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100 मिलियन अमेरिकी डालर के लिए 29 जनवरी 2001 का इंडो-श्रीलंका ऋण करार

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई 400 001

ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं. 36

28 जून 2001

प्रति
विदेशी मुद्रा के समस्त प्राधिकृत व्यापारी

प्रिय महोदय,

100 मिलियन अमेरिकी डालर के लिए 29 जनवरी 2001
का इंडो-श्रीलंका ऋण करार

भारत सरकार ने 29 जनवरी 2001 को दोनो सरकारों के बीच हुए ऋण करारनामा के अंतर्गत रिपब्लिक ऑफ श्रीलंका सरकार को 100 मिलियन अमेरिकी डालर (सौ मिलियन अमेरिकी डालर मात्र) की ऋण सहायता प्रदान की है । 100 मिलयिन अमेरिकी डालर का ऋण तीन वर्षों के अवधि में वितरित किया जायेगा । 45 मिलियन अमेरिकी डालर के पहले हिस्सा का उपयोग करने के पश्चात 30 मिलियन अमेरिकी डालर का एक और हिस्सा देसरे वर्ष के दौरान वहीं नियामें और शर्तों पर उपलब्ध होगा और वह एक पृथक करार में समाविष्ट होगा । उसी प्रकार से 25 मिलियन अमेरिकी डालर का तीसरा हिस्सा तीसरे वर्ष के दौरान वहीं नियमों ओर शर्तों पर और एक अन्य पृथक करार के जरिए उपलब्ध होगा । पहले वर्ष में वितरित 45 मिलियन अमेरिकी डालर का ऋण रिपब्लिक ऑफ श्रीलंका सरकार को भारत से पूजीगत मालों के साथ खरीद किये गये मूल कलपुर्जे ओर उपकरणों को शामिल भारतीय निर्मित पूजीगत मालों और मूल करार में शामिल साथी साथ परामर्शी सेवाएं, टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं और अनुबंध में उल्लिखित किये गये अनुसार खाद्य सामग्री, शक्कर, गेहूँ धान्य काय आयात करने के लिए उपलब्ध होगा । अनुबंध की विषय सूची समय समय पर दोनों सरकार के बीच पारस्परिक सहमति पर जोड़, विलोपन अथवा प्रतिस्थापन के जरिए संशोधित की जाएगी । ऋण तीसरे देश के आयातों को शामिल नहीं करगा । मालों और सेवाओं का भारत से निर्यात और उनका श्रीलंका को आयात ऋण सहायता के अधीन सामान्य सामान्य वाणिज्य चैनेलों के जरिए किया जाएगा होगा और दोनो देशों में प्रचलित कानूनों और विनियमों के अधीन होगा ।

मोटे तौर पर ऋण सहायता के नियम और शर्ते इस प्रकार है -

(अ) सभी करार भारत सरकार और श्रीलंका सरकार अथवा इस प्रयोजनार्थ प्राधिकृ त किसी एजेन्सी के अनुमोदन के अधीन होंगे ओर इसके लिए एक खण्ड को अंतर्विष्ट किया जाना होगा । सभी करार भारतीय स्टेट बैंक, नई दिल्ली को को भेज्टा जाये वह वित्त मंत्रालय, आर्थिक कार्य विभाग, भारत सरकार से आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करेंगे । प्रत्येक करार अनुमोदित होने के पश्चात उसकी जानकारी रिपब्लिक ऑफ श्रीलंका सरकार और उनके नामोद्दिष्ट एजेंसी को भेजी जाएगी ।

(आ) ऋण अनुबंध में उल्लेख किये गये अनुसार भारत से निर्यात किये जानेवाले पात्र मालों, सेवाओं और खाद्य सामग्री के जहाज तक न:शुल्क मूल्य का 90 प्रतिशत के लिए उपलब्ध होगी । जहाजतक न:शुल्क मूल्य का 10 प्रतिशत आयातक को साख पत्र खोलते समय अमेरिकी डालर में अदा किया जाना होगा । तदनुसार साख पत्र में यह उदधृत किया जाना चाहिए कि 10 प्रतिशत जहाजतक न:शुल्क मूल्य श्रीलंका से विप्रेषणों में से पूरा किया जायेगा जब कि शेष 90 प्रतिशत ऋण से वित्तपोषित की जायेगी । करार का मूल्य अमेरिकी डालरों में अभिव्यक्त होगी ।

इ) ऋण के अंतर्गत सभी संवितरण श्रीलंका में बैंकों द्वारा खोले गये साख पत्र के अधीन होने चाहिए । सभी साख पत्रों की सूचना श्रीलंका में बैंकों द्वारा भारतीय स्टेट बैंक, नई दिल्ली को निर्यातक/कों को सीधे या भारत में किसी बैंक के जरिए, यदि कोई नामित किया गया हो तो, अग्रेषण के लिए दी जाएगी । साख पत्रों के अंतर्गत भुगतान सूचना देने के संबंध में पालन की जानेवाली सामान्य वाणिज्य प्रथाओं का यह सुनिश्चित करने के लिए अंगीकार किया जायेगा कि साख पत्र की राशि का शेष 10 प्रतिशत अमेरिकी डालरों में प्राप्त हुआ है । जहाज तक न:शुल्क मूल्य का 90 प्रतिशत के भुगतान हेतु भारतीय स्टेट बैंक को प्रस्तुत सभी दावे परक्रामण बैंक के इस आशय के एक प्रमाणपत्र से समर्थित होने चाहिए कि प्रत्यक्ष देय की 10 प्रतिशत राशि प्राप्त हुई है । साख पत्र करार की प्रतिलिपि से समर्थित होनी चाहिए और निम्नलिखित प्रतिपूर्ति खण्ड अंतर्विष्ट किया जाये ।

