अग्रिमों पर ब्याज दरें - आरबीआई - Reserve Bank of India
अग्रिमों पर ब्याज दरें
आरबीआय/2015-16/273 17 दिसंबर 2015 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक अग्रिमों पर ब्याज दरें दिनांक 07 अप्रैल 2015 घोषित प्रथम द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2015-16 के पैरा 22 की ओर आपका ध्यान आकर्षित किया जाता है, जिसमें कहा गया है कि ‘मौद्रिक नीति के प्रभावी प्रसार के लिए रिजर्व बैंक बैंकों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करेगा कि वे अपनी आधार-दर के निर्धारण के लिए समयबद्ध रूप में निधि की सीमांत लागत आधार को अपनाएं।’ तदनुसार, निधियों की सीमांत लागत पर आधारित आधार दर की गणना पर दिशानिर्देशों का प्रारूप सभी हितधारकों की टिप्पणियों/फीडबैक के लिए 01 सितंबर 2015 को आरबीआई की वेबसाइट अपलोड किया गया था। 2. प्राप्त फीडबैक को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि बैंक अपने अग्रिमों के मूल्य निर्धारण के लिए निम्नलिखित दिशानिर्देशों का पालन करेंगे : क) आंतरिक बेंचमार्क i) दिनांक 01 अप्रैल 2016 से स्वीकृत किए जाने वाले सभी रुपया ऋण तथा नवीकृत की जाने वाली ऋण सीमाओं का मूल्य निर्धारण निधियों की सीमांत लागत पर आधारित उधार दर (एमसीएलआर) के संदर्भ में किया जाएगा, जो कि ऐसे प्रयोजनों के लिए आंतरिक बेंचमार्क होगा। ii) एमसीएलआर में निम्नलिखित का समावेश होगा:
iii) निधियों की सीमांत लागत निधियों की सीमांत लागत में उधारों की सीमांत लागत तथा निवल मूल्य पर प्रतिफल शामिल होगा। निधियों की सीमांत लागत की गणना की विस्तृत विधि अनुबंध में दी गई है। iv) सीआरआर पर ऋणात्मक भार सीआरआर शेषों पर प्रतिलाभ शून्य होने के कारण अनिवार्य सीआरआर पर ऋणात्मक भार उत्पन्न होगा, जिसकी गणना निम्नानुसार की जाएगी: अपेक्षित सीआरआर x (सीमांत लागत)/(1-सीआरआर) ऊपर (iii) में हासिल की गई निधियों की सीमांत लागत को सीआरआर पर ऋणात्मक भार हासिल करने के लिए प्रयोग किया जाएगा। v) परिचालन लागत इस शीर्ष के अंतर्गत निधियां जुटाने की लागत सहित ऋण उत्पाद उपलब्ध कराने से संबंधित सभी परिचालनगत लागतें शामिल की जाएंगी। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जिन सेवाओं को उपलब्ध कराने की लागत सेवा-प्रभार के रूप में अलग से वसूल की जा रही है, वे इस घटक का भाग नहीं होंगी। vi) अवधि प्रीमियम ये लागतें दीर्घतर अवधि की ऋण प्रतिबद्धताओं से उत्पन्न होती हैं। अवधि प्रीमियम में परिवर्तन उधारकर्ता-विशिष्ट या ऋण श्रेणी – विशिष्ट नहीं होना चाहिए। दूसरे शब्दों में, अवधि प्रीमियम किसी भी अवशिष्ट अवधि में सभी प्रकार के ऋणों के लिए एक समान होना चाहिए। vii) चूंकि एमसीएलआर अवधि से जुड़ा हुआ बेंचमार्क होगा, इसलिए किसी विशिष्ट परिपक्वता अवधि के लिए एमसीएलआर हासिल करने के लिए बैंकों को निधियों की सीमांत लागत, सीआर के कारण ऋणात्मक भार तथा परिचालनगत लागतों के योग को तदनुरूपी अवधि प्रीमियम में जोड़ना होगा। viii) तदनुसार, बैंकों को निम्नलिखित परिपक्वता अवधियों के लिए आंतरिक बेंचमार्क का प्रकाशन करना होगा:
