मुद्रा वायदे (फ्यूचर्स)की शुरूआत - बैंकों को सेबी-अनुमोदित शेयर बाजारों के व्यापारिक/निकासी (क्लियरिंग)सदस्य बनने की अनुमति देना - आरबीआई - Reserve Bank of India
मुद्रा वायदे (फ्यूचर्स)की शुरूआत - बैंकों को सेबी-अनुमोदित शेयर बाजारों के व्यापारिक/निकासी (क्लियरिंग)सदस्य बनने की अनुमति देना
आरबीआइ /2008-2009/123
बैंपविवि. सं. एफएसडी. बीसी. 29 /24.01.001/2008-09
6 अगस्त 2008
15 श्रावण 1930 (शक)
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय
मुद्रा वायदे (फ्यूचर्स)की शुरूआत - बैंकों को सेबी-अनुमोदित शेयर
बाजारों के व्यापारिक/निकासी (क्लियरिंग)सदस्य बनने की अनुमति देना
वर्ष 2007-08 के वार्षिक नीति वक्तव्य में की गई घोषणा के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय अनुभव का अध्ययन करने तथा भारत में शेयर बाजार में मुद्रा वायदे शुरू करने के प्रस्ताव को कार्यान्वित करने हेतु एक उचित ढांचे का सुझाव देने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक आंतरिक कार्य दल गठित किया था। कार्य दल ने अपनी रिपोर्ट में घरेलू विदेशी मुद्रा बाजार में मुद्रा वायदे शुरू करने की सिफारिश की है । उत दल ने यह भी सिफारिश की है कि बैंकों को न्यूनतम निवल मालियत, सीआरएआर, लाभप्रदता आदि जैसे विवेकपूर्ण मानदंडों के अधीन व्यापारिक -सह-निकासी सदस्यों के रूप में मुद्रा वायदा बाजारों के सीधे सदस्य बनने की अनुमति दी जाए ।
2. उक्त सिफारिशों की भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जांच की गयी है तथा उन्हें स्वीकृत किया गया है और दिनांक 1 अगस्त 2008 की अधिसूचना सं. फेमा 177/आरबी-2008 द्वारा निदेश जारी किये गये हैं। तदनुसार, यह निर्णय किया गया है कि सेबी द्वारा मान्यता प्राप्त शेयर बाजारों द्वारा स्थापित किये जानेवाले मुद्रा व्युत्पन्न खंड के व्यापारिक/निकासी सदस्य बनने की अनुमति अनुसूचित वाणिज्य बैंकों (प्राधिकृत व्यापारी प्रवर्ग 1) को निम्नलिखित विवेकपूर्ण अपेक्षाओं की पूर्ति करने के अधीन दी जाए।
i.500 करोड़ रुपये की न्यूनतम निवल मालियत
ii.10 प्रतिशत न्यूनतम सीआरएआर
iii.3 प्रतिशत से अनधिक निवल अनर्जक आस्तियां
iv.पिछले 3 वर्ष में निवल लाभ
3. उपर्युक्त शर्तों का अनुपालन करनेवाले बैंकों को चाहिए कि वे इस कार्य को करने तथा जोखिमों के प्रबंधन हेतु बोर्ड के अनुमोदन से विस्तृत दिशानिर्देश निर्धारित करें ।यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बैंक की स्थिति को ग्राहक की स्थिति से भिन्न रखा जाए । किसी बैंक की कार्यप्रणाली के साथ पर्यवेक्षी असुविधा होने की स्थिति में रिज़र्व बैंक उस बैंक पर इस कारोबार को चलाने के संबंध में यथोचित प्रतिबंध लगाएगा ।
4. जो बैंक उपर्युक्त न्यूनतम विवेकपूर्ण अपेक्षाओं को पूरा नहीं करते, उन्हें मुद्रा वायदा बाज़ार में केवल ग्राहक के रूप में भाग लेने की अनुमति दी जाती है ।
भवदीय
(पी. विजय भास्कर)
मुख्य महाप्रबंधक