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विदेशों में रुपये में मूल्यवर्गीकृत बॉन्ड जारी करना

भा.रि.बैंक/2015-16/372
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.60

13 अप्रैल 2016

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक

महोदया / महोदय,

विदेशों में रुपये में मूल्यवर्गीकृत बॉन्ड जारी करना

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (प्रा.व्या.श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान विदेशों में रुपये में मूल्यवर्गीकृत बॉन्ड जारी करने के संबंध में जारी दिनांक 29 सितंबर 2015 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.17 के प्रावधानों तथा बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, प्राधिकृत व्यापारियों तथा प्राधिकृत व्यापारियों से इतर व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में उधार लेने एवं उधार देने से संबंधित 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.05 के पैराग्राफ 3.2, 3.3.1, 3.3.3 तथा 3.3.9 की ओर आकृष्ट किया जाता है। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (प्रा.व्या.श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान 29 सितंबर 2015 को जारी चौथे द्वैमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य के पैराग्राफ 30 एवं 31 की ओर भी आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार :

  1. कर्ज़ प्रतिभूतियों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) की सीमाएं रुपये मूल्य में घोषित/ निर्धारित की जाएंगी।

  2. विदेशों में रुपये में मूल्यवर्गीकृत बॉन्ड जारी करने की सीमा कॉर्पोरेट कर्ज़ में विदेशी निवेश की समय-समय पर अधिसूचित अनुमत समग्र सीमा के भीतर होगी।

2. मौद्रिक नीति वक्तव्य के अनुसार कॉर्पोरेट कर्ज़ में विदेशी निवेश की 51 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सीमा को जोकि 01 अप्रैल 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 94 में दी गई है, रुपये मूल्य में रुपये 2443.23 बिलियन निर्धारित किया गया है। विदेशों में रुपये में मूल्यवर्गीकृत बॉण्ड, कॉर्पोरेट कर्ज़ में विदेशी निवेश की इस समग्र सीमा के भीतर जारी होंगे।

3. कॉर्पोरेट कर्ज़ में विदेशी निवेश की समग्र सीमा रुपये मूल्य में निर्धारित होने के साथ 29 सितंबर 2015 के उपर्युक्त परिपत्र के अनुबंध में क्रम सं. 7 में विदेश में रुपये में मूल्य वर्गीकृत बॉण्ड जारी करने की राशि में भी संशोधन किया गया है। चूंकि समग्र सीमा अब रुपये मूल्य में निर्धारित की गई है, अतः स्वचालित मार्ग के तहत बॉण्ड जारी करने के संबंध में किसी इकाई (एंटिटी) द्वारा एक वित्त वर्ष के दौरान अधिकतम रुपये 50 बिलियन राशि तक उधार लिया जा सकता है, न कि 750 मिलियन अमेरिकी डॉलर में, जैसा कि परिपत्र में उल्लेख किया गया है। एक वित्त वर्ष में रुपये 50 बिलियन से अधिक राशि के उधार लेने के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्व अनुमोदन लेना आवश्यक है।

4. साथ ही, कॉर्पोरेट कर्ज़ में विदेशी निवेशकों की पात्रता में एकरूपता बनाए की दृष्टि से निवेशकों एवं उक्त बोण्ड्स के जारी करने के स्थान आदि को भी संशोधित किया गया है। रुपये मूल्य में वर्गीकृत बॉण्ड उसी देश में तथा उसी देश के निवासी द्वारा खरीदे जा सकते हैं, जो :

  • जो देश वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) के सदस्य हैं अथवा FATF जैसे किसी क्षेत्रीय निकाय के सदस्य हैं; और

  • जिसकी प्रतिभूति बाजार की विनियामक संस्था, अंतरराष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (IOSCO) के बहुपक्षीय सहमति ज्ञापन (परिशिष्ठ-A की हस्ताक्षरकर्ता) की हस्ताक्षरकर्ता अथवा सूचना के आदान-प्रदान संबंधी व्यवस्था के अंतर्गत भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) की हस्ताक्षकर्ता हो; और

  • FATF द्वारा जारी सार्वजनिक-वक्तव्य में निम्नलिखित के रूप में पहचाना गया देश न हों :

(i) धन शोधन निवारण या आतंकवाद के वित्त-पोषण के मुक़ाबले के लिए सामरिक कमियों वाला अधिकार क्षेत्र, जिस पर काउंटर उपाय लागू हों, अथवा