उपर्युक्त के अतिरिक्त, बैंकों के पास किसी अन्य दीर्घतर परिपक्वता अवधि के एमसीएलआर को प्रकाशित करने का विकल्प होगा। ख) कीमत-लागत अंतर (स्प्रेड) i. बैंकों के पास ग्राहकों को प्रभारित स्प्रेड के घटकों का निरूपण करने वाली एक बोर्ड-अनुमोदित नीति होनी चाहिए। नीति में निम्नलिखित के लिए सिद्धांत शामिल होने चाहिए:
ii. इन घटकों में एकरूपता लाने के लिए सभी बैंक स्प्रेड के निम्नलिखित मुख्य घटकों को अपनाएंगे : क. कारोबारी रणनीति कारोबारी रणनीति, बाजार में प्रतिस्पर्धा, ऋण उत्पाद में सन्निहित विकल्प, ऋण की बाजार में तरलता आदि को ध्यान में लेते हुए इस घटक को निर्धारित किया जाएगा। ख. ऋण जोखिम प्रीमियम ग्राहक से संबंध, अपेक्षित हानियाँ, संपाश्विक आदि को विचार में लेने के बाद तथा समुचित ऋण जोखिम रेटिंग / स्कोरिंग मॉडल के आधार पर ग्राहक को प्रभारित ऋण जोखिम प्रीमियम, जो मंजूर किए गए ऋण से उत्पन्न चूक / व्यतिक्रम जोखिम दर्शाता है, को हासिल किया जाएगा। iii. ग्राहक की ऋण जोखिम प्रोफाइल में गिरावट के कारण को छोड़कर, विद्यमान उधारकर्ता को प्रभारित स्प्रेड को बढ़ाया नहीं जाना चाहिए। ऋण जोखिम प्रोफाइल में परिवर्तन के कारण स्प्रेड में परिवर्तन के संबंध में ऐसा कोई भी निर्णय ग्राहक की संपूर्ण ऋण-जोखिम प्रोफाइल समीक्षा के द्वारा समर्थित होना चाहिए। iv. तथापि, ऊपर उप-पैरा (iii) में निहित शर्त संघीय / बहु-बैंकिंग व्यवस्था के अंतर्गत प्रदत्त ऋणों पर लागू नहीं है। ग) ऋणों पर ब्याज दर
घ) एमसीएलआर से छूट i. भारत सरकार द्वारा विशेष रूप से बनाई गई योजनाओं में शामिल ऋण, जहां बैंकों को योजना के अनुसार ही ब्याज दर लगानी पड़ती है, को ब्याज दर निर्धारित करने के लिए बेंचमार्क के रूप में एमसीएलआर से जुडने से छूट दी गई है। ii. परिशोधन/पुनर्रचना पैकेज के भाग के रूप में प्रदत्त कार्यशील पूंजी मीयादी ऋण (डब्लूसीटीएल), निधिक ब्याज मीयादी ऋण आदि को ब्याज दर निर्धारित करने के लिए बेंचमार्क के रूप में एमसीएलआर से जुडने से छूट दी गई है। iii. भारत सरकार अथवा किसी सरकारी उपक्रम के द्वारा बनाई गई विभिन्न पुनर्वित्त योजनाओं के अंतर्गत प्रदान किए गए ऋणों, जहां बैंक योजनाओं के अंतर्गत निर्धारित दरों पर ही ब्याज लगाते हैं, में जिस सीमा तक पुनर्वित्त उपलब्ध है, को ब्याज दर निर्धारित करने के लिए बेंचमार्क के रूप में एमसीएलआर से जुडने से छूट दी गई है। पुनर्वित्त के अंतर्गत शामिल नहीं किए गए भाग पर लगाई