधड़ी या इरादतन चूककर्ताओं के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं द्वारा देयों के निपटान के लिए, उपर्युक्त पैरा 15.5 के अंतर्गत निर्धारित दिशा-निर्देश लागू होंगे, इसमें चाहे कितनी भी राशि शामिल हो। एआरसी इरादतन चूककर्ताओं या धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत खातों के संबंध में ऐसे उधारकर्ताओं के विरुद्ध चल रही दांडिक कार्यवाही के प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना बकाया राशि का निपटान कर सकते हैं।

15.8 अन्य विधिक प्रावधान

(i) उपर्युक्त ढांचे के अंतर्गत उधारकर्ताओं के साथ निपटान का समझौता, प्रवृत्त किसी अन्य संविधि के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना होगा।

(ii) इसके अतिरिक्‍त, जहां कहीं भी एआरसी ने न्यायिक मंच के तहत वसूली की कार्यवाही शुरू की थी और वह ऐसे न्यायिक मंच के समक्ष लंबित है, उधारकर्ता के साथ किया गया कोई भी निपटान, संबंधित न्यायिक अधिकारियों से सहमति डिक्री प्राप्त करने के अधीन होगा।


1 1 करोड़ रुपये की सीमा एआरसी द्वारा अंतरणकर्ता /ओं से प्राप्त उधारकर्ता के सभी खातों का कुल बकाया मूलधन होगा।

2 मौजूदा दिशा-निर्देशों के अंतर्गत, एआरसी को उधारकर्ता के कारोबार के प्रबंधन में बदलाव अथवा अधिग्रहण से संबंधित प्रस्तावों की जांच के लिए आईएसी का गठन करना आवश्यक है। यह आईएसी इस परिपत्र के तहत उधारकर्ता के साथ बकाया राशि के निपटान के प्रस्तावों की जांच करेगी।

3 समिति की अध्यक्षता स्वतंत्र निदेशक करते हैं और इसमें अध्यक्ष सहित, कम से कम दो स्वतंत्र निदेशक होते हैं; समिति में बोर्ड की कुल क्षमता कम से कम एक तिहाई या तीन निदेशक, जो भी अधिक हो, शामिल हैं, और समिति की बैठकों में भाग लेने वाले कम से कम आधे निदेशक स्वतंत्र निदेशक हैं; समिति पूर्ण बोर्ड द्वारा बनाई और अधिदेशित की जाती है; और समिति के निर्णय, औचित्य के साथ कार्यवृत्त में दर्ज किए जाते हैं और त्रैमासिक अंतराल पर बोर्ड के समक्ष रखे जाते हैं।

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