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10 मिलियन अमरीकी डॉलर के लिए भारत - कंबोडिया, 6 नवंबर 2002

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग
केद्रीय कार्यालय
मुंबई

ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिक्रम क्र.85

मार्च 4, 2003

सेवा में
विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी

महोदया/महोदय,

10 मिलियन अमरीकी डॉलर के लिए
भारत - कंबोडिया, 6 नवंबर 2002

भारत सरकार ने रॉयल गवर्मेंट ऑफ कंबोडिया को, दोनों सरकार के बीच 6 नवम्बर 2002 को किए गए समझौते के अंतर्गत 10 मिलियन अमरीकी डॉलर (केवल दस मिलियन अमरीकी डॉलर) का ऋण स्वीकृत किया है। यह ऋण रॉयल गवर्मेंट ऑफ कंबोडिया को भारत में विनिर्मित भारत से पूंजीगत माल के आयात के लिए उपलब्ध होगा जिसमें मूल अतिरिक्त पुर्ज़े और सहायत उपकरणों की खरीद शामिल होगी और उनके साथ मूल संविदा में शामिल परामर्शी सेवाएं तथा उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं, जो कि परिशिष्ट में उल्लिखित है, शामिल होंगे। परिशिष्ट की विषयवस्तु में संशोधन किया जा सकता हे अर्थात उसमें दोनों सरकारों की आपसी सहमति से वस्तुएं जोड़ी, घटाई या प्रतिस्थापित की जा सकती हैं। यह ऋण किसी अन्य देश से आयात के लिए उपलब्ध नहीं होगा। इसके अंतर्गत ऋण का उपयोग भारत से माल और सेवाओं का लाओ में आयात के लिए होगा और ऋण का भुगतान सामान्य व्यापारिक मार्ग से किया जाएगा तथा वह दोनों देशों में प्रचलित कानून एवं विनियमों के अधीन होगा।

2. इस ऋण के प्रमुख नियम और शर्ते इस प्रकार हैं :-

(क) सभी संविदाएं भारत सरकार और लाओ पीडीआर सरकारों के अनुमोदन के अधीन होंगी और इसमें उस आशय का खण्ड समाहित होगा। सभी संविदाएं वित्त मंत्रालय, आर्थिक कार्य विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली के अनुमोदन के लिए भेजी जाएंगी। प्रत्येक संविदा के अनुमोदन के पश्चात् वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा लाओ पीडीआर सरकार और स्टेट बैंक, नई दिल्ली को उसकी सूचना दी जाएगी।

(ख) यह ऋण भारत से निर्यात किए जाने वाले पात्र माल और सेवाओं के एफओबी मूल्य के 90 प्रतिशत के लिए उपलब्ध होगा। एफओबी मूल्य का शेष 10 प्रतिशत का भुगतान आयातक द्वारा मुक्त रूप से परिवर्तनीय विदेशी मुद्रा में साखपत्र खोलने के समय भुगतान करना होगा। तदनुसार, साखपत्र में विनिर्दिष्ट किया जाए कि एफओबी मूल्य का 10 प्रतिशत लाओ पीडीआर सरकार से प्राप्त प्रेषणों में से पूरा किया जाएगा जब कि शेष 90 प्रतिशत वित्त पोषण प्राप्त होगा। संविदा का मूल्य अमरीकी डॉलर में व्यक्त किया जाएगा।

(ग) इस ऋण के अंतर्गत सभी संवितरण लाओ पीडीआर में बैंक द्वारा खोले गए साखपत्र के अंतर्गत करना होगा। सभी साखपत्रों की सूचना लाओ पीडीआर में स्थित बैंक द्वारा भारतीय स्टेट बैंक, नई दिल्ली के पास या तो सीधे या निर्यातक द्वारा नामित भारत में किसी बैंक के माध्यम से, यदि कोई हो, अग्रेषण के लिए भेजी जाएगी। इस साखपत्र के अंतर्गत भुगतान की सूचना देने के बारे में सामान्य व्यापारिक प्रथा का अनुसरण किया जाए ताकि साखपत्र की शेष 10 प्रतिशत रकम का भुगतान अमरीकी डॉलर में प्राप्त हो। एफओबी मूल्य के 90 प्रतिशत के भुगतान हेतु भारतीय स्टेट बैंक को प्रस्तुत किए जाने वाले सभी दावों के समर्थन में बेचान करने वाले बैंक का प्रमाणपत्र हो कि सीधे भुगतान की जाने वाली रकम प्राप्त हो चुकी है। प्रत्य्टाक साखपत्र के समर्थन में संविदा की प्रतिलिपि प्रस्तुत की जाए और उसमें निम्नलिखित प्रतिपूर्ति खंड जोड़ा जाए:-

