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घरेलू तेल शोधन,जहाज़रानी कंपनियों तथा अन्य कंपनियों द्वारा माल भाड़ा जोखिम का बचाव

आरबीआई/2008-09/373
एपी (डीआईआर सिरीज़)परिपत्र सं.50
 
04 फरवरी 2009
 

सभी श्रेणी - । प्राधिकृत व्यापारी बैंक

 

महोदय/महोदया

 

घरेलू तेल शोधन,जहाज़रानी कंपनियों तथा अन्य कंपनियों द्वारा माल भाड़ा जोखिम का बचाव

 

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -।(एडी श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान, समय समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.25/2000-आरबी के विनियम 6 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार भारत में रहनेवाले किसी व्यक्ति को पण्य के मूल्य जोखिम के बचाव के लिए कतिपय निबंधन और शर्तों पर भारत के बाहर पण्य मंडी अथवा बाजार में संविदा निष्पादित करने की अनुमति दी गयी है । इसके अतिरिक्त, 23 जुलाई 2005 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.03 के अनुसार, चुनिंदा एडी श्रेणी-।बैंकों को उसमें उल्लिखित शर्तों पर अंतरराष्ट्रीय पण्य मंडियों /बाजारों में पण्य के मूल्य जोखिम के बचाव के लिए सूचीबध्द कंपनियों को अनुमति प्रदान करने के अधिकार प्रदान किये गये हैं ।

 

2. वर्ष 2008-09 के वार्षिक नीति विवरण की मध्यावधि समीक्षा में की गई घोषणा के अनुसार (पैरा 146), यह निर्णय लिया गया है कि उन प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को अधिकार प्रत्यायोजित किये जाएं, जिंन्हे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निम्नलिखित शर्तों पर पण्य के बचाव मंजूरी देने,घरेलू तेल शोधन कंपनियों और जहाजरानी कंपनियों द्वारा माल भाड़ा जोखिम का बचाव की करने की अनुमति प्रदान की गयी है :

 

i) बचाव अंतरराष्ट्रीय मंड़ी/बाजार में प्लेन वैनिला काउंटर पर (ओटीसी) अथवा एक्सचेंज ट्रेडेड उत्पादो के रुप में वचनबद्ध किया जा सकता है ।

 

ii) विनिमय गृह, जहां उत्पादों की खरीद की जाती है, विनियमित संस्था हो ।

 

iii) अनुमत अधिकतम भाव एक वर्ष आगे का होगा ।

 

iv) अंतर्निहित ऋण जोखिम का आधार निम्नवत् है :

 

(क) तेल शोधन कंपनियों के मामले में-

 

(i) माल भाड़ा जोखिम बचाव, अंतर्निहित संविदाओं अर्थात् कच्चे तेल/पेट्रोलियम उत्पादों के लिए आयात/निर्यात आदेशों पर आधारित होगा । इसके अतिरिक्त, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक कच्चे तेल के प्रत्याशित आयातों पर उनके विगत कार्य-निष्पादन के आधार पर उनके माल भाड़ा जोखिम के बचाव के लिए तेल शोधन कंपनियों को पिछले वर्ष के दौरान कच्चे तेल की वास्तविक आयातों की मात्रा के 50 प्रतिशत तक अथवा पिछले तीन वर्षों के दौरान आयातों की औसत मात्रा के 50 प्रतिशत तक, जो भी अधिक हो, अनुमति दे सकते हैं ।

 

(ii) विगत कार्य-निष्पादन सुविधा के तहत निष्पादित संविदाओं को बचाव की अवधि के दौरान अंतर्निहित दस्तावेजों के प्रस्तुतीकरण द्वारा नियमित किरना होगा । कंपनी से इस आशय का वचनपत्र ले लिया जाए ।

 

(ख) जहाजरानी कंपनियों के मामले में:

 

(i) जोखिम बचाव जहाजरानी कंपनी के स्वामित्व वाले /नियंत्रित जहाजों के आधार पर होगा, जिनके पास कोई वचनबध्द रोज़गार नहीं होगा । बचाव की मात्रा इन जहाजों की संख्या और क्षमता द्वारा निर्धारित की जाएगी । उसे प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक के किसी सनदी लेखाकार द्वारा प्रमाणित किया जाएगा ।
         
(ii) जोखिम बचाव की निष्पादित संविदाएं, अंतर्निहित दस्तावेज के अर्थात् जोखिम बचाव की अवधि के दौरान जहाज पर रोजगार से सबंधित दस्तावेज,प्रस्तुत करके नियमित की जायें । कंपनी से इस आशय का वचनपत्र ले लिया जाए ।

(iii) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंको को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि जहाजरानी कंपनियों द्वारा निष्पादित किए जा रहे माल भाड़ा डेरिवेटिव्ज जहाजरानी कंपनियों के अंतर्निहित कारोबार का प्रतिरूप है ।

 

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंको को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अपने माल भाड़ा ऋण जोखिम का बचाव करने वाली संस्थाओं ने बोर्ड द्वारा अनुमोदित जोखिम प्रबंध नीतियां बनायी है,जो कि ढ़ांचे जिसके भीतर डेरिवेटिव्ज लेन-देन किये जायें और जोखिम उठाये जायें, को समग्र रूप से की परिभाषित करती हैं । प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक, यह सुनिश्चित करने के बाद ही इस सुविधा का अनुमोदन करें कि विशिष्ट गतिविधि और समुद्रपारीय विनिमय गृहों /बाजारों में व्यवसाय करने की भी कंपनी के बोर्ड की अनुमति प्राप्त की गयी है । बोर्ड के अनुमोदन में , लेन-देन करने के लिए सुव्यकत प्राधिकारण / प्राधिकारण , बाजार दर आधारित मूल्य नीति, ओवर दि काउंटर डेरिवेटिव्ज (ओटीसी) के लिए अनुमत काउंटर पार्टियों आदि अनिवार्यतया शामिल किये जायें तथा किये गये लेन-देनों की एक सूची छ:माही आधार पर बोर्ड को प्रस्तुत की जाये । प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक, उपर्युक्त ब्योरों को शामिल करने वाली कंपनी से लेन-देनों की अनुमति प्रदान करते समय ही अनिवार्यतया जोखिम प्रबंध नीति की प्रतिलिपि और उसमें जैसे ही कोई परिवर्तन किये जाते हैं तो उसकी प्रतिलिपि कंपनी से प्राप्त कर लेनी चाहिए ।

 
3. अन्य कंपनियों के मामले में जो कि माल भाड़ा जोखिम उठाती हैं, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक अपने ग्राहकों की ओर से अनुमति के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से संपर्क करें । आवेदन पत्र मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग, विदेशी मुद्रा बाजार प्रभाग, अमर बिल्डिंग, 5 वीं मंज़िल, मुंबई 400 001 को प्रषित किये जाएं ।
 

4. 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.25/आरबी -2000 में डविदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा विनिमय डेरिवेटिव्ज ठेके) अधिनियम, 2000 आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जाएंगे ।

 

5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।

 

6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

 
 

भवदीय

 
 

(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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