आधार दर के संबंध में दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
आधार दर के संबंध में दिशानिर्देश
आरबीआइ /2009-10/390 9 अप्रैल 2010 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय आधार दर के संबंध में दिशानिर्देश वर्ष 2009-10 के वार्षिक नीति वक्तव्य में की गयी घोषणा के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने वर्तमान बेंचमार्क मूल उधार दर (बीपीएलआर) प्रणाली की समीक्षा करने और ऋण के ब्याज निर्धारण को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए आवश्यक परिवर्तनों का सुझाव देने के लिए बेंचमार्क मूल उधार दर पर एक कार्यदल (अध्यक्ष : श्री दीपक मोहंती) गठित किया था। कार्यदल ने अपनी रिपोर्ट अक्तूबर 2009 में दी तथा जनता के सुझावों के लिए उसे रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया गया। कार्यदल की सिफारिशों तथा विभिन्न हितधारकों के सुझावों के आधार पर फरवरी 2010 में आधार दर संबंधी दिशानिर्देशों का प्रारूप रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया गया। 2. प्राप्त टिप्पणियों/सुझावों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि बैंक आधार दर प्रणाली अपनाएं । वर्ष 2003 में आरंभ हुई बीपीएलआर प्रणाली उधार दरों में पारदर्शिता लाने के अपने मूल उद्देश्य को प्राप्त करने से चूक गयी। ऐसा मुख्यत: इसलिए हुआ क्योंकि बीपीएलआर प्रणाली के अंतर्गत बैंक बीपीएलआर से कम दर पर भी उधार दे सकते थे। इसी कारण रिज़र्व बैंक की नीतिगत दरों का बैंक की उधार दरों में संचरण का मूल्यांकन करना भी कठिन था । आधार दर प्रणाली का उद्देश्य बैंकों की उधार दरों में पारदर्शिता बढ़ाना और मौद्रिक नीति के संचरण के बेहतर मूल्यांकन को संभव बनाना है । तदनुसार, बैंकों द्वारा कार्यान्वयन के लिए निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी किये जा रहे हैं: आधार दर i) आधार दर प्रणाली 1 जुलाई 2010 से बीपीएलआर प्रणाली का स्थान लेगी । आधार दर में उधार दरों के वे सब तत्व होंगे जो उधारकर्ताओं के सभी संवर्गों में सर्वसामान्य हैं। बैंक किसी विनिर्दिष्ट अवधि के लिए आधार दर निर्धारित करने के लिए कोई भी बेंचमार्क तय कर सकते हैं, जिसे पारदर्शी तरीके से प्रकट किया जाना चाहिए। आधार दर की गणना का एक उदाहरण अनुबंध में दिया गया है। बैंक कोई और उपयुक्त विधि अपनाने के लिए स्वतंत्र हैं, बशर्ते वह सुसंगत हो और आवश्यकता पड़ने पर पर्यवेक्षीय समीक्षा/जांच के लिए उपलब्ध हो। ii) बैंक ऋणों और अग्रिमों के संबंध में अपनी वास्तविक उधार दरों का निर्धारण आधार दर को संदर्भ मानते हुए तथा यथोपयुक्त अन्य ग्राहक - विशेष प्रभारों को शामिल करते हुए कर सकते हैं। iii) आधार दर की गणना की प्रणाली सुस्थिर होने तक बैंकों को कुछ समय देने के लिए, बैंकों को अनुमति दी जाती है कि आरंभिक छह महीने की अवधि अर्थात् दिसंबर 2010 तक के दौरान किसी भी समय वे बेंचमार्क और क्रियाविधि में परिवर्तन कर सकते हैं। iv) वास्तविक उधार दरें पारदर्शी और सुसंगत होनी चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर पर्यवेक्षीय समीक्षा/जांच के लिए उपलब्ध होनी चाहिए। आधार दर की प्रयोज्यता v) सभी प्रकार के ऋणों की ब्याज दरें आधार दर के संदर्भ में निर्धारित की जानी चाहिए। तथापि, निम्नलिखित ऋण संवर्गों की ब्याज दरें आधार दर के संदर्भ के बिना तय की जा सकती हैं : (क) डीआरआई अग्रिम (ख) बैंक के अपने कर्मचारियों को ऋण (ग) बैंकों के जमाकर्ताओं को उनकी जमाराशि की प्रतिभूति पर ऋण। vi) अस्थिर दर वाले ऋण उत्पादों के लिए बाह्य बाजार बेंचमार्क दरों के अलावा आधार दर भी संदर्भ बेंचमार्क दर हो सकती है। तथापि बाह्य बेंचमार्क पर आधारित अस्थिर ब्याज दर मंजूरी या नवीकरण के समय की आधार दर के बराबर या उससे अधिक होनी चाहिए। vii) आधार दर में परिवर्तन बिना किसी भेदभाव के पारदर्शी तरीके से आधार दर से जुड़े सभी वर्तमान ऋणों पर लागू होगा। viii) चूंकि आधार दर सभी ऋणों के लिए न्यूनतम दर होगी, बैंकों को आधार दर से कम में उधार देने की अनुमति नहीं है। तदनुसार, 2 लाख रुपये तक के ऋणों के लिए उच्चतम दर के रूप में बीपीएलआर की वर्तमान व्यवस्था समाप्त की जा रही है। ऐसी आशा है कि उधार दर को उपर्युक्त रीति से नियंऋणमुक्त करने से छोटे उधारकर्ताओं को तर्कसंगत दर पर अधिक ऋण मिलेगा और प्रत्यक्ष बैंक वित्तपोषण से उच्च लागत वाले अन्य प्रकार के ऋणों को कड़ी चुनौती मिलेगी । ix) भारतीय रिज़र्व बैंक निर्यात ऋण के लिए प्रावधान की अलग से घोषणा करेगा। आधार दर की समीक्षा x) बैंकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे तिमाही में कम-से-कम एक बार बैंक की प्रथा के अनुसार, बोर्ड या आस्ति देयता प्रबंध समिति के अनुमोदन से आधार दर की समीक्षा करें । चूंकि उधार उत्पादों के ब्याज निर्धारण की पारदर्शिता एक प्रमुख लक्ष्य है, बैंकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी आधार दर के संबंध में सूचना अपनी सभी शाखाओं तथा वेबसाइट पर प्रदर्शित करें। आधार दर में परिवर्तन की सूचना भी समय-समय पर समुचित माध्यमों से सामान्य जनता को दी जानी चाहिए । बैंकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे पहले की तरह ही तिमाही आधार पर रिज़र्व बैंक को वास्तविक न्यूनतम और उच्चतम उधार दरों की सूचना देते रहें । संक्रमणकालीन मुद्दे xi) आधार दर प्रणाली सभी नये ऋणों पर और पुराने ऋणों के नवीकरण पर लागू होगी । बीपीएलआर प्रणाली पर आधारित वर्तमान ऋण परिपक्वता तक जारी रह सकते हैं । यदि वर्तमान उधारकर्ता वर्तमान संविदा की समाप्ति के पहले नई प्रणाली अपनाना चाहें तो परस्पर सहमत शर्तों पर उन्हें यह विकल्प प्रदान किया जा सकता है । तथापि, बैंकों को इस बदलाव के लिए कोई शुल्क नहीं लगाना चाहिए। xii) उपर्युक्त दिशानिर्देशों के अनुसार, बैंक अपने बोर्ड/आस्ति देयता प्रबंध समिति से अनुमोदन प्राप्त कर अपनी आधार दरों की घोषणा कर सकते हैं। प्रभावी तारीख xiii) आधार दर प्रणाली पर उपर्युक्त दिशानिर्देश 1 जुलाई 2010 से प्रभावी होंगे। (पी. विजय भास्कर) अनुलग्नक : यथोक्त |