‘‘संविदा के एफओबी मूल्य के 90 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति भारतीय स्टेट बैंक, नई दिल्ली द्वारा भारत सरका से लाओ पीडीआर सरकार को स्वीकृत 10 मिलीयन अमरीकी डॉलर के ऋण में से उपलब्ध करवाया जाएगा। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा उसके लागू होने की सूचना प्राप्त हो जाने पर ही साखपत्र बेचार योग्य होगा। साखपत्र भारतीय स्टेट बैंक द्वारा सत्यापित करने के बाद कि एफओबी मूल्य के 90 प्रतिशत में से ही ऋण की प्रतिपूर्ति के लिए मांग की गई है, लागू किया जाएगा और बेचान करने वाले बैंक की जिम्मेदारी होगी कि वह 10 प्रतिशत शेष राशि को अमरीकी डॉलर मे प्राप्त होना सुनिश्चित करे।’’

3. इस ऋण करार के अंतर्गत वित्त पोषण की संविदा और संबंधित साखपत्र 31 दिसंबर 2003 तक हस्ताक्षरित और स्थापित हो जाने चाहिए और इस ऋण के अंतर्गत पूरी रकम का आहरण 31 दिसंबर 2004 तक कर लिया जाना चाहिए । यदि पूरी रकम उक्त तारीख तक नहीं आहरित की जाती है तो शेष रकम रद्द कर दी जाएगी और भारत सरकार द्वारा इससे भिन्न सहमति न हो तो, लाओ पीडीआर सरकार द्वारा चुकाई जाने वाली अंतिम किश्त तदनुसार कम कर दी जाएगी।

4. इस ऋण करार के अंतर्गत आने वाले माल और परामर्शी सेवाएओं के पोत लदान की जीआर/एसडीएफ़/साफ्धटेक्स फार्म पर घोषित किया जाए और उसके ऊपर स्पष्ट रूप से लिखा जाए कि ‘‘भरत सरकार और लाओ पीडीआर सरकार के बीच नवम्बर 6, 2002 को हुए समझौते के अंतर्गत लाओ पीडीआर को नियात’’। जीआर/एसडीएफ़/साफ्धटेक्स फार्म में उपलब्ध स्थान पर इस परिपत्र की संख्या और तारीख लिखी जाए। इस बिल का पूरा भुगतान उल्लिखित तरीके से प्राप्त हो जाने पर प्राधिकृत व्यापारी संबंधित जीआर/एसडीएफ़/साफ्धटेक्स फार्म की अनुलिपियों पर प्रमाणित करें।

5. इस ऋण करार के अंतर्गत सामान्यतया किसी भी प्रकार का एजेंसी कमीशन नहीं देय होगा। तथापि, अनुरोध प्राप्त होने पर रिज़र्व बैंक गुणदोष के आधार पर पूंजी माल के संबंध में जिन्हें विक्री के उपरांत सेवाओं की ज़रूरत होगी उनके लिए एफ़ओबी मूल्य के अधिकतम 5 प्रतिशत तक कमीशत की अनुमति देने पर विचार कर सकता है। ऐसे मामलों मे कमीशन का भुगतान लाओस में संगत पात लदान के बीजक मूल्य में से काटकर करना होगा और एफ़ओबी मूल्य के 90 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति में से, भुगतान किए गए कमीशन की रकम काटकर, किया जाएगा। कमीशन के भुगतान का अनुमोदन संगत पात लदान से पहले प्राप्त किया जाना चाहिए।

6. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दे दें ।

7. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं।

 भवदीय,

(ग्रेस कोशी)
मुख्य महाप्रबंधक

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