बैंकों का निवेश संविभाग प्रतिभूतियों मेंलेनदेन - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकों का निवेश संविभाग प्रतिभूतियों मेंलेनदेन
आरबीआई/2008-09/ 473 7 मई 2009 सभी राज्य सहकारी बैंक और महोदय बैंकों का निवेश संविभाग- प्रतिभूतियों में लेनदेन कृपया उपर्युक्त विषय पर हमारे दिनांक 23 मई 1995 के परिपत्र ग्राआऋवि.सं.बीसी. 154 /07.02.08/ 94-95 तथा 13 जुलाइ 2005 के परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी.सं. 14/07.02.03/2005-06 के साथ पठित दिनांक 4 सितंबर 1992 का परिपत्र ग्राआऋवि.सं. आरएफ.बीसी.17/ए. 4-92-93 देखें। 2. वर्तमान अनुदेशों के अनुसार, प्रतिभूतियों को एसएलआर के प्रयोजन के लिए या आय अथवा पूंजी में वृद्धि करने के प्रयोजन के लिए स्थायी श्रेणी में रखा जाता है और सामान्यत: परिपक्वता तक धारित किया जाता है। बैंकों से यह अपेक्षित नहीं है कि वे स्थायी श्रेणी वाली प्रतिभूतियों को स्वतंत्र रूप से बेचें लेकिन, यदि वे ऐसा करते हैं तो ऐसे लेनदेन पर हुई हानि को बट्टे खाते डाला जाए तथा यदि कोई लाभ हुआ हो तो उसे पहले लाभ हानि लेखा में हिसाब में लिया जाए और बाद में आरक्षित पूंजी लेखा में विनियोजित किया जाए। स्थायी से चालू श्रेणी में और चालू से स्थायी श्रेणी में निवेश का अंतरण निदेशक मंडल के पूर्व प्राधिकार से किया जाना चाहिए। 3. इस बीच मामले की समीक्षा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि बैंक अपने निदेशक मंडल के अनुमोदन से अपनी स्थायी श्रेणी में / में से निवेश का अंतरण वर्ष में केवल एक ही बार करें । इस तरह के अंतरण की अनुमति साधारणत: लेखा वर्ष के आरंभ में दी जाए । उस लेखा वर्ष की बकाया अवधि के दौरान स्थायी श्रेणी में / में से निवेश के अंतरण की आगे और अनुमति नहीं दी जाएगी। 4. कृपया इस परिपत्र की विषय-वस्तु अपने बैंक के बोर्ड के समक्ष रखें । 5. कृपया प्राप्ति सूचना हमारे संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को दें। भवदीय (बी.पी.विजयेन्द्र) |