" करार की जहाजतक न:शुल्क मूल्य का 90 प्रतिशत के लिए प्रतिपूर्ति भारतीय स्टेट बैंक द्वारा रिपब्लिक ऑफ श्रीलंका सरकार को भारत सरकार ने दी गई 45 मिलियन अमेरिकी उालर के ऋण में से की जायेगी । साख पत्र परक्राम्य तब है जब भारतीय स्टेट बैंक ने इस आशय की सूचना जारी की है कि यह परिचालित है । साख पत्र यह सत्यापन करने के बाद भारतीय स्टेट बैंक द्वारा व्यावहारिक बन जायेगे कि ऋण से प्रतिपूर्ति जहाजतक न:शुल्क मूल्य का 90 प्रतिशत के लिए ही प्राप्त हुई है और परक्रामण बैंक की यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होगी कि साख पत्र की शेष 10 प्रतिशत की राशि अमेरिकी डालरों में प्राप्त हुई है । जहाजतक न:शुल्क मूल्य 90 प्रतिशत के भुगतान हेतु भारतीय स्टेट बैंक के इस आशय के एक प्रमाणपत्र से समर्थित होने की आवश्यकता है कि प्रत्यक्ष देय की 10 प्रतिशत राशि प्राप्त हुई है ।"

3. पूँजीगत मालों के साथ खरीद किये गये मूल कलपुर्जें और उपकरणों को शामिल पूँजीगत मालों से संबंधित संविदाएं हस्ताक्षरित किये गये जो ऋण के पहले स्से के अंतर्गत वित्तपोषित किये जानेवाले मूल संविदा का भाग बनते हैं । और संबंधित साख पत्र 31 दिसंबर 2001 तक अथवा उसके पहले स्थापित होने चाहिए तथा ऋण के अधीन पूरी राशि 31 दिसंबर 2002 तक या उसके पहले आहरित होनी चाहिए । ऋण करार के अंतर्गत वित्तपोषित किये जानेवाले परामर्शी सेवाएं, टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं और खाद्य सामग्री संविदाएं 31 दिसंबर 2001 तक या उसके पहले, हस्ताक्षरित संबंधित साख पत्र स्थापित और पूर्ण राशि आहरित की जाय । यदि उपरोक्त तिथियों तक पूर्ण राशि आहरित नहीं किया गया हो तो शेष निरस्त होगी और श्रीलंका सरकार द्वारा की जानेवाली चुकौती की अंतिम किश्त, अन्यथा भारत सरकार द्वारा होनेवाले सम्मत को छोड़कर, तदनुसार घटायी जायेगी ।

4. ऋण करार के अंतर्गत पातलदान को जीआर/एसडीएफ/साफ्टेक्स फार्म में स्पष्ट रूप से "भारत सरकार तथा रिपब्लिक ऑफ श्रीलंका सरकार के बीच 29 जनवरी 2001 के त्रण करार के अंतर्गत श्रीलंका को निर्यात" लिखते हुए घोषित किया जाना चाहिए । इस परिपत्र की संख्या और तिथि को जीआर/एसडीएफ/साफ्टेक्स फार्म पर उसके लिए उपलब्ध स्थान पर रिकार्ड किया जाना चाहिए । उक्त निर्दिष्ट तरीके से बिलों के पूर्ण भुगतान की प्राप्ति पर प्राधिकृत व्यापारियों को संबंधित जीआर/एसडीएफ/साफ्टेक्स फार्म की डयुप्लिकेट प्रतियाँ प्रमाणित करनी होगी और उक्त को रिज़र्व बैंक के संबंधित कार्यालय/यों को सामान्य तरीके से प्रस्तुत करें ।

5. सामान्यत: ऋण सहायता के अंतर्गत वित्तपोषित निर्यातों के संबंध में कोई एजेन्सी कमीशन देय नहीं होगा । तथापि भारतीय रिज़र्व बैंक, उन पूँजीगत मालों के संबंध में जिन्हें बिक्री के पश्चात सेवा की जरुरत है, के लिए जहाजतक न:शुल्क मूल्य का 5 प्रतिशत से अधितक सीमा तक कमीशन के भुगतान हेतु प्राप्त अनुरोधों पर गुणावगुण पर विचार कर सकता है । ऐसे मामलों में कमीशन को संबंधित पोतलदान के बीजक मूल्य से घटाकर श्रीलंका में ही अदा किया नाना होगा ओर प्रतिपूर्तियोग्य राशि अदा कमीशन को घटाते हुए जहाजतक न:शुल्क मूल्य का 90 प्रतिशत होगी । कमीशन के भुगतान हेतु अनुमोदन संबंधित पोतलदान से पहले प्राप्त किया जाना चाहिए ।

6. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से श्रीलंका को निर्यातों में लगे अपने ग्राहकों को अवगत कराये ।

7. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गये है । इस निदेशों का किसी भी प्रकार से उल्लंघन किया जाना अथवा अनुपालन न किया जाना अधिनियम के अधीन निर्धारित जुर्माने से दंडनीय है ।

भवदीय

(पी.के. बिस्वास)
मुख्य महा प्रबंधक

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