भारत के बाहर भारतीय प्रत्यक्ष निवेश - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत के बाहर भारतीय प्रत्यक्ष निवेश
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं. 32 28 अप्रैल 2001 सेवा में प्रिय महोदय, भारत के बाहर भारतीय प्रत्यक्ष निवेश प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान भारत के बाहर भारतीय निवेश के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 19/आरबी 2000 द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2000 की ओर आकृष्ट किया जाता है । 2. भारतीय पार्टियों द्वारा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को और अधिक उदार बनाने के उद्देश्य से भारतीय रिज़र्व बैंक ने उक्त विनियमों में दिनांक 2 माच्र 2001 की उसकी अधिसूचना सं.फेमा 40/2001 आरबी (प्रतिलिपि संलग्न) द्वारा संशोधन किया है । संशोधनों की मुख्य-मुख्य बाते निम्नलिखित पैराओं में दी गई है :- क) कंपनियों द्वारा निवेश - संयुक्त उद्यमों /संपूर्ण स्वामित्ववाली अनुषंगियों - सीमा और पात्रता i) स्वचालित मार्ग के अंतर्गत दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना के विनियम 6 के अनुसार भारतीय पार्टियाँ अब भारत के बाहर संयुक्त उद्यमों /संपूर्ण स्वामित्ववाली अनुषंगियों में तीन वर्षों के एक खण्ड में 50 मिलियम डालर की वर्तमान सीमा के मुकाबले एक वित्तीय वष्ंद में 50 मिलियन अमेरिकन डालर अथवा उसके समकक्ष तक निवेश कर सकते हैं (नेपाल, भूटान और पाकिस्तान के अलावा म्यान्मार और सार्क देशों में निवेशों के लिए 25 मिलियन अमेरिकन डालर की अतिरिकत राशि ) । ii) दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना के अंतर्गत विनियम 6 के खण्ड (iv) में निहित लाभप्रदता के शर्त को हटा दिया गया है । iii) नेपाल और भूटान में भारतीय रुपयों में प्रत्यक्ष निवेश के संबंध में भारतीय पार्टियों द्वारा कुल वित्तीय प्रतिबद्धता नीन वित्तीय वर्षों के एक खण्ड में 120 करोड़ रुपयों की वर्तमान सीमा के मुकाबले अब एक वित्तीय वर्ष में 350 करोड़ रुपयों तक हो सकती है । ख) एडीआर/जीडीहार निर्गम - उपयोगी i) भारतीय पार्टियाँ दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 19/आरबी 2000 के विनियम 6(3) (iii) अथवा 6(6) द्वारा अनुमत 50 प्रतिशत की वर्तमान सीमा के स्थान पर अबसे विदेश निवेश के लिए 100 प्रतिशत एडीआर/जीडीआर आगमों का उपयोग कर सकते हैं । ग) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा का खण्ड आबंटन दिनांक 2 मार्च 2001 की अधिसूचना सं. फेमा 40/2001 आरबी के विनियम 9 ए के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक भारतीय पार्टियों को विदेश्ां मुद्रा का खण्ड आबंटन एक आवेदन पत्र फार्म ओडीआइ में आवश्यक दस्तावेजों / विवरणों के साथ प्रस्तुत करने पर साबित ट्रैक रिकार्ड के साथ कर सकते हैं जिनकी दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 19/आरबी 2000 के विनियम 6 के उप-विनियम (2) के अधीन उनको उपलब्ध हुई सीमा समाप्त हुई है । घ) फर्मों द्वारा निवेश भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 के अधीन पंजीकृत भारत में फर्मों को 2 मार्च 2001 की अधिसूचना सं. फेमा 40/2001 आरबी के जरिए आरंभित विनियम 17ए तथा 17 बी के अनुसार भारत के बाहर प्रत्यक्ष निवेश करने की अनुमति दी गई है । विनियम 17ए के अनुसार फर्मों के निवेश प्रस्तावों पर फार्म ओडीहाइ (लागू सीमा तक) में आवेदन करने पर अनयों के साथ-साथ, विदेशी उद्यमों की प्रथम दर्शनी व्यवहार्यता, ऐसे निवेशों के जरिए भारत के लिए उपर्जित लाभों, भारतीय फर्म की वित्तीय स्थिति और कारोबार ट्रैक रिकार्ड, विदेश्ां सहयोगी और विशेषत: और उसी गतिविधि अथवा गतिविधि से संबंधित क्षेत्र में भारतीय पार्टी का अनुभव आदि को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विचार किया जायेगा । ङ) निवासी व्यक्तिगतों द्वारा विदेशी प्रतिभूतियों का अभिग्रहण विदेशी मूल कंपनी द्वारा उसके भारतीय कार्यालय, शाखा, संयुक्त उद्यम अथवा अनुषंगी के कार्यालयों/ निवेशकों के लिए प्रस्तुत इक्विटी शेयरों के खरीद हेतु संदर्भाधीन अधिसूचना के विनियम 19 (2) के अधीन निर्धारित पांच कैलेण्डर वर्षों के एक खण्ड मे 10,000 अमेरिकरन डालर अथवा उसके समकक्ष की सीमा को पांच कैलेंडर वर्षों की एक खण्ड में 10,000 अमेरिकन डालर से किसी कैलेण्डर वर्ष में 20,000 अमेरिकरन डालर अथवा उसके समकक्ष के रुप में बढ़ायी गयी है । 3. विनियमों में उक्त संशोधनों को ध्यान में रखते हुए और अनुबंध में दर्शाये गये प्रक्रिया संबंधी परिवर्तनों को क्रमश: 22 जून और 14 सितंबर 2000 के ए पी (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 3 और 13 द्वारा प्रक्रिया सूचना में दिया गया है । 4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय वस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत कराये । 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गये है । इस निदेशों का किसी भी प्रकार से उल्लंघन किया जाना अथवा अनुपालन न किया जाना अधिनियम के अधीन निर्धारित जुर्माने से दंडनीय है। भवदीया (कि.ज. उदेशी) |