विदेशी मुद्रा में दिए जाने वाले निर्यात ऋण पर ब्याज दरें - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा में दिए जाने वाले निर्यात ऋण पर ब्याज दरें
आरबीआइ/2006-07/151
संदर्भ. बैंपविवि. डीआइआर. (ईएक्सपी) सं. 38/04.02.01/2006-07
14 नवंबर 2006
23 कार्तिक 1928 (शक)
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय
विदेशी मुद्रा में दिए जाने वाले निर्यात ऋण पर ब्याज दरें
जैसा कि आप जानते हैं, निर्यात ऋण समीक्षा के लिए गठित कार्यदल की सिफारिशों के आधार पर वर्ष 2006-07 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य (पैरा 113) में यह प्रस्ताव किया गया था कि विदेशी मुद्रा में निर्यात ऋण के लिए ब्याज की उच्चतम दर को 25 आधार अंक बढ़ाकर पहले के लिबोर + 75 आधार अंक से बढ़ाकर तुरंत प्रभाव से लिबोर +100 आधार अंक कर दिया जाए। तदनुसार, 18 अप्रैल 2006 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. डीआइआर (ईएक्सपी). 78/04.02.01/2005-06 के द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार यह निर्णय लिया गया था कि विदेशी मुद्रा में निर्यात ऋण पर उच्चतम दरें 18 अप्रैल 2006 से तत्काल प्रभाव से संशोधित कर लिबोर + 100 आधार अंक कर दी जाएं। जैसा कि कार्यदल की सिफारिशों के पैरा 5ख (व) में दर्शाया गया है, यह वृद्धि इस शर्त पर की गई है कि बैंकों द्वारा फुटकर व्यय (आउट ऑफ पॉकेट एक्पेंसेंस)की वसूली के संबंध में प्रभारों को छोड़कर सेवा प्रभार, प्रबंध प्रभार आदि के नाम पर अन्य किसी प्रकार के प्रभार नहीं लगाए जाएंगे। फिर भी कुछ निर्यातकों /निर्यात संगठनों ने हमें अभ्यावेदन कर सूचित किया है कि कुछ बैंक रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित संशोधित ब्याज दर की उच्चतम सीमा के अतिरिक्त सेवा प्रभार लगा रहे हैं।
2. अतएव, एतद् द्वारा यह सूचित किया जाता है कि विदेशी मुद्रा में निर्यात ऋण के मामले में बैंकों द्वारा फुटकर व्यय की वसूली के संबंध में प्रभारों को छोड़कर सेवा प्रभार, प्रबंध प्रभार आदि के नाम पर किसी भी प्रकार का अन्य प्रभार नहीं लगाया जाना चाहिए।
भवदीय
(पी. विजय भास्कर)
मुख्य महाप्रबंधक