विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा कॉर्पोरेट कर्ज़ प्रतिभूतियों में निवेश- समीक्षा - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा कॉर्पोरेट कर्ज़ प्रतिभूतियों में निवेश- समीक्षा
भा.रि.बैंक/2017-18/64 22 सितम्बर 2017 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक महोदया/महोदय, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा कॉर्पोरेट कर्ज़ प्रतिभूतियों में निवेश- समीक्षा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I (ए.डी.श्रेणी–I) बैंकों का ध्यान दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित तथा समय-समय पर यथा संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की अनुसूची 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. वर्तमान में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा कॉर्पोरेट कर्ज़ प्रतिभूतियों में निवेश की सीमा रु 244,323 करोड़ है। इसमें निवासी एंटिटियों द्वारा विदेशों में जारी किए गए रु. 44,001 करोड़ के रुपए में मूल्यवर्गित बॉन्ड (मसाला बॉण्ड्स) शामिल हैं (पाइपलाइन सहित)। मसाला बॉण्ड्स वर्तमान में एफ़पीआई के लिए संयुक्त कॉर्पोरेट ऋण सीमा (सीसीडीएल) तथा बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी), दोनों के अंतर्गत गिने जाते हैं। इसकी समीक्षा करने पर तथा मसाला बॉण्ड्स के निर्गम संबंधी मानदंडों को ईसीबी दिशानिर्देशों के साथ और अधिक सुसंगत बनाने के लिए निम्नलिखित परिवर्तन किए गए हैं: (ए) दिनांक 3 अक्तूबर 2017 से मसाला बॉण्ड्स कॉर्पोरेट बॉण्ड्स में एफ़पीआई निवेशों के लिए सीमा का भाग नहीं होंगे। वे ईसीबी का भाग होंगे तथा उनकी तदनुसार निगरानी की जाएगी। मसाला बॉण्ड्स जारी करने का प्रस्ताव करने वाली पात्र भारतीय एंटिटियां दिनांक 7 जून 2017 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.47 में दिए गए अनुसार विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई से संपर्क करें। (बी) मसाला बॉण्ड्स के अंतरण से उभरने वाली रु. 44,001 की राशि को सारणी-1 में निर्दिष्ट किए गए अनुसार कॉर्पोरेट बॉण्ड्स में एफ़पीआई निवेश के लिए अगली दो तिमाहियों में मुक्त किया जाएगा। 3. प्रत्येक तिमाही में रु 9,500 करोड़ की राशि, केवल दीर्घावधि एफ़पीआई (अर्थात, सॉवरेन वैल्थ फंड्ज, मुल्टिलैटरल एजन्सियां, एनडोवमेंट फंड्ज, बीमा निधियाँ, पेंशन फंड्ज तथा विदेशी केंद्रीय बैंक) द्वारा आधारभूत संरचना में निवेश के लिए उपलब्ध होगी। “आधारभूत संरचना” की परिभाषा वही होगी जो ईसीबी पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए मास्टर निदेश में परिभाषित की गई है। दीर्घावधि एफ़पीआई का आधारभूत संरचना क्षेत्र से भिन्न क्षेत्रों में निवेश करने के लिए पात्र होना भी यथावत जारी रहेगा। 4. एफ़पीआई द्वारा ऋण बाजार में निवेश से संबंधित अन्य सभी विद्यमान शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी। 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ ग्राहकों को अवगत कराएं। 6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं। भवदीय (शेखर भटनागर) |