(ii) ऐसा अधिकार क्षेत्र जिसने अपनी कमियों को दूर करने के लिए पर्याप्त प्रगति न की हो या कमियों को दूर करने के लिए FATF के साथ कोई कार्ययोजना विकसित करने के लिए प्रतिबद्धता नहीं दिखाई हो।

5. विदेश में जारी रुपये में मूल्यवर्गीकृत बॉन्ड की न्यूनतम परिपत्क्वता अवधि को कॉर्पोरेट बॉन्ड में अनुमत विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) मार्ग के लिए निर्धारित परिपक्वता अवधि के साथ संरेखित करने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है कि इन बॉन्डों की परिपक्वता अवधि 3 वर्ष होगी।

6. तदनुसार, 29 सितंबर 2015 के उपर्युक्त परिपत्र के अनुलग्नक की सारणी के क्रम संख्या 3 और 4 में उल्लिखित, पात्र निवेशक और परिपक्वता के मानदंडों को तदनुसार संशोधित किया गया है।

7. विदेश में रुपये में मूल्यवर्गीकृत बॉन्ड जारी करने वाले उधारकर्ता अपने संबन्धित करार / प्रस्ताव दस्तावेज़ में उचित खंड (मद) शामिल करना सुनिश्चित करें जो उन्हें मुख्य बॉन्ड धारकों की सूची प्राप्त करने एवं जरूरत पड़ने पर भारत में विनियामक प्राधिकारियों को दे सकने के लिए सक्षम करें। इन करारों / प्रस्ताव दस्तावेजों में यह भी उल्लेख होना चाहिए कि ये बॉण्ड्स केवल IOSCO/ FATF द्वारा विनिर्दिष्ट अधिकार क्षेत्र से संबन्धित आवश्यकताओं के अनुपालन के अंतर्गत ही बेचे / अंतरित किए / प्रतिभूति के रूप में रखे जा सकते हैं।

8. उक्त बॉन्ड को जारी कर के उधार लेने के कारण होने वाले अंतर्वाह/ बहिर्गमन (केवल मूल धन) संबंधी समेकित सूचनाएँ जुटाने के उद्देश्य से प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक अपने उधारकर्ता घटकों से संबंधित आहरण / पुनर्भुगतान (चुकौती) संबंधी वास्तविक आंकड़े उनकी ऋण पंजीकरण संख्या (LRN) उद्धृत करते हुए विदेशी मुद्रा विभाग, बाह्य वाणिज्यिक उधार प्रभाग, केंद्रीय कार्यालय, शहीद भगत सिंह मार्ग, फोर्ट, मुंबई 400 001 को रिपोर्ट करें। यह रिपोर्टिंग ईमेल द्वारा लेनदेन की वास्तविक तिथि को ही करनी होगी। यह रिपोर्टिंग भारतीय रिज़र्व बैंक के सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग को बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के संबंध में जमा की जाने वाली विवरणियों (फ़ॉर्म 83 और ईसीबी 2 विवरणी) के अतिरिक्त होगी।

9. 29 सितम्बर 2015 के परिपत्र में निहित अन्य प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किए गए हैं। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों एवं घटकों को अवगत कराएं।

10. उपर्युक्त पैराग्राफ 3 से 7 में उल्लिखित रुपये में मूल्यवर्गीकृत बॉण्ड जारी करने के लिए परिवर्तित / संशोधित अनुदेश इस परिपत्र को जारी करने की तिथि से प्रभावी होंगे। पूर्व में प्रचलित निदेशों के अनुसार किए गए लेनदेन / पाइप-लाइन लेनदेन जिनमें LRN लिया जा चुका है, या ऐसे प्रस्ताव जहां समझौते हस्ताक्षरित हो चुके हैं एवं / अथवा प्रस्ताव दस्तावेज़ जारी किए जा चुके हैं, का निपटान 29 सितंबर 2015 के परिपत्र में निहित प्रावधानों के अनुसार किया जा सकता है। तथापि, पहले से किए जा चुके वास्तविक लेनदेनों की कार्योत्तर रिपोर्टिंग, तत्काल आधार पर, विदेशी मुद्रा विभाग को, ऊपर उल्लिखित पैराग्राफ 8 में दिये गए ईमेल पर करनी होगी ।

11. उपर्युक्त परिवर्तनों को दर्शाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दिनांक 01 जनवरी 2016 को जारी मास्टर निदेश सं.05 को तदनुसार अद्यतन किया जा रहा है।

12. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं।

भवदीय

(शेखर भटनागर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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