भारत के बाहर भारतीय प्रत्यक्ष निवेश - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत के बाहर भारतीय प्रत्यक्ष निवेश
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 27 2 मार्च 2002 प्रति विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी प्रिय महोदय, /महोदया भारत के बाहर भारतीय प्रत्यक्ष निवेश प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 19/आरबी-2000 द्वारा अधिसूचित और समय-समय पर संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गमन) विनियमावली 2000 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. भारतीय पार्टीयों द्वारा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में और अधिक सरलता और व्यापकता लाने के उद्देश्य से भारतीय रिज़र्व बैंक ने उक्त विनियमों में 1 मार्च 2002 की अधिसूचना सं.फेमा 53/2002-आरबी द्वारा और संशोधन किये है, संशोधनो के मुख्य-मुख्य बातें निम्नानुसार है। i) 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 19 कं अनुसार स्वचलित मार्ग के अंतर्गत भारतीय पार्टीयाँ अब भारत के बाहर संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्ववाली अनुषंगी कंपनी में निवेशकर सकते है, निवेश राशि एक वित्तीय वर्ष में 50 दशलक्ष अमेरीकी डालर की वर्तमान सीमा के लिए अब एक वित्तीय वर्ष में 100 दशलक्ष अमेरीकी डालर अथवा उसके समकक्ष से अधिक नहीं होगी। ii) अधिसूचना सं. फेमा 19 के वर्तमान उपबंधों के अनुसार स्वचसलित मार्ग के अंतर्गत निवेश विनियम 6 के अनुसार किसी प्राधिकृत व्यापारी से विदेशी मुद्रा के आहरण द्वारा निधि की आपूर्ति कर सकते है जो भारतीय पार्टी की पिछले लेखापरीक्षित तुलन पत्र की तिथि को निवल संपत्ति का 25 प्रतिशत से अधिक नहीं है। यह सीमा अब निवल संपत्ति का 50 प्रतिशत तक बढ़ायी गयी हैं। 3. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत कराये। 4. इस परिपत्र में अन्तर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन जारी किए गए है। भवदीय सतीश कक्कर |