25 मिलियन अमरीकी डॉलर के लिए मार्च 23, 2004 का भारत - श्रीलंका ऋण करार - आरबीआई - Reserve Bank of India
25 मिलियन अमरीकी डॉलर के लिए मार्च 23, 2004 का भारत - श्रीलंका ऋण करार
आरबीआई/2004-05/58 जुलाई 20, 2004 सेवा में महोदया / महोदय 25 मिलियन अमरीकी डॉलर के लिए मार्च 23, 2004 का भारत - श्रीलंका ऋण करार भारत सरकार ने श्रीलंका गणराज्य की सरकार को जनवरी 29, 2001 को दोनों सरकारों केग बीच हुए ऋण करार के अंतर्गत प्रदान की गई 100 मिलियन अमरीकी डॉलर में से 25 मिलियन अमरीकी डॉलर (पच्चीस मिलियन अमरीकी डॉलर मात्र ) का तीसरा हिस्सा उपलब्ध करा दिया है । दोनो सरकारों के बीच इस आशय के करार पर मार्च 23, 2004 को हस्ताक्षर किए गए । 25 मिलियन अमरीकी डॉलर का यह ऋण श्रीलंका गणराज्य की सरकार को भारत से, भारत में विनिर्मित पूंजी माल के लिए उपलब्ध होगा, जिसमें पूंजी माल के साथ खरीदे गए मूल कलपुर्जे और सहायक उपकरण शामिल हैं जो मूल करार में शामिल हैं और परामर्शी सेवाएं, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं और खाद्य वस्तुएं - शक्कर, गेहूं का आटा, चावल टूटे हुए लाल मसूर दाल, गेहूं, जिन्हें दोनों सरकार की पारस्परिक सहमति से समय-समय पर जोड़ने हटाने अथवा प्रतिस्थापन के द्वारा संशोधित किया जा सकता है । इस ऋण में किसी तीसरे देश से आयात शामिल नहीं होगा । इस ऋण के अंतर्गत भारत से माल और सेवाओं का निर्यात और उनका श्रीलंका में आयात सामान्य वाणिज्यिक माध्यमों और दोनों देशों के प्रचलित कानून और विनियमों के अधीन होगा । 2. ऋण सहायता के प्रमुख नियम और शर्तें इस प्रकार हैं :- क) सभी संविदाएं भारत सरकार और श्रीलंका सरकार अथवा श्रीलंका सरकार द्वारा इस प्रयोजन लिए प्राधिकृत किसी एजेंसी के अनुमोदन के अधीन होंगे और उसमें इस आशय का खंड समाहित होगा । सभी संविदाएं वित्त मंत्रालय, आर्थिक कार्य विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली को अनुमोदन के लिए भेजी जाएंगी । प्रत्येक संविदा अनुमोदन के पश्चात्, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार उसकी सूचना श्रीलंका सरकार और भरतीय स्टेट बैंक, नई दिल्ली को देगा । ख) ऋण भारत से निर्यात किए जाने वाले पात्र माल और सेवाओं के एफओबी मूल्य के 100 प्रतिशत तक उपलब्ध होगा । संविदा का मूल्य अमरीकी डॉलर में अभिव्यक्त किया जाएगा । ग) इस ऋण के अंतर्गत सभी संवितरण श्रीलंका में बैंकों द्वारा खोले गए साखपत्र के अंतर्गत किए जाएंगे । श्रीलंका में स्थित बैंक सभी साखपत्रों की सूचना भारतीय स्टेट बैंक, नई दिल्ली के पास सीधे या निर्यातक द्वारा नामित भारत स्थित किसी बैंक के माध्यम से, यदि काई हो, अग्रेषण के लिए भेजेंगे । साखपत्र के अंतर्गत भुगतान की सूचना देने के लिए सामान्य व्यापारिक प्रथा अपनायी जाएगी । साखपत्र के समर्थन में संविदा की प्रतिलिपि प्रस्तुत की जाए और उसमें निम्नलिखित प्रतिपूर्ति खंड जोड़ा जाए :- "भारत सरकार से श्रीलंका सरकार को दी गई 25 मिलियन अमरीकी डॉलर के त्र्ण में से संविदा के एफओबी मूल्य के 100 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति भारतीय स्टेट बैंक, नई दिल्ली द्वारा किया जाएगा । भारतीय स्टेट बैंक द्वारा साखपत्र के परिचालन की सूचना प्राप्त होने के बाद यह परक्राम्य होगा ।" 3. पात्र माल और सेवाओं के निर्यात के लिए इस कारार के अंतर्गत वित्तपोषित संविदाएं फरवरी 28, 2005 तक हस्ताक्षरित और साखपत्र प्रमाणित हो जाने चाहिए और इस ऋण के अंतर्गत पूरी रकम का आहरण फरवरी 28, 2006 तक कर लिया जाना चाहिए । यदि पूरी रकम उक्त तारीख तक नहीं आहरित की जाती है तो शेष रकम रदद् कर दी जाएगी और तदनुसार श्रीलंका सरकार द्वारा चुकाई जाने वाली अंतिम किस्त कम कर दी जाएगी, इसके सिवाय कि भारत सरकार द्वारा अन्यथा सहमति न हो । 4. इस ऋण के अंतर्गत किए जाने वाले निर्यातों के लिए किसी एजेंसी कमीशन की अनुमति नहीं है । 5. इस ऋण करार के अंतर्गत आने वाले माल और परामर्शी सेवाओं के पोत लदान को समय-समय पर जारी अनुदेशों के अनुसार जीआर / एसडीएफ / सॉफ्टेक्स फार्म पर घोषित किया जाए और उसके ऊपर स्पष्ट रुप से लिखा जाए कि "भारत सरकार और श्रीलंका सरकार के बीच मार्च 23, 2004 को हुए समझौते कं अंतर्गत श्रीलंका सरकार को निर्यात" । इस परिपत्र की संख्या और तारीख जीआर / एसडीएफ / सॉफ्टेक्स फार्म में इसके लिए उपलब्ध स्थान पर लिखी जाए । 6. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दे । इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गए है । भवदीय एफ.आर. जोसेप |