अग्रिमों पर ब्याज दरें - मूल उधार दर तथा दायरा - आरबीआई - Reserve Bank of India
अग्रिमों पर ब्याज दरें - मूल उधार दर तथा दायरा
अग्रिमों पर ब्याज दरें - मूल उधार दर तथा दायरा
संदर्भ : बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी.10र्3ीं/13.03.00/2002-03
30 अप्रैल 2003
10 वैशाख 1925(शक)
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर)
प्रिय महोदय,
अग्रिमों पर ब्याज दरें - मूल उधार दर तथा दायरा
कृपया आप मूल उधार दर (पी एल आर) संबंधी 30 जुलाई 2002 के हमारे मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी. 11/13.03.00/2002-03 का पैराग्राफ 2 देखें ।
2. इस संबंध में गवर्नर महोदय के 29 अप्रैल 2003 के पत्र एमपीडी. सं. बीसी. 230 /07.01. 279/ 2002-03 के साथ संलग्न वर्ष 2003-04 के लिए ‘मौद्रिक और ऋण नीति’ संबंधी वक्तव्य के पैराग्राफ 81, 82 और 83 की ओर ध्यान आकर्षित किया जाता है । वर्तमान में, वाणिज्य बैंक अपने बोड़ के अनुमोदन से घोषित मूल उधार दर के अनुसार विभिन्न ग्राहकों के लिए (2 लाख रुपये से अधिक की ऋण सीमा वाले) उधार दर निर्धारित करते हैं । बैंकों के ऋण उत्पादों के मूल्यन में अधिक पारदर्शिता लाने तथा यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कि मूल उधार दर वास्तविक लागत दर्शाये, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे अपनी बेंच-मार्क मूल उधार दर का निर्धारण करते समय नीचे दिये गये सुझावों पर विचार करें :
(क) बैंकों को बेंच-मार्क मूल उधार दर निर्धारित करते समय अपनी (i) निधियों की वास्तविक लागत; (ii) परिचालन व्यय तथा (iii) प्रावधान / पूंजी प्रभार तथा लाभ मार्जिन संबंधी विनियामक अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए न्यूनतम मार्जिन को ध्यान में रखना चाहिए । बैंकों को अपने-अपने बोड़ के अनुमोदन से बेंच-मार्क मूल उधार दर घोषित करनी चाहिए ।
(ख) जैसी कि पहले ही व्यवस्था है, बेंच मार्क मूल उधार दर 2 लाख रुपये तक की ऋण सीमा के लिए अधिकतम दर बनी रहेगी ।
(ग) चूंकि अन्य सभी उधार दरें आवधिक प्रीमियम /जोखिम प्रीमियम को ध्यान में रखते हुए बेंच-मार्क मूल उधार दर के अनुसार निर्धारित की जायेंगी, अत: काल-संबद्ध मूल उधार दर की प्रणाली को समाप्त करना उचित होगा । इन किस्तों को मूल उधार दर के उच्च तथा निम्न दायरों में फैक्टर किया जा सकता है ।
काल-संबद्ध मूल उधार दर को समाप्त करने के लिए प्रभावी तारीख के संबंध में बैंकों से आगे चर्चा करके निर्णय की घोषणा यथासमय अलग से की जायेगी ।
3. ग्राहकों को सुरक्षा प्रदान करने की दृष्टि से तथा ग्राहकों से ली जाने वाली वास्तविक ब्याज दरों के संबंध में अधिक पारदर्शिता लाने की दृष्टि से बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ली जाने वाली अधिकतम तथा न्यूनतम ब्याज दरों तथा बेंच-मार्क मूल उधार दर के संबंध में जानकारी प्रदान करना जारी रखें ।
4. बैंकों द्वारा बेंच-मार्क मूल उधार दर का निर्धारण तथा बेंच-मार्क मूल उधार दर के वास्तविक दायरे की समीक्षा सितंबर 2003 में की जायेगी । अत: उक्त सुझावों पर की गयी कार्रवाई की जानकारी रिज़र्व बैंक को यथाशीघ्र दी जाये ।
कृपया प्राप्ति-सूचना भिजवायें ।
भवदीय
(एम. आर. श्रीनिवासन)
प्रभारी मुख्य महा प्रबंधक