सरकारी प्रतिभूतियों की स्ट्रिपिंग/पुनर्गठन पर दिशानिर्देश
आरबीआइ/2009-10/360 25 मार्च 2010 महोदय सरकारी प्रतिभूतियों की स्ट्रिपिंग/पुनर्गठन पर दिशानिर्देश कृपया वर्ष 2009-10 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य का पैरा सं.101 देखें । उसमें निर्दिष्ट किए अनुसार सरकारी प्रतिभूति बाजार को विकसित करने के प्रयास के रूप में सरकारी प्रतिभूतियों में "प्रतिभूतियों के पंजीकृत ब्याज और मूलधन का पृथक व्यापार" (स्ट्रिप्स) लागू करने का निर्णय लिया गया है । 2. सरकारी प्रतिभूतियों में स्ट्रिप्स से सॉवरेन ज़ीरो कूपन बॉण्डों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी जिससे बाजार द्वारा निर्धारित जीरो कूपन आय वक्र (ज़ेडसीवाइसी) का विकास होगा । स्ट्रिप्स से संस्थागत निवेशकों को उनके आस्ति देयता प्रबंधन के लिए एक अतिरिक्त लिखत उपलब्ध होगा । साथ ही, चूंकि स्ट्रिप्स का पुन: निवेश जोखिम शून्य है (आवधिक ब्याज भुगतान के बिना लिखतों को भुनाया जाना जिससे निवेश से प्राप्त नकदी प्रवाह को तुरंत पुन: निवेश की आवश्यकता का निराकरण हो जाएगा), वे खुदरा/गैर संस्थागत निवेशकों के लिए आकर्षक हो सकते हैं । 3. भारत सरकार की प्रतिभूतियों की स्ट्रिपिंग/पुनर्गठन को शासित करने वाली शर्तें 16 अक्तूबर 2009 की भारतीय रिज़र्व बैंक की अधिसूचना आंऋप्रवि.1762/2009-10 में निर्धारित की गई हैं । 4. स्ट्रिपिंग/पुनर्गठन की प्रक्रिया की रूपरेखा तथा स्ट्रिप्स में लेन-देन से संबंधित अन्य परिचालनगत प्रक्रिया संबंधित विस्तृत दिशानिर्देश संलग्न हैं । ये दिशानिर्देश 1 अप्रैल 2010 से लागू होंगे । भवदीय (के.वी. राजन) |
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