जिंस (कमोडिटी) की कीमतों में जोखिम से बचाव की व्यवस्था (हेजिंग) – उधारकर्ताओं में जागरूकता पैदा करना - आरबीआई - Reserve Bank of India
जिंस (कमोडिटी) की कीमतों में जोखिम से बचाव की व्यवस्था (हेजिंग) – उधारकर्ताओं में जागरूकता पैदा करना
आरबीआई/2014-15/612 28 मई 2015 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय/महोदया, जिंस (कमोडिटी) की कीमतों में जोखिम से बचाव की व्यवस्था (हेजिंग) – बैंक कृषि से जुड़े हुए कार्यों में लगे ग्राहकों को कई तरह की ऋण सुविधाएं प्रदान करते हैं । इस सेक्टर में प्रमुख जोखिमों में से एक है - कृषि वस्तुओं की कीमतों का अस्थिर रहना, यद्यपि यह अप्रत्यक्ष होता है । सामान्यतया, ऐसा जोखिम उन मामलों में और अधिक गहरा जाता है जहां कृषि उधारकर्ता अंतर्निहित कृषि जिंसों की कीमतों के प्रति जोखिम से बचाव की व्यवस्था (हेजिंग) नहीं करते । कृषि-जिंसों की कीमतों में जोखिम से बचाव की व्यवस्था उधारकर्ता और बैंक दोनों के लिए ही लाभदायक है और इस तरह, यह वांछनीय होगा कि हितधारकों, जिनमें कृषि-उधारकर्ता तथा बैंक भी शामिल हैं, के बीच जोखिम प्रबंधन की संस्कृति को बढ़ावा दिया जाए। 2. इस समय, भारतीय बाजार में बचाव व्यवस्था के लिए डेरिवेटिव सहित कई साधन मौजूद हैं परंतु इन उत्पादों की पर्याप्त जानकारी न होने और इनमें अंतर्निहित जटिलता के चलते इनका व्यापक रूप से प्रयोग नहीं किया जा रहा है। 3. कृषि-जिंसों की कीमतों में जोखिम प्रबंधन के लिए सुदृढ़ जोखिम प्रबंधन क्षमता विकसित किए जाने को ध्यान में रखते हुए, यह महसूस किया गया है कि बैंकों को कृषि-उधारकर्ताओं को कृषि-जिंस डेरिवेटिव के माध्यम से बचाव व्यवस्था की उपयोगिता तथा लाभों के बारे में जागरूक बनाकर उनको बचाव व्यवस्था के प्रति प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, इन साधनों की उपलब्धता और प्रयोग के विषय में जानकारी देते समय बैंकों को अपने कृषि उधारकर्ताओं की विशेषज्ञता, समझ, परिचालन की मात्रा और जरूरतों को भी ध्यान में रखना चाहिए । 4. शुरूआत में, बैंक बड़े कृषि-उधारकर्ताओं, जैसे कि कृषि-जिंसों के प्रसंस्करणकर्ता, क्रेता-विक्रेता, मिल मालिक, संग्रहकर्ता आदि को कृषि-जिंस कीमतों में जोखिम के प्रति बचाव व्यवस्था के लिए प्रोत्साहित करें । उक्त बचाव व्यवस्था भारत में मान्यता प्राप्त एक्सचेंजों पर उपलब्ध कृषि-जिंस डेरिवेटिव उत्पादों द्वारा की जा सकती है। बैंकों को चाहिए कि वे अपने ग्राहकों को विशिष्ट एक्सपोजरों से बचाव के लिए इन साधनों के प्रयोग के औचित्य और उपयुक्तता के विषय में प्रशिक्षित करें ताकि ऐसे ग्राहक एक सुविचारित निर्णय ले सकें, जिससे ऐसे डेरिवेटिव के दुर्विक्रय की संभावनाएं कम हो जाएंगी। भवदीय, (सुदर्शन सेन) |