अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशियों पर ब्याज दरें - आरबीआई - Reserve Bank of India
अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशियों पर ब्याज दरें
आरबीआइ/2006-07/351
ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी.सं.79/07.38.01/2006-07.
सभी राज्य सहकारी बैंक और
जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक
महोदय
अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशियों पर ब्याज दरें
एनआरई रुपया जमाराशियों पर ब्याज दरों के बारे में हमारा दिनांक 6 फरवरी 2007 का परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी.44/ 07.38.01/2006-07 देखें। 24 अप्रैल 2007 को घोषित वर्ष 2007-08 के वार्षिक नीति वक्तव्य (पैरा 114, 115 और 116 का उध्दरण संलग्न) में यह निर्णय किया गया हैं कि 24 अप्रैल 2007 को कारोबार की समाप्ति से, अगली सूचना जारी होने तक अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) मीयादी जमाराशियों पर ब्याज दरें निम्नानुसार हेंगी :
एक से तीन वर्ष की परिपक्वतावाली अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) मीयादी जमाराशियों पर ब्याज दर पिछले माह के अंतिम कार्य दिवस को अमरीकी डालर के लिए उसी परिपक्वतावाली लाइबोर/स्वैप दरों (31 जनवरी 2007 को कारोबार की समाप्ति से लागू लाइबोर/स्वैप दरों से 50 आधार अंक अधिक की तुलना में) से अधिक नही होनी चाहिए। तीन वर्ष की जमाराशियों के लिए उपर्युक्तानुसार निर्धारित ब्याज दरें तीन वर्ष से अधिक परिपक्वता वाली जमाराशियों के लिए भी लागू होंगी। ब्याज दरों में परिवर्तन उन एनआरई जमाराशियों पर भी लागू होंगे जो अपनी वर्तमान परिपक्वता अवधि के बाद नवीकृत की जाएंगी।
2. दिनांक 2 नवंबर 1987 के परिपत्र ग्राआऋवि.सं.आरएफ.डीआइआर.बीसी.54/डी.1-87-88 में निहित अन्य अनुदेश यथावत बने रहेंगे। दिनांक 26 अप्रैल 2007 का संशोधनकारी निदेश ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी.डीआइआर.सं.78/07.38.01/2006-07 संलग्न है।
भवदीय
(सी.एस. मूर्ति)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
वर्ष 2007-08 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य के पैराग्राफ 114, 115 और 116
ब्याज दर निर्धारण
114. अत्यधिक पूंजी आगम तथा उसके चलनिधि तथा मौद्रिक प्रबंधन पर होने वाले प्रभाव के परिप्रेक्ष्य में खासकर मुद्रास्फिति तथा भारत और शेष विश्व के बीच ब्याज दरों की भिन्नताओं को देखते हुए अनिवासी जमाराशियों अर्थात् विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) डएफसीएनआर (बी) जमाराशियों तथा अनिवासी (बाह्य) रुपया खाता डएनआर (ई) आरए जमाराशियों से संबंधित ब्याज दर निर्धारण की समीक्षा करना आवश्यक है। इस परिप्रेक्ष्य में निम्नलिखित उपाय प्रस्तावित हैं :
(क) एफसीएनआर (बी) जमाराशियों पर ब्याज की दरें
115. वर्तमान में सभी परिपक्वता अवधि वाली एफसीएनआर (बी) जमाराशियों पर ब्याज दर सीमा, संबंधित विदेशी मुद्राओं की तदनुरूपी परिपक्वता अवधि पर लागू लाइबोर /स्वैप दरों से 25 आधार अंक कम पर निर्धारित की गयी है । विद्यमान मौद्रिक परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में यह प्रस्ताव है कि :
- एफसीएनआर (बी) जमाराशियों पर ब्याज दर की सीमा तत्काल प्रभाव से 50 आधार अंकों से घटायी जाए अर्थात् लाइबोर में से 75 आधार अंक कम ।
(ख) एनआर (ई) आरए जमाराशियों पर ब्याज दर
116. वर्तमान में एक से तीन वर्ष की परिपक्वता अवधि वाली एनआर (ई) आरए जमाराशियों पर ब्याज दर की सीमा अमरिकी डालर के लिए तदनुरूप परिपक्वता अवधि पर लागू लाइबोर /स्वैप दरों से 50 आधार अंकों से अधिक नहीं होनी चाहिए। विद्यमान मौद्रिक परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में प्रस्ताव है कि :
- एनआर(ई) आरए जमाराशियों पर ब्याज दर की सीमा को तत्काल प्रभाव से 50 आधार अंक घटायी जाए अर्थात् लाइबोर /स्वैप दरें
ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी.डीआइआर.सं.78/07.38.01/2006-07
अप्रैल 26, 2007
अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशियों पर ब्याज की दर
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथा लागू) की धारा 35क द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा जमाराशियों पर ब्याज दर के बारे में समय-समय पर संशोधित 2 नवंबर 1987 के निदेश ग्राआऋवि.सं.डीआइआर.बीसी.53/ डी.1-87/88 में आंशिक संशोधन करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट होने पर कि ऐसा करना लोकहित में आवश्यक तथा समीचीन है, एतद्द्वारा अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशियों पर ब्याज की दर में निम्नानुसार परिवर्तन करने का निदेश देता हैं :
"24 अप्रैल 2007 को कारोबार की समाप्ति से एक से तीन वर्ष तक की परिपक्वतावाली नई अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) मीयादी जमाराशियों पर ब्याज दर पिछले माह के अंतिम कार्य दिवस की स्थिति के अनुसार, अमरीकी डालर के लिए उसी परिपक्वतावाली लाइबोर/स्वैप दरों(31 जनवरी 2007 कारोबार की समाप्ति से लागू लाइबोर/स्वैप दरों से 50 आधार अंक अधिक की तुलना में) से अधिक नहीं होनी चाहिए। तीन वर्ष की जमारशियों के लिए उपर्युक्तानुसार निर्धारित ब्याज दरें तीन वर्ष से अधिक परिपक्वतावाली जमाराशियो के लिए भी लागू होंगी। ब्याज दरों में परिवर्तन उन एनआरई जमाराशियों पर भी लागू होंगे जो अपनी वर्तमान परिपक्वता अवधि के बाद नवीकृत की जाएंगी।"
(वी. एस. दास )
कार्यपालक निदेशक