समुद्रपारीय प्रतिभूतियों में म्यूचुअल फंडों द्वारा निवेश - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
समुद्रपारीय प्रतिभूतियों में म्यूचुअल फंडों द्वारा निवेश - उदारीकरण
आरबीआइ/2006-07/433
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.72
जून 8, 2007
सेवा में
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक
महोदया/महोदय,
समुद्रपारीय प्रतिभूतियों में म्यूचुअल फंडों द्वारा निवेश - उदारीकरण
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं. फेमा 120/आरबी-2004 के विनियम 6(इ) और विनियम 26, अप्रैल 29, 2003 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.97 और जुलाई 26, 2006 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.3 की ओर आकर्षित किया जाता है।
2. वर्तमान में, सेबी के पास पंजीकृत म्यूचुअल फंडों को भारतीय कंपनियों के एडीआर/जीडीआर, निर्धारित ऋण लिखतों साथ ही समुद्रपार मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध समुद्रपारीय कंपनियों के ईक्विटी में निवेश करने की अनुमति है। भारी मात्रा में निवेश योग्य स्टॉक के दोहन के लिए म्यूचुअल फंडों को समर्थ बनाने हेतु यह निर्णय लिया गया है कि वे निम्नलिखित में भी निवेश कर सकते हैं :
(i) समुद्रपारीय म्यूचुअल फंड जो असूचीबद्ध समुद्रपारीय प्रतिभूतियों में नाममात्र का निवेश (निवल परिसंपत्ति मूल्य के 10% तक) करते हैं
(ii) समुद्रपारीय एक्सचेंज ट्रेडेड फंड जो प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं; तथा
(iii) विदेशी कंपनियों के एडीआर/जीडीआर
3. जुलाई 26, 2006 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.3 द्वारा यथानुबद्ध रिज़र्व बैंक को मासिक सूचना देने की आवश्यकता सांख्यिकीय प्रयोजन के लिए निवेश की उपर्युक्त तीन श्रेणियों को शामिल करने को आशोधन के साथ जारी रहेगी। संशोधित फार्मेट संलग्न है।
4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2004 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जाएंगे।
5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।
6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक