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भारतीय लेखा मानकों का कार्यान्वयन (इंड एएस)

आरबीआई/2015-16/315
बैंविवि.बीपी.बीसी.सं. 76/21.07.001/2015-16

11 फरवरी 2016

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

प्रिय महोदय / महोदया,

भारतीय लेखा मानकों का कार्यान्वयन (इंड एएस)

कारपोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए), भारत सरकार ने 16 फरवरी 2015 को कंपनी (भारतीय लेखा मानक) नियम, 2015 को अधिसूचित किया है। एमसीए द्वारा जारी दिनांक 18 जनवरी 2016 की प्रेस विज्ञप्ति का भी संदर्भ आमंत्रित किया जाता है, जिसमें बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, और चुनिन्दा अखिल भारतीय मीयादी ऋण और पुनर्वित्त संस्थानों तथा बीमा संस्थाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग मानकों (आईएफआरएस), समेकित भारतीय लेखा मानकों के कार्यान्वयन के रोडमैप के लिए रूपरेखा दी गई है।

2. इस संबंध में, यह सूचित किया जाता है कि अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) इस संबंध में रिजर्व बैंक द्वारा जारी किसी भी दिशानिर्देश के अधीन, कंपनी (भारतीय लेखा मानक) नियम, 2015 के अंतर्गत यथाअधिसूचित भारतीय लेखा मानकों का पालन निम्नलिखित तरीके से करेंगे:

  1. बैंक वित्तीय विवरणियों के लिए 1 अप्रैल 2018 से शुरु होने वाली लेखांकन अवधि के लिए और 31 मार्च 2018 या उसके बाद समाप्त होने वाली अवधि के तुलनात्मक आंकड़ों के साथ भारतीय लेखा मानक (इंड एएस) का अनुपालन करेंगे। इंड एएस, स्टैंडअलोन वित्तीय विवरणियों और समेकित वित्तीय विवरणियों, दोनों पर लागू होगा। 'तुलनात्मक आंकड़ों’का अर्थ होगा पूर्ववर्ती लेखांकन अवधि के लिए तुलनात्मक आंकड़े।

  2. बैंक केवल उपर्युक्त समय सारणी के अनुसार इंड एएस लागू करेंगे और उन्हें उससे पहले इंड एएस अपनाने की अनुमति नहीं होगी।

3. बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे एमसीए द्वारा जारी 18 जनवरी 2016 की प्रेस विज्ञप्ति का संज्ञान लें जिसमें कहा गया है कि कंपनियों के लिए रोडमैप के होते हुए भी बैंकों की होल्डिंग, अनुषंगी कंपनी, संयुक्त उद्यम या सहायक कंपनी से यह अपेक्षा होगी कि वे 1 अप्रैल 2018 से शुरु होने वाली लेखांकन अवधि के लिए और 31 मार्च 2018 या उसके बाद समाप्त होने वाली अवधि के तुलनात्मक आंकड़ों के साथ लेखांकन के लिए वित्तीय विवरणियां इंड एएस के आधार पर तैयार करेंगे।

4. इंड एएस के कार्यान्वयन से वित्तीय रिपोर्टिंग प्रणाली और प्रक्रियाओं पर गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना है और, इसलिए, यह आवश्यक है कि इन परिवर्तनों को कार्यान्वयन की तारीख से पहले से ही योजनाबद्ध, सुप्रबंधित, परीक्षित और कार्यान्वित किया जाए। बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे कार्यान्वयन प्रक्रिया तुरंत आरंभ करने के लिए कार्यपालक निदेशक (या समतुल्य) रैंक के पदाधिकारी की अध्यक्षता में एक संचालन समिति (स्टीयरिंग कमेटी) गठित करें, जिसमें बैंक के विविध कार्य-क्षेत्रों से सदस्य शामिल हों। पदनामित पदाधिकारियों के नाम और पदनाम के ब्योरे ई-मेल द्वारा भेजे जाएंगे। बोर्ड की लेखापरीक्षा समिति इंड एएस की कार्यान्वयन प्रक्रिया की प्रगति की निगरानी करेगी और बोर्ड को तिमाही अंतरालों पर रिपोर्ट करेगी। इंड एएस की कार्यान्वयन योजना में जिन महत्त्वपूर्ण मुद्दों को ध्यान में रखना है, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

क) इंड एएस की तकनीकी आवश्यकताएं: वर्तमान लेखांकन ढांचे और इंड एएस में भिन्नताओं का उपचारात्मक विश्लेषण, वित्तीय मुद्दों को प्रभावित करने वाले महत्त्वपूर्ण लेखांकन नीति निर्णय, लेखांकन नीतियां तैयार करना, प्रकटीकरण तैयार करना, दस्तावेजीकरण, इंड एएस वित्तीय विवरणियों के लिए प्रोफ़ार्मा तैयार करना, इंड एएस अपना लेने के लिए समयसीमा, लेखांकन प्रणालियों का ड्राइ-रन और वास्तविक अंतरण से पहले एंड टू एंड रिपोर्टिंग प्रक्रिया।

ख) प्रणालियां और प्रक्रियाएं: प्रणाली में परिवर्तनों का मूल्यांकन करना – उन प्रक्रियाओं का मूल्यांकन जिनके लिए परिवर्तन अपेक्षित है, मुद्दे जिनका सूचना प्रणालियों (आईटी प्रणालियों सहित) पर महत्वपूर्ण प्रभाव है, और जहां आवश्यक हो, डाटा कैप्चर प्रणाली को विकसित/सशक्त बनाना।

ग) कारोबार पर प्रभाव: लाभ आयोजना और बजट निर्माण, कराधान, पूंजी आयोजना, और पूंजी पर्याप्तता पर प्रभाव।

घ) लोग – संसाधनों का मूल्यांकन: कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त और पूरी तरह से समर्पित आंतरिक कर्मचारी, व्यापक प्रशिक्षण कार्यनीति और कार्यक्रम।

ङ) परियोजना प्रबंधन: पूरी प्रक्रिया का प्रबंधन करना – हितधारकों के लिए प्रभावी संचार रणनीतियों के अलावा, यह सुनिश्चित करके कि लेखांकन, प्रणालियां, लोग और कारोबार के बीच सभी संयोजन स्थापित हैं, योजना और निष्पादन के लिए समग्र दृष्टिकोण।

5. बैंक पूंजी पर्याप्तता सहित अपनी वित्तीय स्थिति पर इंड एएस कार्यान्वयन के प्रभाव का आकलन करेंगे और इसमें बासल III पूंजी अपेक्षाओं को गणना में शामिल करेंगे और अपने बोर्ड को तिमाही प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। बैंकों को 30 सितंबर 2016 को समाप्त छमाही से रिजर्व बैंक को इंड एएस प्रोफ़ार्मा में वित्तीय विवरणियाँ प्रस्तुत करने के लिए भी तैयार रहने की जरूरत है।

6. रिज़र्व बैंक कार्यान्वयन प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए भी कदम उठाएगा। आरंभ में, अप्रैल 2016 से रिज़र्व बैंक इस संबंध में बैंकों के साथ आवधिक बैठकें आयोजित करेगा। रिज़र्व बैंक जब जैसी आवश्यकता होगी, संबंधित मुद्दों पर आवश्यक अनुदेश /मार्गदर्शन/स्पष्टीकरण जारी करेगा।

7. बैंक वार्षिक रिपोर्ट में इंड एएस कार्यान्वयन के लिए कार्यनीति को, इस संबंध में हुई प्रगति सहित, प्रकट करेंगे। ये प्रकटीकरण वित्तीय वर्ष 2016-17 से लेकर कार्यान्वयन तक किए जाएंगे।

8. इंड एएस की दिशा और कार्यनीति निर्धारित करने और इंड एएस कार्यान्वयन योजना के विकास और निष्पादन की निगरानी करने की अंतिम ज़िम्मेदारी बैंकों के बोर्डों की होगी।

9. इसमें दिये गए निदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35 (क) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और बैंक उनका सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करेंगे।

भवदीय,

(सुदर्शन सेन)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक

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