गई ब्याज दरें एमसीएलआर दिशानिर्देशों के अनुसार होनी चाहिए। iv. निम्नालिखित श्रेणियों के ऋणों का मूल्य-निर्धारण ब्याज दर निर्धारित करने के लिए बेंचमार्क के रूप में एमसीएलआर से जुड़े बिना किया जा सकता है। क) बैंक के जमकर्ताओं को उनकी स्वयं की जमाराशियों पर दिए गए अग्रिम तथापि, मिश्र ऋणों के मामले में, जहां ब्याज दरें अंशतः स्थिर हैं, और अंशतः अस्थिर, वहाँ अस्थिर दर वाले भाग की ब्याज दरों के लिए एमसीएलआर दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए। ङ) एमसीएलआर की समीक्षा i. बैंक अपने बोर्ड अथवा किसी अन्य समिति, जिसे शक्तियाँ प्रत्यायोजित की गई हों, के अनुमोदन से प्रत्येक माह में किसी पूर्व-घोषित तारीख को अपनी निधियों की सीमांत लागत पर आधारित उधार दर (एमसीएलआर) की समीक्षा और प्रकाशन करेंगे। ii. तथापि, जिन बैंकों के पास मासिक आधार पर एमसीएलआर की समीक्षा करने के लिए समुचित प्रणालियाँ नहीं है, वे पहले वर्ष में, अर्थात 31 मार्च 2017 तक तिमाही में एक बार किसी पूर्व-घोषित तिथि पर अपनी दरों की समीक्षा कर सकते हैं। उसके बाद, इन बैंकों को ऊपर (i) में बताए गए अनुसार एमसीएलआर की मासिक समीक्षा को अपनाना चाहिए। च) ब्याज दरों का पुनर्निर्धारण i. बैंक अपने अस्थिर दर वाले ऋणों की ब्याज पुनर्निर्धारण तारीखों को विनिर्दिष्ट कर सकते हैं। बैंकों के पास यह विकल्प होगा कि वे पुनर्निर्धारण की तारीख से जुड़े ऋणों को ऋण / ऋण सीमाएं मंजूर करने की तारीख से अथवा एमसीएलआर की समीक्षा की तारीख से प्रस्तावित करें। ii. ऋण मंजूरी की तारीख को प्रचलित निधियों की सीमांत लागत पर आधारित उधार दर (एमसीएलआर) अगली पुनर्निर्धारण की तारीख तक, इस दौरान बेंचमार्क में हुए परिवर्तनों पर ध्यान न देते हुए लागू रहेगी। iii. पुनर्निर्धारण की आवधिकता एक वर्ष या उससे कम होगी। पुनर्निर्धारण की सही आवधिकता ऋण संविदा के निबंधनों का ही एक भाग होगा। छ) विद्यमान उधारकर्ताओं को लगाई गई आधार-दर से जुड़ी ब्याज दरों का ट्रीटमेंट i. आधार दर से जुड़े विद्यमान उधार और ऋण सीमाएं चुकौती या नवीकरण, जैसा भी मामला हो, तक जारी रहेंगी। ii. बैंक पहले की तरह आधार दर की समीक्षा और प्रकाशन करना जारी रखेंगे। iii. विद्यमान उधारकर्ताओं के पास भी पारस्परिक रूप से स्वीकार्य शर्तों पर निधियों की सीमांत लागत पर आधारित उधार दर (एमसीएलआर) से जुड़े ऋण में परिवर्तन का विकल्प होगा। तथापि, इसे विद्यमान सुविधा का पुरोबंध नहीं माना जाना चाहिए। ज) कार्यान्वयन के लिए समय-सीमा सभी बैंकों को एमसीएलआर आधारित मूल्य निर्धारण को अपनाने के लिए पर्याप्त समय देने के उद्देश्य से इन दिशानिर्देशों की प्रभावी तिथि 01 अप्रैल 2016 है। भवदीया, (लिलि वडेरा)
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