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जमाराशियों पर ब्याज दरें

आरबीआई/2012-13/177
ग्राआऋवि. केंका.आरसीबी.बीसी.सं.26/07.38.01/2012-13

28 अगस्त 2012

अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंक

महोदय

जमाराशियों पर ब्याज दरें

कृपया दिनांक 4 दिसंबर 1998 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि.सं.आरएफ.बीसी. 39/ 07.38.01/ 98-99 देखें जिसके द्वारा राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंकों को अपने विवेक से 15 लाख रुपये तथा उससे अधिक की एकल मीयादी जमाराशियों पर विभेदक ब्याज दर प्रदान करने की अनुमति इस शर्त के अधीन दी गई थी कि उन जमाराशियों सहित जिन पर विभेदक ब्याज दर का भुगतान किया जाता है, जमाराशियों पर देय ब्याज दरों की अनुसूची अग्रिम रूप में प्रकट की जाए तथा जमाकर्ता और बैंक के बीच ब्याज को लेकर कोई सौदेबाजी न हो।

2. इस संबंध में, दिनांक 17 अप्रैल 2012 को घोषित मौद्रिक नीति  वक्तव्य 2012-13 के जमाराशियों पर ब्याज दरों में भिन्नता से संबन्धित पैरा 84 एवं 85 (उद्धरण संलग्न) की ओर आपका ध्यान आकृष्ट किया जाता है। यह देखा गया है कि 15 लाख रुपये तथा उससे अधिक की एकल जमाराशियों तथा तदनुरूपी परिपक्वता अवधि की अन्य (अर्थात 15 लाख रुपये से कम की) जमाराशियों पर बैंकों द्वारा दी जाने वाली ब्याज दरों में काफी भिन्नताएँ हैं। साथ ही, बैंक उन जमाराशियों पर भी काफी अलग अलग ब्याज दर दे रहे हैं जिनकी परिपक्वता अवधि में बहुत कम अंतर है। इससे चलनिधि प्रबंधन प्रणाली और कीमत निर्धारण प्रक्रिया में अपर्याप्तता का पता चलता है। अतः, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे देयताओं के मूल्यन के संबंध में बोर्ड द्वारा अनुमोदित एक पारदर्शी नीति लागू करें। बोर्ड/एएलसीओ को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 15 लाख रुपये एवं उससे अधिक की एकल मीयादी जमाराशियों तथा समान परिपक्वता अवधि की अन्य (अर्थात 15 लाख रुपये से कम) सावधि जमाराशियों पर दी जाने वाली ब्याज दरों में न्यूनतम अंतर है।

भवदीय

(सी.डी.श्रीनिवासन्)
मुख्य महाप्रबंधक

अनुलग्नक : यथोक्त


मौद्रिक नीति वक्तव्य 2012-13 का उद्धरण

जमाराशियों पर ब्याज दरों में न्यूनतम अंतर

84. अन्य बातों के साथ-साथ रिज़र्व बैंक ने कहा है कि जो सावधि जमा योजनाएं (फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम्स) विशेष रूप से भारतीय वरिष्ठ नागरिकों के लिए हैं उनको और 1.5 मिलियन रूपये व उससे अधिक की एकल सावधि जमाराशियों (सिंगल टर्म डिपॉज़िट्स) को छोड़कर अन्य जमाराशियों पर दिए जाने वाले ब्याज के मामले में बैंक भेद-भाव न करें। तथापि, यह पाया गया है कि बैंकों की खुदरा व थोक जमा राशियों की दरों में व्यापक अंतर है जो कि खुदरा जमाकर्ताओं (डिपॉजिटर्स) के प्रति अनुचित है। इसके अलावा, परिपक्वता में बहुत कम अंतर वाली जमाराशियों पर भी बैंक की दरों में काफी फ़र्क है। इससे चलनिधि प्रबंधन व्यवस्था और कीमत निर्धारण प्रक्रिया में कमी का पता चलता है। अत:

  • देयताओं (लाबिलिटीज़) के कीमत निर्धारण के संबंध में बैंकों को अपने बोर्ड से अनुमोदित एक पारदर्शी नीति रखनी चाहिए और उन्हें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि 1.5 मिलियन रुपये व उससे अधिक की एकल सावधि जमाराशियों (सिंगल टर्म डिपॉज़िट्स) व अन्य सावधि जमाराशियों में अंतर कम से कम हो।

85. इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे।

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