भारिबैं/2014-15/237 डीजीबीए.जीएडी.सं.एच- 1204/42.01.033/2014-15 18 सितंबर 2014 अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी सभी एजेंसी बैंक महोदय/महोदया, चेक ट्रंकेशन प्रणाली (सीटीएस) का कार्यान्वयन : सरकारी चेक भौतिक रूप से सरकार को भेजने संबंधी अपेक्षाओं को समाप्त करना – सरकारी लेनदेनों की सूचना देने संबंधी अनुदेशों के ज्ञापन में परिवर्तन चेकों के समाशोधन संबंधी दक्षता को बढ़ाने के क्रम में भारतीय रिज़र्व बैंक ने चेकों के समाशोधन हेतु चेक ट्रंकेशन प्रणाली (सीटीएस) प्रारंभ किया जा चुका है, ताकि चेकों को भौतिक रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजे बिना ही उन्हें प्रस्तुत करने और उसकी भुगतान में सुविधा हो। चूँकि यह प्रक्रिया स्थिर हो चुकी है, अत: भुगतान करने के बाद सरकारी चेकों को भौतिक रूप से सरकारी विभागों को अग्रेषित करने संबंधी वर्तमान अपेक्षाओं में बदला किया जाना आवश्यक हो गया है। इस अपेक्षा को समाप्त करने संबंधी मामले में सरकार के साथ विचार-विमर्श किया गया है और हम सहर्ष सूचित करते हैं कि महालेखा नियंत्रक, वित्त मंत्रालय, नई दिल्ली ने संबंधित सरकारी विभागों को अदा किए गए सरकारी चेक वापस भेजने संबंधी अपेक्षा को समाप्त करने से संबंधित हमारे प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। तदनुसार, ‘सरकारी व्यवसाय करने वाले एजेंसी बैंकों को जारी अनुदेशों के ज्ञापन’ में निम्नलिखित संशोधन प्रभावी किए जाएंगे :-
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प्रस्तुतकर्ता और अदाकर्ता दोनों बैंक विभिन्न अधिनियमों/विनियमों/नियमों जैसे परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881, बैंककारी बही साक्ष्य अधिनियम 1891, समाशोधन विनियमावली, सीटीएस के अंतर्गत बनाए गए नियमों के अंतर्गत निर्धारित अपने कर्तव्यों का पालन करना जारी रखेंगे। सरकारी चेकों को उनके इलेक्ट्रानिक इमेज के आधार पर सीटीएस के माध्यम से अदा किया जा सकेगा।
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भुगतान के लिए पारित करने से पूर्व यदि कोई अदाकर्ता बैंक सरकारी चेक का भौतिक रूप से सत्यापन करना चाहे तो इस मामले में इसकी इमेज को “दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत करें” संबंधी कारण के साथ चेक को अदा किए बिना वापस करना होगा। प्रस्तुतकर्ता बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि खाता धारक को कोई सूचना दिए बिना इस लिखत को समाशोधन के अगले लागू सत्र में पुन: प्रस्तुत कर दिया जाए।
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जैसा कि सीटीएस में अपेक्षित है कि प्रस्तुतकर्ता बैंक को 10 वर्षों की अवधि तक चेकों को अपनी अभिरक्षा में सुरक्षित रूप से संरक्षित रखना आवश्यक है। कुछ मामले में, कानून के तहत किसी अन्वेषण, जाँच आदि के प्रयोजन से विशिष्ट चेकों की आवश्यकता पड़ती है, इन्हें 10 से अधिक वर्षों तक संरक्षित रखा जा सकता है। सभी प्रदत्त सरकारी चेकों के इमेज को अदाकर्ता बैंक द्वारा इसी प्रकार 10 वर्षों तक संरक्षित करके रखा जाएगा।
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नकद आहरण अथवा अंतरण के माध्यम से काउंटर पर अदाकर्ता बैंक द्वारा अदा किए गए सरकारी चेकों को भी ट्रंगकेट करना आवश्यक है। इसके लिए पर्याप्त उपाय किए जाएं ताकि यह सुनिश्चित किया जाए कि इन इमेजों को अदाकर्ता बैंक द्वारा अलग से एकत्र (कैप्चर्ड) किया जाए और यह समाशोधन में भुगतान हेतु प्राप्त लिखतों की इमेज के साथ नही मिल पाए। दैनिक रूप से सभी प्रदत्त चेक की इमेज वाली एक कॉमन इलेक्ट्रानिक फाइल बनाया जाना चाहिए।
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अबतक की भाँति अदाकर्ता बैंक सरकारी विभागों को भुगतान स्क्रोल, मासिक डीएमएस आदि भेजना जारी रखेंगे। अदा किए गए (नकद, समाशोधन और अंतरण के माध्यम से) चेकों से संबंधित इमेज को, उनकी मात्रा के आधार पर उनकी अपेक्षानुसार दैनिक/साप्ताहिक/मासिक रूप में इलेक्ट्रानिक मीडिया अथवा सीडी के माध्यम से सरकार को भेजा जाना चाहिए।
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परिरक्षण अवधि के दौरान चेकों के समाधान, जाँच, अन्वेषण आदि के प्रयोजन से अदा किया गया कोई चेक सरकार द्वारा भौतिक रूप में अपेक्षित हो सकता है, जिसके लिए वह प्रस्तुतकर्ता बैंक से संपर्क कर सकती है। जब कभी सरकार द्वारा ऐसी मांग की जाए तब अदाकर्ता बैंक नकद और अंतरण के माध्यम से अदा किए गए ऐसे चेकों को तुरंत प्रस्तुत करने की व्यवस्था करेगा। यदि ये चेक समाशोधन के माध्यम से अदा किए गए हों तो प्रस्तुतकर्ता बैंक से इसे प्राप्त करने के बाद उपयुक्त समय के भीतर इन्हें सरकार को भेजा जाए। प्रस्तुतकर्ता बैंक की यह जिम्मेवारी होगी कि वह किसी भौतिक चेक से संबंधित सरकारी अपेक्षाओं तथा संबंधित अदाकर्ता बैंक को प्रस्तुत करने संबंधी अपेक्षाओं का अनुपालन करे।
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वर्तमान में सीटीएस ग्रिड आधार पर परिचालित किया जा रहा है। अत: भारिबैं / एजेंसी बैंकों पर आहरित सरकारी चेक अदाकर्ता बैंक में केवल ग्रिड के भीतर ही प्रस्तुत किए जाएं।
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अबतक की भाँति प्रस्तुतकर्ता बैंक सरकारी विभागों को भुगतान स्क्रोल, मासिक डीएमएस आदि भेजना जारी रखेगा। दर्शाई गई अशुद्धियों/ विसंगितयों को प्रक्रिया के अनुसार सुधार दिया जाए, अदा किए गए चेकों के खोए हुए इमेजों को तुरंत प्रस्तुत कर दिया जाए, पीएओ द्वारा यथाविधि सत्यापित स्क्रोल की प्रतियाँ अभिलेख के लिए रखी जाएं, इत्यादि को सुनिश्चित करें।
संधोधित दिशानिर्देश 1 अक्तूबर 2014 से प्रभावी होंगे। भवदीय (के. गणेश) उप महाप्रबंधक |